
#चंदवा #संदिग्धमौत : हड़गड़वा निवासी आठ वर्षीय बच्ची की अचानक मौत से गांव में शोक – पुलिस जांच में जुटी
- हड़गड़वा गांव में आठ वर्षीय कोमल कुमारी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत।
- दो दिनों से पेट दर्द और तेज बुखार से थी पीड़ित।
- चंदवा अस्पताल में चिकित्सकों ने मृत घोषित किया।
- थाना प्रभारी रणधीर कुमार ने जांच शुरू की।
- ग्रामीणों ने निष्पक्ष जांच की मांग की।
लातेहार जिले के चंदवा प्रखंड में शुक्रवार को एक दर्दनाक घटना सामने आई, जब आठ वर्षीय कोमल कुमारी की अचानक मौत ने पूरे गांव को शोक में डुबो दिया। मृतक बच्ची हड़गड़वा गांव निवासी राजू मुंडा की पुत्री थी। परिजनों के अनुसार, कोमल पिछले दो दिनों से पेट दर्द और तेज बुखार से परेशान थी, जिसके बाद उसे इलाज के लिए चंदवा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया।
इलाज के दौरान हुई मासूम की मौत
अस्पताल पहुंचने पर चिकित्सकों ने प्रारंभिक जांच के बाद बच्ची को मृत घोषित कर दिया। बेटी की मौत की खबर सुनते ही परिजनों में कोहराम मच गया। गांव के लोगों ने बताया कि कोमल कुछ दिन पहले तक पूरी तरह स्वस्थ थी, लेकिन अचानक उसकी तबीयत बिगड़ी और दो दिनों के भीतर ही उसकी मौत हो गई।
पिता राजू मुंडा ने कहा: “हमने सोचा था कि साधारण बुखार है, लेकिन इतनी जल्दी वह हमें छोड़ देगी, यह कभी नहीं सोचा था।”
पुलिस ने शुरू की जांच
घटना की सूचना मिलते ही थाना प्रभारी रणधीर कुमार दल-बल के साथ अस्पताल पहुंचे और मामले की जांच प्रारंभ की। उन्होंने चिकित्सकों और परिजनों से विस्तृत पूछताछ की। पुलिस ने बच्ची के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजने के बाद परिजनों को सौंप दिया। फिलहाल पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि मौत बीमारी से हुई या किसी अन्य कारण से।
थाना प्रभारी रणधीर कुमार ने कहा: “मामले की जांच की जा रही है। रिपोर्ट आने के बाद ही वास्तविक कारणों का पता चल सकेगा।”
गांव में पसरा मातम, लोगों में दहशत
इस घटना से पूरे हड़गड़वा गांव में मातम छा गया है। ग्रामीणों ने बताया कि कोमल बहुत ही मिलनसार और होनहार बच्ची थी। उसकी असामयिक मौत से हर कोई स्तब्ध है। आसपास के गांवों से भी लोग शोक प्रकट करने पहुंचे। ग्रामीणों ने प्रशासन से बच्ची की मौत की निष्पक्ष जांच और रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग की है।
न्यूज़ देखो: मासूम की मौत पर जवाबदेही जरूरी
ऐसी घटनाएं स्वास्थ्य व्यवस्था और ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सा सुविधा की वास्तविक स्थिति पर सवाल उठाती हैं। एक मासूम की मौत सिर्फ परिवार का नहीं, बल्कि समाज का भी दर्द है। प्रशासन को चाहिए कि जल्द से जल्द जांच पूरी कर परिवार को न्याय दिलाए।
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संवेदनशीलता और जिम्मेदारी से जुड़े रहें
कोमल जैसी मासूम जिंदगियों को बचाने के लिए समाज और प्रशासन दोनों को सजग होना होगा। बीमार बच्चों के इलाज में देरी या लापरवाही कभी जानलेवा साबित हो सकती है। अब वक्त है कि हम सब मिलकर अपने गांवों में स्वास्थ्य जागरूकता और त्वरित चिकित्सा व्यवस्था को मजबूत करें। अपनी राय कमेंट करें, खबर साझा करें और ऐसी घटनाओं पर आवाज उठाएं ताकि भविष्य में कोई परिवार इस दर्द से न गुजरे।




