#डुमरी #रेलआंदोलन : कुड़मी समाज की एसटी सूची में शामिल किए जाने की मांग पर कल से अनिश्चितकालीन रेल टेका डहर छेका आंदोलन
- डुमरी विधायक जयराम महतो ने रेल टेका आंदोलन में शामिल होने का अंतिम ऐलान किया।
- आंदोलन का नेतृत्व आदिवासी कुड़मी समाज करेगा, जो झारखंड, बंगाल और ओडिशा में फैलेगा।
- 20 सितंबर 2025 से अनिश्चितकालीन रेल चक्का जाम शुरू होगा।
- आंदोलन का प्रमुख उद्देश्य कुड़मी समुदाय को अनुसूचित जनजाति सूची में शामिल करना।
- पारसनाथ स्टेशन सहित 40 रेलवे स्टेशनों पर रेल परिचालन बाधित होने की संभावना।
- रेलवे प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की, बाधा डालने वालों पर कार्रवाई का एलान।
डुमरी के विधायक जयराम महतो ने बड़ा राजनीतिक निर्णय लेते हुए ऐलान किया कि वे कुड़मी समाज के रेल टेका डहर छेका आंदोलन में सक्रिय रूप से शामिल होंगे। यह आंदोलन कल 20 सितंबर 2025 से झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में एक साथ शुरू होगा। आंदोलन के तहत रेल चक्का जाम किया जाएगा, जिससे रेल परिचालन बुरी तरह प्रभावित हो सकता है।
आंदोलन का उद्देश्य और पृष्ठभूमि
कुड़मी समाज लंबे समय से अनुसूचित जनजाति (एसटी) सूची में शामिल किए जाने की मांग करता आ रहा है। उनका कहना है कि सामाजिक और सांस्कृतिक आधार पर वे आदिवासी समुदाय का हिस्सा हैं, लेकिन सरकारी नीतियों में उन्हें अब तक एसटी का दर्जा नहीं मिला है। इसी मांग को लेकर रेल टेका डहर छेका आंदोलन का एलान किया गया है।
डुमरी विधायक की घोषणा
विधायक जयराम महतो ने स्पष्ट किया है कि वे इस आंदोलन में न केवल शामिल होंगे, बल्कि पूरी ताकत से कुड़मी समाज की आवाज भी उठाएंगे।
जयराम महतो ने कहा: “कुड़मी समाज की ऐतिहासिक और न्यायसंगत मांग को अब और अनदेखा नहीं किया जा सकता। मैं इस आंदोलन के साथ हूं और हर स्तर पर उनका समर्थन करूंगा।”
उनका यह ऐलान आंदोलन को राजनीतिक और सामाजिक दोनों स्तरों पर बड़ी ताकत देने वाला माना जा रहा है।
रेलवे प्रशासन की तैयारी
आंदोलन के दौरान सबसे ज्यादा असर पारसनाथ स्टेशन और आसपास के कुल 40 रेलवे स्टेशनों पर पड़ेगा। रेलवे प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया है और अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती कर दी गई है। रेलवे अधिकारियों ने साफ कहा है कि रेल परिचालन बाधित करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
संभावित असर
इस आंदोलन के चलते तीनों राज्यों में रेल सेवाएं बाधित हो सकती हैं। यात्रियों को असुविधा का सामना करना पड़ सकता है और मालगाड़ियों के परिचालन पर भी असर पड़ने की आशंका है। आंदोलन के व्यापक प्रभाव को देखते हुए प्रशासन और पुलिस अलर्ट पर हैं।
न्यूज़ देखो: आंदोलन से बढ़ेगा दबाव या बनेगा टकराव
कुड़मी समाज का यह आंदोलन सरकार के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकता है। जहां एक ओर यह मांग उनकी पहचान और अधिकार से जुड़ी है, वहीं दूसरी ओर इससे आम जनता और यात्रियों की परेशानियां भी बढ़ सकती हैं। सरकार को इस मुद्दे पर संतुलित समाधान तलाशना होगा, ताकि न समाज की मांग अनसुनी हो और न ही जनता असुविधा में पड़े।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
न्याय की आवाज और जनता की जिम्मेदारी
कुड़मी समाज की मांग लंबे समय से चली आ रही है। ऐसे में जरूरी है कि समाज के हर वर्ग की आवाज सुनी जाए और समाधान निकाला जाए। आप इस आंदोलन को कैसे देखते हैं, अपनी राय कमेंट करें और खबर को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाएं ताकि जागरूकता फैले।