
#गढ़वा #दुर्गापूजा : ऐतिहासिक गढ़देवी मंदिर की परंपरा, कंधों पर उठाकर की गई मां दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन
- गढ़देवी मंदिर की प्रतिमा को श्रद्धालुओं ने कंधे पर उठाकर किया विसर्जन।
- सोनपुरवा तालाब में उमड़ी भारी भीड़, नम आंखों से दी गई मां को विदाई।
- जिले के अन्य पूजा पंडालों की प्रतिमाओं का भी गुरुवार को विसर्जन।
- पूरे विसर्जन में रही पुलिस-प्रशासन की सख्त चौकसी।
- जय मां शेरावाली भंडारा का आयोजन लगातार 25वें वर्ष भी जारी।
गढ़वा जिला मुख्यालय के ऐतिहासिक गढ़देवी मंदिर परिसर से दुर्गा पूजा की प्रतिमा विसर्जन यात्रा का शुभारंभ हुआ। विशेषता यह रही कि यहां की प्रतिमा को परंपरा के अनुरूप श्रद्धालुओं ने अपने कंधों पर उठाकर सोनपुरवा स्थित रामबांध तालाब तक ले जाया। इस दौरान मां की अंतिम झलक पाने और प्रतिमा को कंधा देने के लिए श्रद्धालुओं में होड़ सी मच गई। लाल चुनरी ओढ़े भक्तों ने मां को जयकारों के बीच विदाई दी।
नम आंखों से मां की विदाई
पूजा अर्चना और विशेष आरती के बाद श्रद्धालुओं ने मां की प्रतिमा को नम आंखों से विदाई दी। गढ़वा की इस परंपरा को देखने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे। विसर्जन यात्रा के दौरान तालाब परिसर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी और भक्तिमय माहौल में ‘जय माता दी’ के नारों से गूंजता रहा।
जिले भर में प्रतिमाओं का विसर्जन
गढ़देवी मंदिर की प्रतिमा के विसर्जन के साथ-साथ जिले के अन्य पूजा पंडालों की प्रतिमाओं का भी गुरुवार को विधिवत विसर्जन किया गया। इनमें जय माता दी संघ सोनपुरवा, जय भारत संघ टंडवा, जय भवानी संघ संगत मोहल्ला, पुरानी बाजार, जय मां शेरावाली संघ भगलपुर, चिनियां रोड, नाहर चौक, मां वैष्णव संघ टंडवा टांडी, जय मां पूजा समिति नवादा मोड़ जैसे पंडाल शामिल रहे।
सुरक्षा व्यवस्था रही चाक-चौबंद
विसर्जन को लेकर पुलिस-प्रशासन की विशेष चौकसी रही। कई स्थानों पर पुलिस अधिकारी स्वयं सुरक्षा व्यवस्था में लगे रहे। थाना प्रभारी समेत पुलिस बल ने जुलूस मार्ग और चौक-चौराहों पर तैनाती की। इस दौरान पूरे जिले में शांति और सौहार्द का माहौल बना रहा।
25 वर्षों से जारी जय मां शेरावाली भंडारा
गढ़देवी मंदिर परिसर में आयोजित जय मां शेरावाली भंडारा का आयोजन इस वर्ष लगातार 25वें वर्ष भी हुआ। आयोजन समिति के अध्यक्ष सुनील कुमार उर्फ नागर ने बताया कि सप्तमी से लेकर दशमी तक प्रतिदिन भव्य भंडारा होता है। शहरवासियों के सहयोग से यह परंपरा वर्षों से जारी है। श्रद्धालुओं ने भंडारे का प्रसाद ग्रहण कर आनंद लिया।
विभिन्न पूजा पंडालों में भंडारा और प्रसाद वितरण
शहर के नवादा मोड़ विशुनपुर पंडाल, टंडवा देवी धाम, मां शेरावाली भंडारा, अन्नपूर्णा मंदिर सहित कई पंडालों में भी भंडारा का आयोजन किया गया। कहीं खीर, कहीं दही-पूड़ी और कहीं बुंदिया-पूड़ी का प्रसाद श्रद्धालुओं में वितरित हुआ।
दूध की किल्लत
भंडारे और प्रसाद में खीर के व्यापक उपयोग के कारण शहर में दूध की भारी किल्लत हो गई। सुधा, मेधा, आशीर्वाद जैसे ब्रांड का दूध भी किराना दुकानों से नदारद रहा।





न्यूज़ देखो: आस्था और परंपरा का अनूठा संगम
गढ़वा की दुर्गा पूजा ने एक बार फिर दिखा दिया कि यह केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि आस्था, परंपरा और सामाजिक सहभागिता का उत्सव है। मां गढ़देवी की विदाई ने हर आंख को नम किया, लेकिन साथ ही समाज को एकजुटता और शांति का संदेश भी दिया।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
विदाई में छिपा है नव आरंभ का संदेश
मां दुर्गा की प्रतिमा विसर्जन हमें यह याद दिलाती है कि विदाई कोई अंत नहीं, बल्कि एक नए आरंभ की तैयारी है। गढ़वा की परंपरा और श्रद्धा ने यह साबित किया कि समाज संगठित होकर हर पर्व को भव्यता और सौहार्द के साथ मना सकता है। आइए, इस प्रेरक संदेश को साझा करें और अपनी राय व्यक्त करें।