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दुर्गा पूजा में परंपरा और भव्यता का संगम, भगलपुर टंडवा में जय माँ शेरावाली संघ ने पंडाल का प्रारूप जारी किया

#गढ़वा #भगलपुर #दुर्गापूजा : सोशल मीडिया पर जारी डिजाइन से भक्तों में बढ़ी उत्सुकता

भगलपुर टंडवा में इस वर्ष की दुर्गा पूजा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि भव्यता और रचनात्मकता का अद्भुत संगम बनने जा रही है। सोमवार को जय माँ शेरावाली संघ ने इस वर्ष के पंडाल का प्रारूप सोशल मीडिया पर जारी किया, जिसे संघ के संयोजक दौलत सोनी ने स्वयं साझा किया। इस डिज़ाइन के सामने आते ही इलाके के भक्तों में उत्सुकता बढ़ गई है कि इस बार का पंडाल वास्तविकता में कैसा दिखाई देगा।

अध्यक्ष सुनील कुमार का संकल्प

संघ के अध्यक्ष सुनील कुमार, जो लगातार आठ वर्षों से इस पद पर रहकर आयोजन का नेतृत्व कर रहे हैं, ने बताया कि संघ की कोशिश हमेशा यही रहती है कि भव्यता के साथ श्रद्धालुओं की आस्था का सम्मान हो।

सुनील कुमार ने कहा: “जय माँ शेरावाली संघ के हर आयोजन में हमारी कोशिश रहती है कि भव्यता के साथ श्रद्धालुओं की आस्था का सम्मान हो। इस बार भी लोगों को एक यादगार अनुभव देने की पूरी तैयारी है।”

पुरस्कारों से बढ़ी सबकी उम्मीदें

पिछले दो वर्षों से नगर परिषद द्वारा लगातार प्रथम पुरस्कार मिलने के बाद इस बार लोगों की अपेक्षाएं और भी ऊंची हैं। पंडाल की अनुमानित लागत लगभग ₹7 लाख है, इसके अलावा हर साल की तरह माँ के विशेष श्रृंगार पर ही ₹1 लाख का खर्च होगा। यह श्रृंगार विशेष रूप से कोलकाता से मंगाया जाता है, जो आयोजन की शोभा को और बढ़ा देता है।

भक्ति और संगीत का संगम

मुख्य पुजारी आचार्य आशीष वैद्य पिछले पांच वर्षों से संगीतमय पूजन कर रहे हैं। उनके मंत्रोच्चारण से पूजा पंडाल का माहौल भक्ति रस से सराबोर हो जाता है। इस बार भी भक्तों को उसी दिव्य अनुभव की प्रतीक्षा है।

नौ वर्षों में बनी खास पहचान

2017 में गठित जय माँ शेरावाली संघ ने महज नौ वर्षों में जिले में अपनी अलग पहचान बना ली है। हर वर्ष यहां की सजावट, अनुशासन, स्वच्छता और भव्य कार्यक्रम देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं।

भक्तों में बढ़ी बेसब्री

सोशल मीडिया पर पंडाल की डिजाइन देखने के बाद से ही इलाके में चर्चा तेज हो गई है। भक्तों का कहना है कि जब तस्वीर इतनी आकर्षक है, तो असल पंडाल का दृश्य और भी अद्भुत होगा।

न्यूज़ देखो: परंपरा में नयापन, आस्था में नवाचार

जय माँ शेरावाली संघ का यह प्रयास बताता है कि धार्मिक आयोजनों में परंपरा के साथ रचनात्मकता भी संभव है। जब भव्य सजावट, अनुशासन और भक्तिभाव एक साथ आते हैं, तो आयोजन सिर्फ पूजा न रहकर समाज को जोड़ने वाला उत्सव बन जाता है। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

आस्था को नई ऊंचाई देने का संकल्प

यह दुर्गा पूजा सिर्फ देवी माँ की आराधना नहीं, बल्कि संस्कृति, कला और सामाजिक एकजुटता का प्रतीक है। आइए, हम सब इस आयोजन में शामिल होकर अपनी परंपरा को और समृद्ध करें। इस खबर को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाएं ताकि इस प्रेरणा का विस्तार हो।

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