
#बारेसाढ़ #फर्जीडिमांडकांड – गांव में उथल-पुथल, ग्रामीणों में रोष, मनरेगा के नाम पर बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर
- 28 मई से 12 जून तक की एडवांस डिमांड दर्ज – बिना रोजगार सेविका के हस्ताक्षर
- चंचल प्रसाद पर लगा योजना घोटाले में सक्रिय भूमिका निभाने का आरोप
- रोजगार सेविका आरती कुमारी ने डिमांड से खुद को किया अलग
- मनरेगा एक्ट का उल्लंघन और योजना में जबरदस्त पारदर्शिता संकट
- ग्रामीण बोले: पत्रकारिता की आड़ में हो रहा भ्रष्टाचार
मनरेगा योजना में फर्जीवाड़ा, योजनागत डिटेल्स से हुआ खुलासा
गारु प्रखंड अंतर्गत बारेसाढ़ पंचायत से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है। मनरेगा योजना के अंतर्गत एक कथित योजना “राजेन्द्र प्रसाद का जमीन में डोभा निर्माण” (योजना कोड: 3406006002/IF/7080904059921) में फर्जी डिमांड दर्ज कराने का मामला सामने आया है।
लाभुक दीपिका कुमारी (जॉब कार्ड: 7010) के नाम पर पत्रकार चंचल प्रसाद द्वारा बिना रोजगार सेविका के हस्ताक्षर के एडवांस डिमांड 28 मई से 12 जून 2025 तक के लिए सिस्टम में दर्ज करवा दी गई।
रोजगार सेविका ने खुद को बताया अनभिज्ञ
इस मामले में संबंधित रोजगार सेविका आरती कुमारी ने स्पष्ट कहा है कि:
“मेरे हस्ताक्षर के बिना योजना की डिमांड सिस्टम में कैसे चढ़ी, मुझे जानकारी नहीं। यह पूर्ण रूप से मनरेगा एक्ट का उल्लंघन और फर्जीवाड़ा है।”
– आरती कुमारी, रोजगार सेविका
ग्रामीणों का फूटा गुस्सा
बारेसाढ़ के स्थानीय ग्रामीणों का आरोप है कि चंचल प्रसाद पत्रकारिता की आड़ में व्यक्तिगत हित साध रहा है और योजनाओं में बिना प्रक्रिया के हस्तक्षेप कर रहा है। ग्रामीणों ने उसके इस व्यवहार को “बेशर्मी और सत्ता के दुरुपयोग” की संज्ञा दी है।
“जो करना है कर लो” – इस तरह का बयान देने वाला व्यक्ति पत्रकार नहीं हो सकता। ये सरासर भ्रष्टाचार है।
– एक स्थानीय ग्रामीण
जनता की मांग: सख्त कार्रवाई और पारदर्शिता
बारेसाढ़ पंचायत के लोगों ने इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। ग्रामीणों ने प्रशासन से आग्रह किया है कि:
- दोषियों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई हो
- मनरेगा सिस्टम में ऑनलाइन डिमांड प्रक्रिया की सघन जांच हो
- रोजगार सेवकों की सहमति के बिना कोई डिमांड सिस्टम में न चढ़े

‘न्यूज़ देखो’ – भ्रष्टाचार के खिलाफ जनता की आवाज
‘न्यूज़ देखो’ हमेशा जनहित की बात करता है। चाहे योजना का घोटाला हो या तंत्र की चूक, हम हर सच को उजागर करते हैं। मनरेगा जैसी जनकल्याणकारी योजना में पारदर्शिता और जवाबदेही अनिवार्य है, ताकि अंतिम व्यक्ति तक विकास पहुंचे।
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