
#गिरिडीह #प्रवासीमजदूरदुर्घटना : श्रीनिवास इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स में कार्यरत सुरेश महतो की करंट से मौत — एकलौते कमाऊ बेटे की मौत से गांव में पसरा मातम
- भरखर निवासी सुरेश महतो की चेन्नई में करंट लगने से मौत
- हाई टेंशन टावर पर कार्य के दौरान हुआ हादसा, कंपनी पर लापरवाही का आरोप
- सुरेश महतो थे परिवार के इकलौते कमाऊ सदस्य, दो बेटियां और एक बेटा हुआ अनाथ
- घटना की खबर मिलते ही गांव में मातमी सन्नाटा, समाजसेवी सिकंदर अली ने जताया शोक
- मजदूर की मौत से प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा पर फिर उठे सवाल
हाई टेंशन टावर पर करंट लगने से हुई मौत
गिरिडीह जिले के डुमरी थाना क्षेत्र के भरखर गांव निवासी सुरेश महतो (उम्र 32 वर्ष) की चेन्नई में एक काम के दौरान करंट लगने से मौत हो गई। वे श्रीनिवास इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड में कार्यरत थे। जानकारी के अनुसार, 5 जुलाई 2025 को कार्य के दौरान हाई टेंशन टावर में करंट लगने से सुरेश महतो गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उन्हें तत्काल स्थानीय सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन 10 जुलाई को इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।
लापरवाही के आरोप, कंपनी बनी सवालों के घेरे में
परिजनों और गांव वालों का कहना है कि हादसा कंपनी की लापरवाही के कारण हुआ। सुरक्षा उपकरण या आवश्यक सुरक्षा मापदंडों की कमी के चलते सुरेश की जान गई। अब परिवार को न तो पर्याप्त मुआवजा मिला है और न ही कंपनी की ओर से कोई ठोस आश्वासन। ऐसे में प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा, बीमा और ज़िम्मेदारी तय करने की मांग तेज होती जा रही है।
समाजसेवी सिकंदर अली ने कहा: “सरकार को चाहिए कि ऐसे मामलों में प्रवासी मजदूरों के हितों की रक्षा करते हुए ठोस कानून बनाएं और दोषी कंपनियों पर कार्रवाई हो।”
परिजनों में कोहराम, गांव में मातम
सुरेश महतो अपने परिवार के इकलौते कमाऊ सदस्य थे। उनके निधन के बाद घर में पत्नी मालो देवी, बेटियां खुशबू (10) और नीतू (6), और एक वर्षीय पुत्र सुभाष कुमार, तथा बुजुर्ग माता-पिता बेसहारा हो गए हैं। गांव में जैसे ही घटना की सूचना मिली, परिजनों की चीख-पुकार से माहौल गमगीन हो गया। स्थानीय लोगों का कहना है कि अब यह परिवार पूरी तरह टूट गया है और सरकार से सहयोग की जरूरत है।
प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा पर उठे सवाल
यह घटना देशभर में काम करने वाले लाखों प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े करती है। अधिकांश मजदूर दूर राज्यों में जान जोखिम में डालकर कार्य करते हैं, लेकिन उन्हें सुरक्षा, बीमा, मुआवजा या स्थायी रोजगार का कोई भरोसा नहीं होता। झारखंड सरकार और केंद्र सरकार को इस ओर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
न्यूज़ देखो: प्रवासी मजदूरों की अनदेखी कब तक?
सुरेश महतो की मौत न सिर्फ एक व्यक्ति की त्रासदी है, बल्कि यह पूरे सिस्टम की नाकामी को उजागर करती है। कंपनियों की जिम्मेदारी से भागने की प्रवृत्ति, और प्रवासी श्रमिकों के शोषण और असुरक्षा का यह काला सच है। न्यूज़ देखो मांग करता है कि सरकार और श्रम विभाग सुरेश महतो के परिवार को न्याय दिलाएं और ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए कठोर नीतियां बनाएं।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
जागरूक नागरिक बनें, प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा के लिए आवाज़ उठाएं
इस खबर को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाएं। कमेंट करें, साझा करें, और सरकार से प्रवासी श्रमिकों की सुरक्षा के लिए मजबूत नीति की मांग करें। अगर आपके आसपास कोई मजदूर बाहर कार्य कर रहा है, तो उसकी स्थिति की जानकारी रखें और ज़रूरत पड़ने पर उसे उचित सहायता दिलाएं।