
#सिमडेगा #दुर्गा_पूजा : उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक की अध्यक्षता में जिला स्तरीय शांति समिति की बैठक में जिले में शांतिपूर्ण और सौहार्दपूर्ण दुर्गा पूजा के लिए सभी समितियों का सम्मान
- जिला उपायुक्त श्रीमती कंचन सिंह एवं पुलिस अधीक्षक एम. अर्शी की संयुक्त अध्यक्षता में जिला स्तरीय शांति समिति की बैठक हुई।
- बैठक में गीत, कविता, रामायण, रहीम के दोहे और ईसा मसीह के वचन के माध्यम से सामाजिक सौहार्द्र और एकता का संदेश दिया गया।
- पुलिस अधीक्षक ने मो. रफी के भजन के माध्यम से इंसानियत और समाज में प्रेम एवं भाईचारे का संदेश साझा किया।
- सभी धर्म और संप्रदायों के लोगों ने जिले की सौहार्द्र परंपरा को बनाए रखने का संकल्प लिया।
सिमडेगा में आयोजित जिला स्तरीय शांति समिति की बैठक में उपायुक्त श्रीमती कंचन सिंह और पुलिस अधीक्षक एम. अर्शी ने जिले में दुर्गा पूजा के शांति और सौहार्द्रपूर्ण वातावरण में सम्पन्न होने पर सभी पूजा समितियों और समन्वय समितियों के पदाधिकारियों एवं सदस्यों को धन्यवाद दिया। बैठक में उप विकास आयुक्त दीपांकर चौधरी, अनुमंडल पदाधिकारी प्रभात रंजन ज्ञानी, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी बैजू उरांव सहित विभिन्न जनप्रतिनिधि और समाज के गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
गीत, कविता और धार्मिक संदर्भों के माध्यम से संदेश
बैठक का माहौल औपचारिक होने के साथ-साथ आत्मीय भी रहा। उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक ने गीत और कविता के माध्यम से सामाजिक सद्भाव और आपसी समझ का संदेश दिया। उपायुक्त ने रामायण के प्रसंग, रहीम के दोहे और ईसा मसीह के वचन उद्धृत करते हुए कहा कि समाज तभी आगे बढ़ सकता है जब लोग करुणा, क्षमा और सम्मान की भावना रखें।
उपायुक्त श्रीमती कंचन सिंह ने कहा: “शांति और सौहार्द्र हमारे समाज की पहचान हैं। आने वाले समय में भी हमें इस परंपरा को बनाए रखना होगा और सभी वर्गों का सहयोग आवश्यक है।”
भारत की साझा संस्कृति पर जोर
पुलिस अधीक्षक एम. अर्शी ने अपने संबोधन में कहा कि भारत की संस्कृति साझा संस्कृति है, जहाँ सभी धर्म और समुदाय मिलकर पर्व और त्योहार मनाते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि हिंदु और मुस्लिम समाज अलग नहीं हैं, बल्कि सामाजिक ताने-बाने का हिस्सा हैं।
पुलिस अधीक्षक एम. अर्शी ने कहा: “इंसानियत सबसे बड़ा धर्म है। इसी मार्ग पर चलकर हम समाज और देश को शांति और विकास की दिशा में आगे बढ़ा सकते हैं।”
प्रशासन और समाज के बीच सहयोग
बैठक में यह स्पष्ट किया गया कि जिले की शांति समिति केवल कानून व्यवस्था तक सीमित नहीं है, बल्कि समाज में आपसी समझ, संवाद और सहयोग को भी मजबूती देने का कार्य करती है। जिला प्रशासन ने यह भरोसा जताया कि आने वाले समय में भी सभी पर्व-त्योहार इसी तरह शांतिपूर्ण वातावरण में सम्पन्न होंगे।
गौरवपूर्ण सौहार्द्र परंपरा का संकल्प
बैठक में उपस्थित सभी धर्म और संप्रदायों के लोगों ने जिले की गौरवपूर्ण सौहार्द्र परंपरा को बनाए रखने का संकल्प लिया। सभी ने कहा कि प्रशासन और समाज के सहयोग से सिमडेगा को शांति और सौहार्द्र का मॉडल जिला बनाया जा सकता है।
शोक व्यक्त
बैठक के अंत में पूर्व प्रधान महालेखाकार एवं समाजसेवी बेंजामिन लकड़ा के निधन पर गहरी संवेदना व्यक्त की गई और उनकी आत्मा की शांति हेतु 2 मिनट का मौन रखा गया।

न्यूज़ देखो: सिमडेगा में शांति और सौहार्द्र की मिसाल
यह बैठक दिखाती है कि प्रशासन और समाज मिलकर कैसे धार्मिक पर्वों को शांतिपूर्ण और उल्लासपूर्ण वातावरण में मनाने का प्रयास करते हैं। गीत, कविता और धार्मिक संदर्भों के माध्यम से लोगों को एकता और भाईचारे की सीख दी गई।
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