
#दुमका #पंचायत_व्यवस्था – कुसुमघटा पंचायत में नहीं दिखे मुखिया-सचिव, जनता भटकी, जवाबदेही पर उठे सवाल
- गुरुवार को मनाए जाने वाले पंचायत दिवस में अनुपस्थित रहे कुसुमघटा पंचायत के प्रमुख पदाधिकारी
- मुखिया और पंचायत सचिव सुबह 11 बजे तक नहीं पहुंचे, भवन का ताला प्रज्ञा केंद्र संचालक ने खोला
- सरकार के मिनी सचिवालय मॉडल की उड़ाई जा रही धज्जियां, ग्रामीण परेशान
- स्थानीय लोगों ने बताया मनमाने तरीके से चल रहा है पंचायत संचालन
- बीडीओ अजफर हसनैन ने अनुपस्थित पदाधिकारियों से जवाब तलब करने की बात कही
- प्रखंड कार्यालय की निष्क्रियता से पंचायत कर्मियों का मनोबल बढ़ा
शासन के आदेश की अनदेखी, कुसुमघटा बना उदाहरण
दुमका जिले के मसलिया प्रखंड के अंतर्गत आने वाले कुसुमघटा पंचायत सचिवालय में गुरुवार को साप्ताहिक पंचायत दिवस की अनदेखी चर्चा का विषय बन गई। सुबह 11 बजे तक न तो पंचायत के मुखिया जगरनाथ सिंह और न ही सचिव सदानंद होरो मौजूद थे। स्थानीय प्रज्ञा केंद्र संचालक ने ताला खोलकर किसी तरह पंचायत भवन को खोला।
सरकार द्वारा हर पंचायत को मिनी सचिवालय के तौर पर विकसित करने की जो योजना बनाई गई है, उसमें जनप्रतिनिधियों की यह लापरवाही गंभीर सवाल खड़े करती है।
जनता हुई परेशान, नियमों की उड़ रही धज्जियां
पंचायत दिवस के दिन हर पंचायत प्रतिनिधि को पंचायत भवन में उपस्थित रहना अनिवार्य किया गया है, ताकि आमजन को योजनाओं और शिकायतों के समाधान के लिए प्रखंड कार्यालय का चक्कर न लगाना पड़े।
पंचायत भवन पहुंचे लोगों ने बताया कि यहां कोई समय-सारणी नहीं मानी जाती। एक व्यक्ति ने नाम न छापने की शर्त पर कहा:
“यहां सब कुछ मनमाने ढंग से चलता है। न समय तय है, न जवाबदेही। इससे जनता की परेशानी बढ़ रही है।”
बीडीओ का बयान, होगी पूछताछ
इस पूरे मामले को लेकर प्रखंड विकास पदाधिकारी अजफर हसनैन ने कहा कि पंचायत दिवस के दिन पदाधिकारियों की अनुपस्थिति गंभीर मामला है और इसके लिए कारण पूछा जाएगा।
“हमने निर्देश दिए हैं कि हर पंचायत प्रतिनिधि पंचायत दिवस पर मौजूद रहें। अनुपस्थिति पर विभागीय कार्रवाई तय है।”
— अजफर हसनैन, बीडीओ
हालांकि, इससे पहले ऐसे मामलों में कोई सख्त कार्रवाई न होने से पंचायत कर्मियों का मनोबल बढ़ता जा रहा है, जो शासन-प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है।
न्यूज़ देखो : पंचायत व्यवस्था पर हमारी पैनी नजर
न्यूज़ देखो की टीम गांव-गांव जाकर पंचायती राज व्यवस्था की जमीनी हकीकत सामने ला रही है। कुसुमघटा पंचायत की लापरवाही ने दिखा दिया है कि सरकारी योजनाओं की सफलता में स्थानीय जवाबदेही कितनी ज़रूरी है। हम आपके लिए लाते रहेंगे ऐसे ही बेबाक और ज़मीनी खबरें।
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