रांची: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा के बड़े भाई भीम सिंह मुंडा का मंगलवार सुबह निधन हो गया। लंबे समय से बीमारी से जूझ रहे भीम सिंह ने आज अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर से झारखंड में राजनीतिक और सामाजिक हलकों में शोक की लहर फैल गई है। अर्जुन मुंडा ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर इस दुखद खबर को साझा किया। उन्होंने लिखा:
“व्यथित मन से बताना पड़ रहा है कि मेरे अभिभावक, मेरे बड़े भाई आदरणीय भीमसेन मुंडा जी अब हमारे बीच नहीं रहे। यह पीड़ा असहनीय है।”
अंतिम संस्कार की व्यवस्था
भीम सिंह मुंडा का अंतिम संस्कार जमशेदपुर के स्वर्णरेखा बर्निया घाट, मानगो पर किया जाएगा। उनके पार्थिव शरीर को जमशेदपुर के घोड़ाबांधा स्थित आवास से सुबह 11:30 बजे अंतिम यात्रा के लिए ले जाया जाएगा। अर्जुन मुंडा सहित परिवार और करीबी लोग इस अवसर पर उपस्थित रहेंगे।
राजनीतिक और सामाजिक जगत ने जताया शोक
अर्जुन मुंडा के बड़े भाई के निधन पर झारखंड के कई प्रमुख नेताओं और सामाजिक संगठनों ने शोक व्यक्त किया। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, बीजेपी के वरिष्ठ नेता बाबूलाल मरांडी, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर और झारखंड मुक्ति मोर्चा के कई नेताओं ने भी श्रद्धांजलि दी।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा:
“यह पूरे राज्य के लिए एक अपूरणीय क्षति है। मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें और परिजनों को इस दुख को सहने की शक्ति दें।”
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने भी अपनी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा:
“भीम सिंह मुंडा एक आदर्श परिवार के स्तंभ थे, जिनके मूल्यों ने अर्जुन मुंडा जैसे नेता को प्रेरित किया।”
व्यक्तिगत और सामाजिक योगदान
भीम सिंह मुंडा अपने परिवार और समाज के लिए एक प्रेरणास्रोत माने जाते थे। वे सादगी और विनम्रता के प्रतीक थे। उनके निधन को अर्जुन मुंडा के जीवन और राजनीतिक सफर में एक बड़ा व्यक्तिगत नुकसान माना जा रहा है।
श्रद्धांजलि समारोह में बड़ी संख्या में लोग
दिवंगत भीम सिंह मुंडा को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए बड़ी संख्या में नेता, कार्यकर्ता और स्थानीय लोग उपस्थित होंगे। उनके जाने से न केवल परिवार, बल्कि समाज का भी एक महत्वपूर्ण स्तंभ छिन गया है।
राजनीतिक पृष्ठभूमि में प्रभाव
अर्जुन मुंडा के भाई होने के नाते भीम सिंह ने हमेशा परिवार और समाज के कल्याण पर ध्यान केंद्रित किया। उनका सादगीपूर्ण जीवन और समाज के प्रति उनकी सेवा भावना को लोग लंबे समय तक याद रखेंगे।
यह झारखंड की राजनीति और सामाजिक दृष्टिकोण में एक दुखद पल है। उनकी कमी को भर पाना मुश्किल है।