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दुमका: 21-28 फरवरी 2025 तक आयोजित होगा राजकीय जनजातीय हिजला मेला महोत्सव

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  • उद्घाटन: मेला का उद्घाटन ग्राम प्रधान द्वारा किया जाएगा, जो स्थानीय परंपराओं का सम्मान करता है।
  • स्टॉल और प्रदर्शनी: आदिवासी खाद्य स्टॉल समेत अन्य स्टॉल लगाए जाएंगे, जिनमें संताल परगना की समृद्ध संस्कृति और कलाओं को प्रदर्शित किया जाएगा।
  • सुविधाएँ: मेला क्षेत्र में पर्याप्त रोशनी, पार्किंग और अन्य आवश्यक व्यवस्थाएँ की जाएंगी।
  • समितियाँ: खेलकूद, सांस्कृतिक कार्यक्रम, सुरक्षा, पार्किंग, पेयजल, शौचालय निर्माण जैसी समितियों का गठन किया जाएगा।
  • सांस्कृतिक कार्यक्रम: स्थानीय कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ आयोजित की जाएंगी।

दुमका जिले में आयोजित होगा 134वाँ हिजला मेला महोत्सव

दुमका जिले में आगामी 21 से 28 फरवरी 2025 तक राजकीय जनजातीय हिजला मेला महोत्सव का आयोजन किया जाएगा। इस मेले की तैयारियाँ जोरों पर हैं, और उपायुक्त आंजनेयुलु दोड्डे के निर्देश पर अनुमंडल पदाधिकारी कौशल कुमार की अध्यक्षता में हाल ही में एक बैठक आयोजित की गई। बैठक में विभिन्न विभागों के अधिकारियों को समय पर कार्य पूर्ण करने का निर्देश दिया गया।

मेला का उद्घाटन और स्टॉल

इस मेले का उद्घाटन ग्राम प्रधान द्वारा किया जाएगा, जो स्थानीय परंपराओं और संस्कृति को सम्मानित करता है। मेले में आदिवासी खाद्य स्टॉल समेत कई अन्य स्टॉल लगाए जाएंगे, जो संताल परगना की समृद्ध संस्कृति और कलाओं को प्रदर्शित करेंगे। सरकारी विभागों के स्टॉल भी लगाए जाएंगे, जहां लोग कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।

सुविधाएँ और व्यवस्थाएँ

मेले में आगंतुकों को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो, इसके लिए पूरे मेला क्षेत्र में पर्याप्त रोशनी, पार्किंग और अन्य आवश्यक व्यवस्थाएँ की जाएंगी। साथ ही, विभिन्न समितियाँ गठित की जाएंगी जैसे कि खेलकूद, सांस्कृतिक कार्यक्रम, सुरक्षा, पार्किंग, पेयजल, शौचालय निर्माण आदि, ताकि आयोजन सुचारू रूप से संपन्न हो सके।

सांस्कृतिक कार्यक्रम और इतिहास

मेला के दौरान विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जिसमें स्थानीय कलाकार अपनी प्रस्तुतियाँ देंगे। हिजला मेला महोत्सव का इतिहास 1890 से जुड़ा हुआ है, जब अंग्रेजी शासक जॉन राबटर्स कास्टेयर्स ने इसकी शुरुआत की थी। इसका उद्देश्य विभिन्न इलाकों के लोगों के बीच स्थानीय परंपराओं और रीति-रिवाजों का आदान-प्रदान करना और प्रशासन के साथ आम जनता का सीधा संवाद स्थापित करना था। 1975 में इसे ‘जनजातीय’ शब्द जोड़ा गया और 2015 में इसे राजकीय मेला का दर्जा दिया गया। इस वर्ष, मेला के आयोजन की 134वीं वर्षगाँठ है, जो दुमका और संताल परगना क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को प्रदर्शित करता है।

आयोजन की सफलता के लिए निर्देश

आयोजन की सफलता के लिए सभी संबंधित विभागों और समितियों को समय पर अपने कार्य पूर्ण करने का निर्देश दिया गया है, ताकि मेले में किसी भी प्रकार की कमी न हो और आगंतुकों को एक यादगार अनुभव प्राप्त हो।

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