
#डुमरी #पंचायत_विवाद — विधायक जयराम महतो को लिखे आवेदन में BDO समेत चार अधिकारियों पर लगाया था मानसिक प्रताड़ना का आरोप
- पंचायत सचिव सुखलाल महतो ने डुमरी ब्लॉक परिसर में विषपान कर आत्महत्या का प्रयास किया
- आत्महत्या के प्रयास से पूर्व विधायक को पत्र लिखकर चार अधिकारियों को ठहराया जिम्मेदार
- विधायक जयराम महतो ने ग्रामीण विकास मंत्री से की विभागीय जांच की मांग
- घटना ने प्रखंड स्तर पर प्रशासनिक व्यवस्था और कर्मचारी सुरक्षा को लेकर खड़े किए सवाल
- पत्र की प्रतिलिपि मुख्य सचिव और गिरिडीह उपायुक्त को भी भेजी गई
आत्महत्या के प्रयास से हिल गया प्रखंड, विधायक हुए सक्रिय
डुमरी (गिरिडीह): बलथरिया पंचायत के पंचायत सचिव सुखलाल महतो द्वारा डुमरी प्रखंड परिसर में विषपान कर आत्महत्या का प्रयास करने की घटना ने पूरे प्रखंड प्रशासन को झकझोर कर रख दिया है।
इस गंभीर घटनाक्रम के बाद डुमरी विधायक जयराम कुमार महतो ने राज्य की ग्रामीण विकास मंत्री दीपिका सिंह पाण्डेय को पत्र लिखकर विभागीय जांच की मांग की है।
चार अधिकारियों पर मानसिक प्रताड़ना का आरोप
विधायक को आत्महत्या से पहले लिखे पत्र में सुखलाल महतो ने डुमरी के बीडीओ समेत तीन अन्य अधिकारियों को अपने कृत्य के लिए जिम्मेदार ठहराया है।
विधायक ने अपने पत्र में लिखा कि –
“एक बुजुर्ग कर्मचारी द्वारा व्यवस्था से थक-हार कर आत्महत्या का प्रयास लोकतंत्र व मानवीय मूल्यों पर घात करता है। यह प्रखंड में व्याप्त भ्रष्टाचार की ओर भी इशारा करता है।”
विधायक का हस्तक्षेप और मंत्री से न्यायिक मांग
विधायक जयराम महतो ने पत्रांक MLA/DUM/395/25 के माध्यम से 14 जून 2025 को मंत्री को यह पत्र भेजा।
इस पत्र में उन्होंने स्पष्ट किया कि यह केवल व्यक्तिगत मामला नहीं, बल्कि प्रशासनिक संरचना की विफलता का प्रमाण है।
उन्होंने विभागीय स्तर पर निष्पक्ष जांच और दोषियों के खिलाफ विधिसम्मत कार्रवाई की मांग की है।
मुख्य सचिव और उपायुक्त को भी भेजी गई प्रतिलिपि
विधायक ने पत्र की प्रतिलिपि राज्य के मुख्य सचिव और गिरिडीह उपायुक्त को भी भेजी है ताकि मामले की उच्चस्तरीय निगरानी और त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित हो सके।

न्यूज़ देखो: क्या तंत्र में इंसान की कीमत कम हो गई है?
पंचायत सचिव जैसे ज़मीनी स्तर पर काम करने वाले कर्मियों की हताशा व्यवस्था पर गंभीर प्रश्न खड़े करती है।
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लोकतंत्र में संवेदना और जवाबदेही की जरूरत
इस तरह की घटनाएं सिर्फ कर्मचारियों की नहीं, बल्कि तंत्र की असफलता का प्रमाण हैं।
जरूरत है कि ऐसे मामलों को गंभीरता से लेकर पारदर्शी जांच और सख्त कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में कोई कर्मचारी ऐसी स्थिति तक न पहुंचे।