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गढ़वा में हेमंत सरकार के खिलाफ पुतला दहन, अटल क्लिनिक का नाम बदलने पर बवाल

#गढ़वा #राजनीतिकविवाद : अटल क्लिनिक बना मदर टेरेसा एडवांस क्लिनिक, भाजयुमो ने जताया तीखा विरोध

गढ़वा में शनिवार को भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) कार्यकर्ताओं ने झारखंड सरकार के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। हेमंत सोरेन कैबिनेट द्वारा अटल क्लिनिक का नाम बदलकर मदर टेरेसा एडवांस क्लिनिक रखने के फैसले ने प्रदेशभर में बवाल खड़ा कर दिया है।

पुतला दहन कर जताया विरोध

गढ़वा जिला मुख्यालय पर भाजयुमो कार्यकर्ताओं ने हेमंत सरकार का पुतला फूंका। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता भाजयुमो जिलाध्यक्ष रामशीष तिवारी ने की। मौके पर भाजपा जिलाध्यक्ष ठाकुर प्रसाद महतो, गढ़वा विधायक प्रतिनिधि विवेकानंद तिवारी, और अन्य पार्टी नेताओं ने इस निर्णय को महापुरुषों का अपमान करार दिया।

ठाकुर प्रसाद महतो ने कहा: “झारखंड अटल बिहारी वाजपेयी की देन है। क्लिनिक का नाम बदलना तुष्टिकरण मानसिकता का परिचायक है।”

विवेकानंद तिवारी ने आरोप लगाया: “अटल जी भारत रत्न और झारखंड के जनक थे। उनके नाम पर रखे गए क्लिनिक का नाम बदलना जनता का अपमान है।”

भाजपा नेताओं का बयान: आक्रोश और सवाल

भाजपा जिला मीडिया प्रभारी रितेश चौबे ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी ने झारखंड को बनाने-संवारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। “हेमंत सरकार ने यह कदम उठाकर महापुरुषों का सम्मान कलंकित किया है।”

भाजयुमो जिलाध्यक्ष रामशीष तिवारी ने कहा कि नाम बदलकर झामुमो सरकार ने अपनी निम्न मानसिकता को उजागर किया है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने अपना निर्णय वापस नहीं लिया, तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।

प्रदर्शन में बड़ी संख्या में कार्यकर्ता जुटे

इस पुतला दहन कार्यक्रम में भाजपा नेता मुरली श्याम सोनी, भाजपा जिला उपाध्यक्ष संजय ठाकुर, मीडिया प्रभारी रितेश चौबे, विनोद चंद्रवंशी, उमेश कश्यप, खुर्शीद आलम, सुरेंद्र विश्वकर्मा, प्रमोद चौबे, जयंत पांडेय, रितेश दुबे, प्रवीण पाल, विकास तिवारी, अशोक विश्वकर्मा, लक्ष्मीकांत पांडेय, डॉ. लाल मोहन, आयुष दुबे, पियूष चौबे, ओमप्रकाश पासवान सहित दर्जनों कार्यकर्ता शामिल हुए।

न्यूज़ देखो: नाम बदलने पर गरमाई सियासत

अटल बिहारी वाजपेयी झारखंड के निर्माण में सबसे बड़ा नाम हैं। ऐसे में उनके नाम पर बनी योजनाओं का नाम बदलना राजनीतिक टकराव को और बढ़ा सकता है। सरकार और विपक्ष के बीच यह टकराव अब आंदोलन के रूप में सड़कों पर उतर चुका है। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

लोकतंत्र में आवाज उठाना जरूरी

यह विवाद दर्शाता है कि जनता और राजनीतिक दल दोनों ही अपनी भावनाओं से जुड़ी बातों को लेकर सजग हैं। आप क्या सोचते हैं—क्या नाम बदलना सही कदम है? अपनी राय कमेंट में दें और इस खबर को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें।

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