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सिमडेगा में अकीदत और मोहब्बत के साथ मनाई गई ईद मिलाद-उन-नबी जुलूस ए मोहम्मदी बना अमन का पैगाम

#सिमडेगा #ईदमिलादउननबी : पैगंबर मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के जन्मदिन पर निकाली गई जुलूस ए मोहम्मदी—जहां अकीदमंदों ने मोहब्बत और भाईचारे का दिया संदेश

सिमडेगा जिला मुख्यालय और कस्बों में शुक्रवार को ईद मिलाद-उन-नबी का पर्व रोशनियों, नात-ए-पाक और सलाम-ओ-दुरूद की महफिलों से सज गया। जुलूस ए मोहम्मदी में शामिल अकीदमंदों ने रसूल-ए-खुदा की शान अल्लाह-अल्लाह के नारों से फिज़ा को रोशन कर दिया। हर तरफ मोहब्बत, भाईचारा और अमन का माहौल देखने को मिला।

जुलूस का रास्ता और जज़्बा

जुलूस की शुरुआत आजाद बस्ती, खैरनटोली और भट्ठीटोली से हुई। सभी जुलूस एक जगह इकट्ठे होकर महाबीर चौक पहुंचे और फिर खैरनटोली होते हुए वापस आजाद बस्ती लौटे। राहगीरों ने जुलूस का इस्तक़बाल किया। जगह-जगह नातख्वानी और सलाम-ओ-दुरूद की महफिलें हुईं।

नन्हे बच्चे हरे झंडे थामे नजर आए तो नौजवान नारे-ए-तकबीर अल्लाहु अकबर और रसूलुल्लाह जिंदाबाद के नारों से जुलूस को रोशन कर रहे थे।

उलेमा-ए-कराम का बयान

उलेमा-ए-कराम ने कहा: “ईद मिलादुन्नबी हमें याद दिलाती है कि हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम की तालीमात अमन, भाईचारे और मोहब्बत का पैग़ाम हैं। इस्लाम तलवार से नहीं बल्कि अख़लाक़-ए-हुस्ना और इंसानियत से फैला है।”

उलेमा ने कहा कि पैगंबर साहब ने सामाजिक और आर्थिक बुराइयों को खत्म किया, औरतों को हक़ और इज्ज़त दिलाई, और इंसानियत के लिए रहमत बने।

ईद मिलाद-उन-नबी का रूहानी महत्व

यह दिन हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम की पैदाइश की याद में मनाया जाता है। अकीदमंद पूरी रात इबादत में गुजारते हैं और दुआ-ओ-मुनाजात के ज़रिए अल्लाह से रहमत की दरख्वास्त करते हैं। माना जाता है कि इस दिन रहमतों की बारिश होती है।

मुस्लिम समाज के लोग इस दिन मोहब्बत और भाईचारे को फैलाने का इरादा दोहराते हैं। इस मौके पर मस्जिदों और मोहल्लों को रोशनियों से सजाया गया।

अमन और सुरक्षा पर तवज्जो

प्रशासन ने जुलूस के दौरान सख्त इंतजाम किए थे। पुलिस बल की तैनाती हर मुख्य चौक पर रही। सुरक्षा इंतजामों के कारण पूरा कार्यक्रम पर अमन-ओ-चैन के साथ मुकम्मल हुआ।

न्यूज़ देखो: ईद मिलाद से गूंजा अमन का पैग़ाम

सिमडेगा में ईद मिलाद-उन-नबी का जुलूस इस बात का पैगाम देता है कि इस्लाम का असली चेहरा मोहब्बत, अमन और भाईचारे का है। जुलूस ए मोहम्मदी ने इंसानियत की रोशनी फैलाई और समाज को नफरत छोड़कर मोहब्बत अपनाने की याद दिलाई।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

अमन, मोहब्बत और भाईचारे का संकल्प

आज का दिन हमें यह सिखाता है कि मोहब्बत से बढ़कर कोई चीज नहीं। आइए, हम सब मिलकर अमन-ओ-मोहब्बत का पैगाम घर-घर पहुंचाएं। अपनी राय कमेंट करें और इस खबर को दोस्तों तक शेयर करें ताकि यह रोशनी और मोहब्बत दूर तक फैले।

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