- मसलिया प्रखंड के चार पंचायतों में जलापूर्ति योजनाएं अधूरी।
- पश्चिमी क्षेत्र के जरगड़ी, बसकोडीह, बड़ा डुमरिया आदि गांव प्रभावित।
- करीब 20 हजार ग्रामीणों को शुद्ध पेयजलापूर्ति का लक्ष्य।
- तीन साल से अधिक समय बीतने के बावजूद पाइपलाइन का कार्य अधूरा।
- ग्रामीणों ने सरकार से योजनाओं को धरातल पर लाने की मांग की।
ग्रामीणों की समस्याएं और योजनाओं की स्थिति
मसलिया प्रखंड के पश्चिमी क्षेत्र के चार पंचायतों – आस्ताजोड़ा, बड़ा डुमरिया, पाटनपुर, और कुंजबोना में बहु ग्रामीण जलापूर्ति योजना के अधूरे कामों के कारण ग्रामीणों को पेयजल के लिए परेशान होना पड़ रहा है। वित्तीय वर्ष 2021-22 में शुरू हुई इस योजना के तहत डेढ़ लाख लीटर क्षमता के जलमीनार और 3.20 एमएलडी क्षमता के जल शोधन संयंत्र का निर्माण किया गया है, लेकिन पाइपलाइन बिछाने का काम अभी तक पूरा नहीं हुआ।
ग्रामीणों की पीड़ा
“गांव में जब पाइप बिछाया जा रहा था, तो हमें खुशी थी कि अब पानी के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। लेकिन तीन साल बीतने के बाद भी हमें पानी नहीं मिला।” – अनूप कुमार महल, पाटनपुर
“सरकार को चाहिए कि इन योजनाओं को धरातल पर लाकर उनका मकसद पूरा करे। अन्यथा, गरीबों का पैसा बर्बाद हो रहा है।” – उत्तम कुमार मोदी, जरगड़ी
सरकारी योजनाओं पर सवाल
ग्रामीणों का कहना है कि जल जीवन मिशन का स्लोगन केवल दीवारों पर लिखा रह गया है, जबकि वास्तविकता यह है कि ग्रामीणों को इसका लाभ नहीं मिला। योजना का उद्देश्य शुद्ध पेयजल प्रदान करना था, लेकिन यह अभी तक पूरा नहीं हो सका है।
‘न्यूज़ देखो’ की नजर
सरकार की जलापूर्ति योजनाओं के अधूरे कार्यों से ग्रामीण परेशान हैं। ‘न्यूज़ देखो’ के साथ जुड़े रहें, और इस तरह की खबरों से अपडेट रहें।