नई दिल्ली: संसद के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन एक राष्ट्र, एक चुनाव विधेयक को लेकर संसद में बड़ा निर्णय लिया गया। भारी हंगामे के बीच लोकसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में संसद का माहौल गरम रहा, जबकि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सांसदों से सदन की गरिमा बनाए रखने की अपील की।
जेपीसी को सौंपा गया एक राष्ट्र, एक चुनाव विधेयक
केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024 और केंद्र शासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक, 2024 को आगे की जांच और विचार-विमर्श के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजने का प्रस्ताव रखा।
इस समिति में कुल 39 सदस्य होंगे, जिनमें 27 सदस्य लोकसभा और 12 सदस्य राज्यसभा से होंगे। समिति का कार्य दोनों विधेयकों पर विस्तृत जांच कर अगली रिपोर्ट लोकसभा के अगले सत्र के अंतिम सप्ताह के पहले दिन तक प्रस्तुत करना होगा।
हंगामे के बीच संसद स्थगित
संसद के दोनों सदनों में विरोध प्रदर्शन का माहौल गर्म रहा। लोकसभा अध्यक्ष ने स्पष्ट निर्देश जारी किए कि संसद भवन के किसी भी गेट पर प्रदर्शन या विरोध नहीं होगा। हालांकि, विपक्षी दलों ने इस निर्णय का विरोध किया, जिसके चलते सदन की कार्यवाही बाधित रही।
एक राष्ट्र, एक चुनाव का महत्व
एक राष्ट्र, एक चुनाव विधेयक का उद्देश्य पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने की प्रक्रिया को लागू करना है। इसके लिए संविधान में आवश्यक संशोधन करने का प्रस्ताव है। यह विधेयक देश की चुनावी प्रक्रिया में बड़ा बदलाव लाने का संकेत देता है।
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