- मांग: दुमका रेलवे स्टेशन का नाम संताली (ओलचिकी) में लिखा जाए।
- उद्घोषणा: रेलवे स्टेशन में उद्घोषणा संताली भाषा में की जाए।
- ज्ञापन सौंपा: परसी अरिचली मरांग बुरु अखड़ा के सदस्यों ने प्रबंधक टी. पी. यादव को ज्ञापन सौंपा।
- उद्देश्य: आदिवासी भाषा संरक्षण और सुविधा प्रदान करना।
- आठवीं अनुसूची: संताली भाषा को वर्षों पहले मान्यता मिल चुकी है।
दुमका रेलवे स्टेशन पर परसी अरिचली मरांग बुरु अखड़ा के सदस्यों ने प्रबंधक टी. पी. यादव को ज्ञापन देकर मांग की कि स्टेशन का नाम संताली (ओलचिकी) में लिखा जाए और उद्घोषणा भी संताली भाषा में की जाए।
आदिवासी बहुल क्षेत्र का महत्व
अखड़ा ने कहा कि दुमका आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है और यहां संताल आदिवासी बड़ी संख्या में रहते हैं। स्टेशन का नाम और उद्घोषणा संताली में होने से न केवल उनकी सुविधा बढ़ेगी बल्कि उनकी भाषा और ओलचिकी लिपि को भी संरक्षण मिलेगा।
आठवीं अनुसूची में मान्यता
अखड़ा ने यह भी बताया कि संताली भाषा को भारत सरकार ने आठवीं अनुसूची में वर्षों पहले मान्यता दी है। इसके बावजूद, रेलवे स्टेशन पर न तो नाम संताली में लिखा गया है और न ही उद्घोषणा की जाती है। इसे अखड़ा ने दुःखद बताया।
अखड़ा के सदस्यों की उपस्थिति
ज्ञापन सौंपने वालों में परेश मुर्मू, सुभाष किरक, एमेल मरांडी, राजाधन हेंब्रम, एंथोनी किस्कू, संजीव टुडू, बादल मरांडी, सुनील टुडू, धर्मलाल मुर्मू, और सोनेलाल मुर्मू शामिल थे।
भविष्य की उम्मीद
अखड़ा ने अपनी मांग पर जोर देते हुए कहा कि संताली भाषा में स्टेशन का नाम और उद्घोषणा होना आदिवासी समुदाय के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी।
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