
#दुमका – संताल बाहुल्य क्षेत्रों में ओल चिकी लिपि को अधिकार दिलाने के लिए ग्रामीणों की बैठक:
- मसलिया और जामा प्रखंड के विभिन्न गांवों में ग्रामीणों ने बैठक कर संताली ओल चिकी लिपि लागू करने की मांग की।
- शिक्षण संस्थानों में सभी विषयों की पढ़ाई संताली ओल चिकी लिपि में कराए जाने की अपील।
- सरकारी कार्यालयों के नामपट्टों पर भी संताली भाषा में अंकन की मांग।
- सरकार द्वारा दिए गए निर्देशों के बावजूद कई कार्यालयों में नामपट्ट संताली लिपि में नहीं लिखे गए।
- ग्रामीणों ने चेतावनी दी – अगर मांगें नहीं मानी गईं तो आंदोलन तेज किया जाएगा।
संताली भाषा के अधिकार के लिए ग्रामीणों की बैठक
रविवार को दुमका जिला के मसलिया और जामा प्रखंड के झिलुवा, मसलिया, उपरबहाल सहित विभिन्न गांवों में पारंपरिक मांझी परगना व्यवस्था के तहत बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक में ग्रामीणों ने संताली ओल चिकी लिपि को शिक्षण संस्थानों में अनिवार्य रूप से लागू करने और झारखंड के संताल बाहुल्य क्षेत्रों में सरकारी भवनों के नामपट्टों पर संताली लिपि में अंकन कराने की मांग की।
बैठक के पूर्व ग्रामीणों ने पूज्य स्थल मांझी थान में पूजा-अर्चना की और फिर अपने अधिकारों को लेकर चर्चा की। ग्रामीणों का कहना था कि पश्चिम बंगाल की तर्ज पर झारखंड में भी सभी विषयों की पढ़ाई संताली ओल चिकी लिपि में कराई जानी चाहिए।
सरकारी निर्देशों के बावजूद संताली लिपि की उपेक्षा
ग्रामीणों ने बताया कि झारखंड सरकार के कार्मिक, प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग के पत्रांक 15/विविध-एक फरवरी 2019 के आदेशानुसार, संताल बाहुल्य क्षेत्रों में सरकारी कार्यालयों के नामपट्ट संताली भाषा के ओल चिकी लिपि में भी लिखे जाने चाहिए। लेकिन अब तक दुमका सहित अन्य संताल बाहुल्य क्षेत्रों में कई सरकारी कार्यालयों में इस आदेश का पालन नहीं किया गया।
ग्रामीणों ने सरकार से मांग की कि जो कार्यालय इस आदेश का पालन नहीं कर रहे हैं, उनके नामपट्ट को तुरंत ओल चिकी लिपि में लिखा जाए।
मांग पूरी नहीं हुई तो आंदोलन होगा तेज
ग्रामीणों ने चेतावनी दी कि अगर सरकार और प्रशासन जल्द ही उनकी मांगों को पूरा नहीं करते हैं, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा। यह संताल समुदाय के अस्तित्व और सम्मान की लड़ाई है, जिसमें किसी भी प्रकार की अनदेखी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
बैठक में शामिल प्रमुख लोग
इस महत्वपूर्ण बैठक में संताल समाज के कई प्रमुख लोग उपस्थित थे, जिनमें शामिल हैं:
- सुरेंद्र किस्कू
- लखन किस्कू
- देना किस्कू
- सुनील किस्कू
- लुखिराम किस्कू
- गोपिन किस्कू
- चुरू मुर्मू
- देवराज हेम्ब्रम
- लखिन्दर हेम्ब्रम
- मनोज मुर्मू
- सूर्यदेव हेम्ब्रम
- संजय हांसदा
- मार्गेन मरांडी
- राजकिशोर मरांडी
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