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दुमका में फर्जी डिग्री से चल रही थी शिक्षा की दुकान, 17 शिक्षक कार्यमुक्त

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#दुमका #फर्जी_शिक्षक – गोपीकांदर प्रखंड में वर्षों से फर्जी डिग्रियों के सहारे नौकरी कर रहे थे शिक्षक, जांच में खुला बड़ा घोटाला

  • दुमका के 17 सहायक शिक्षक फर्जी प्रमाणपत्र के आधार पर नौकरी करते पाए गए
  • उत्तर प्रदेश के गैर-मान्यता प्राप्त संस्थानों से ली गई थीं शैक्षणिक डिग्रियां
  • जिला शिक्षा अधीक्षक ने सभी को तत्काल प्रभाव से कार्यमुक्त करने का आदेश जारी किया
  • मानदेय भी बंद, विभागीय स्तर पर आगे की कानूनी कार्रवाई शुरू
  • बीईईओ को सात दिन में रिपोर्ट देने का निर्देश, लापरवाही पर कार्रवाई की चेतावनी
  • घटना ने जिला शिक्षा व्यवस्था की पारदर्शिता पर खड़े किए सवाल

जिला शिक्षा कार्यालय की जांच से उजागर हुआ फर्जीवाड़ा

दुमका जिले के गोपीकांदर प्रखंड में शिक्षा व्यवस्था की सच्चाई तब सामने आई जब जिला शिक्षा अधीक्षक कार्यालय ने शिक्षकों के शैक्षणिक प्रमाणपत्रों की गहन जांच शुरू की। जांच में 17 सहायक शिक्षकों के प्रमाणपत्र फर्जी पाए गए, जो वर्षों से बच्चों को शिक्षा दे रहे थे। इनमें प्रयाग महिला विद्यापीठ इलाहाबाद, भारतीय शिक्षा परिषद उत्तरप्रदेश, हिंदी साहित्य सम्मेलन प्रयाग इलाहाबाद जैसे गैर-मान्यता प्राप्त संस्थानों से डिग्रियां ली गई थीं।

झारखंड सरकार की अधिसूचना संख्या 16/य0 1-04/2022-238, दिनांक 14 फरवरी 2022 के तहत ये संस्थान मान्यता प्राप्त नहीं हैं, और ऐसे किसी भी प्रमाणपत्र के आधार पर नौकरी अवैध मानी जाती है। जिला कार्यालय ने स्पष्ट किया है कि इन शिक्षकों के खिलाफ वैधानिक कार्रवाई अनिवार्य है।

बीईईओ को सख्त निर्देश, सूचना न देने पर होगी कार्रवाई

दुमका जिला कार्यालय ने प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी (BEEO) को पत्र जारी करते हुए सभी 17 शिक्षकों को कार्यमुक्त करने और आगे की रिपोर्ट सात दिनों के भीतर सौंपने का निर्देश दिया है। पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि अगर समय पर सूचना नहीं दी जाती तो बीईईओ पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी

“हमने सभी शिक्षकों को जिला कार्यालय बुलाया और दस्तावेजों की पुष्टि के बाद तत्काल प्रभाव से उन्हें कार्यमुक्त कर दिया। आगे की जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी।” — बीईईओ सुरेंद्र हेम्ब्रम

ये हैं फर्जी प्रमाणपत्र वाले शिक्षक जिनपर गिरी गाज

कार्यमुक्त किए गए शिक्षकों में नाम शामिल हैं — अश्वनी कुमार तिवारी (यूएमएस मोहुलडाबर), शोभा देवी (यूएमएस कुश्चिरा), आनंद मरांडी और अंसुता हेम्ब्रम (यूपीएस खटांगी), मदन बास्की और स्टीफन हेम्ब्रम (यूएमएस खाजुरडंगाल), जॉन किस्कू (यूपीएस आमझारी भुटू टोला), महेश्वर टूडू (यूपीएस कलाईपूरा कोसल टोला), सुनीता हेम्ब्रम (यूएमएस ओडमो), रामजतन हांसदा (यूएमएस अमझारी), बबलू देहरी (यूपीएस सिलंगी पहाड़), इलियास सोरेन (यूपीएस चिरुडीह), उकील मरांडी (यूएमएस ओडमो), कविता हांसदा (एनपीएस टेसाफूली), फुलमनी हेम्ब्रम (यूपीएस ओडमो जंगल टोला), डोली दुरसिला मरांडी (एनपीएस पिंडरगाड़िया) और मगदालीना मुर्मू (यूपीएस गुमापहाड़ी)।

जिले में पहले भी सामने आ चुके हैं ऐसे मामले

दुमका जिले में यह पहली बार नहीं हुआ है। इससे पहले भी अन्य प्रखंडों में फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर कार्यरत शिक्षकों को हटाया जा चुका है। शिक्षा विभाग द्वारा समय-समय पर की जा रही जांच में यह स्पष्ट होता जा रहा है कि कई शिक्षक संदिग्ध प्रमाणपत्रों के जरिए वर्षों से सरकारी नौकरियों में जमे हुए हैं।

जिला प्रशासन की अगली चुनौती होगी कि इस तरह की नियुक्तियों की पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए और शिक्षा प्रणाली को भ्रष्टाचार से मुक्त रखा जाए।

न्यूज़ देखो : भ्रष्ट शिक्षा प्रणाली पर हमारी पैनी नज़र

न्यूज़ देखो की टीम हर उस खबर पर नजर रखती है, जो समाज और बच्चों के भविष्य से जुड़ी हो। फर्जी प्रमाणपत्रों के सहारे नौकरी कर रहे शिक्षकों का खुलासा न केवल प्रशासनिक लापरवाही का प्रमाण है, बल्कि शिक्षा व्यवस्था की बुनियाद पर भी सवाल खड़ा करता है। हम आगे भी ऐसे मामलों की जमीनी पड़ताल करते रहेंगे।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

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