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शिक्षा है जीवन की असली चाबी: बाल विवाह के खिलाफ संत जेवियर्स कॉलेज में जागरूकता कार्यक्रम

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#महुआडांड़ #बालविवाह_प्रतिषेध : नुक्कड़ नाटक और संकल्प के साथ छात्रों ने दिया जागरूकता का संदेश
  • संत जेवियर्स महाविद्यालय में बाल विवाह प्रतिषेध कार्यक्रम का आयोजन हुआ।
  • विद्यार्थियों ने नुक्कड़ नाटक और नारों के जरिए समाज को जागरूक किया।
  • प्राचार्य डॉ. फादर एम. के. जोश ने शिक्षा को जीवन की कुंजी बताया।
  • प्रो. अदिति ने कहा बाल विवाह कोई परंपरा नहीं, बल्कि समाज पर कलंक है।
  • शपथ ग्रहण के साथ बाल विवाह रोकने का संकल्प लिया गया।

महुआडांड़ प्रखंड मुख्यालय स्थित संत जेवियर्स महाविद्यालय में बाल विवाह प्रतिषेध कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इस अवसर पर विद्यार्थियों ने सामाजिक जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होंने गीत, नारे और संवाद के जरिए बाल विवाह जैसी कुप्रथा को रोकने का संदेश दिया।

शिक्षा ही सबसे बड़ा हथियार

महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. फादर एम. के. जोश ने अपने संबोधन में कहा कि भारत सरकार ने बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 लागू किया है, जिसके तहत लड़कों की शादी की न्यूनतम आयु 21 वर्ष और लड़कियों की 18 वर्ष तय है। लेकिन कई गांव और समाज में लोग इसका पालन नहीं करते। इसके कारण बच्चों के स्वास्थ्य, जीवन और भविष्य पर गहरा असर पड़ता है। उन्होंने कहा कि—

डॉ. फादर एम. के. जोश: “हमें बाल विवाह को रोकने के लिए कानून का सहारा लेना होगा, समाज में जागरूकता बढ़ानी होगी और सबसे महत्वपूर्ण, लड़कियों को शिक्षा और आर्थिक अवसर उपलब्ध कराने होंगे। तभी भारत एक सशक्त और सुदृढ़ राष्ट्र बन सकेगा।”

समाज पर बोझ नहीं, बेटियां हैं शक्ति

अर्थशास्त्र की असिस्टेंट प्रोफेसर अदिति मैम ने अपने वक्तव्य में कहा कि समाज में बाल विवाह जैसी कुप्रथा को खत्म करने के लिए लोगों की सोच बदलनी होगी। उन्होंने कहा कि—

प्रो. अदिति: “यह कोई परंपरागत प्रैक्टिस नहीं बल्कि एक भयंकर बुराई है। लड़कियों को शिक्षा और कौशल देकर आर्थिक रूप से मजबूत बनाना ही समाधान है।”

उन्होंने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसी योजनाओं की भूमिका को भी रेखांकित किया और कहा कि लगातार अभियान चलाकर समाज को जागरूक करना समय की जरूरत है।

शपथ और सामाजिक भागीदारी

कार्यक्रम के अंत में असिस्टेंट प्रोफेसर सुरभि सिन्हा ने सभी उपस्थित लोगों को शपथ दिलाई कि वे बाल विवाह को रोकने और समाज को इसके प्रति जागरूक करने के लिए सक्रिय भूमिका निभाएंगे। इस मौके पर उप प्राचार्य डॉ. फादर समीर टोप्पो, शिक्षक प्रतिनिधि ज़फ़र इक़बाल, असिस्टेंट प्रोफेसर फादर राजीप तिर्की, फादर लियो, डॉ. प्यारी कुजूर, शशि शेखर, सुरभि सिन्हा, शेफाली प्रकाश, रोज़ी सुष्मिता तिर्की, शिल्पी होरो, अंशु अंकिता, शालिनी बाड़ा समेत सभी शिक्षक और छात्र-छात्राएँ मौजूद रहे।

बदलाव की राह पर शिक्षा

इस पूरे कार्यक्रम ने साफ कर दिया कि बाल विवाह जैसी बुराई को समाप्त करने का रास्ता शिक्षा और जागरूकता से ही होकर गुजरता है। बच्चों का बचपन सुरक्षित रहेगा तभी समाज और राष्ट्र का भविष्य उज्जवल बन सकेगा।

न्यूज़ देखो: जागरूकता से जलेगा बदलाव का दीपक

महुआडांड़ से उठी यह पहल बताती है कि सामाजिक बुराइयों से लड़ने के लिए सबसे बड़ा हथियार शिक्षा और जागरूकता है। आने वाली पीढ़ी को यही संकल्प समाज को नई दिशा देगा।

हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

अब समाज को लेना होगा ठोस संकल्प

बाल विवाह जैसी कुप्रथा को जड़ से मिटाने का समय आ गया है। हमें अपनी बेटियों को अवसर देना होगा, उन्हें शिक्षा और सम्मान का अधिकार दिलाना होगा। अब समय है कि हम सब मिलकर इस सामाजिक बदलाव की राह पर कदम बढ़ाएँ। अपनी राय साझा करें और इस खबर को आगे बढ़ाकर जागरूकता फैलाएँ।

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