
#दुमका #वृद्धाआश्रम : समाज की बेपरवाही और संवेदनहीनता की तस्वीर बनी यह घटना
- 73 वर्षीय राखी मिर्धा का सोमवार सुबह वृद्धा आश्रम में निधन।
- घरवालों ने साथ लेने से इंकार किया था, आश्रम बना अंतिम सहारा।
- रविवार को तबीयत बिगड़ने पर ले जाया गया अस्पताल, लेकिन बचाया न जा सका।
- नगर थाना पुलिस ने पोस्टमार्टम के बाद शव को आश्रम को सौंपा।
- संस्था ने घरवालों को बुलाकर अंतिम संस्कार के लिए शव सौंपा।
दुमका। शहर के हिजला रोड स्थित वृद्धा आश्रम में रह रहे 73 वर्षीय राखी मिर्धा (निवासी- केवटपाड़ा) का सोमवार सुबह निधन हो गया। पिछले एक साल से वे आश्रम में रह रहे थे क्योंकि परिवार ने उन्हें अपने साथ रखने से साफ इंकार कर दिया था। आश्रम ही उनका सहारा बन गया था, लेकिन बीमारी ने आखिरकार उनकी जिंदगी छीन ली।
अस्पताल में बिगड़ी हालत, सुबह हुई मौत
रविवार को उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई, जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया। डॉक्टरों ने भरसक कोशिश की, लेकिन सोमवार सुबह उनकी मौत हो गई। यह खबर सुनकर आश्रम का माहौल गमगीन हो गया।
पुलिस और आश्रम की भूमिका
नगर थाना पुलिस ने कानूनी प्रक्रिया के तहत पोस्टमार्टम कराया और शव को आश्रम को सौंप दिया। इसके बाद संस्था ने परिजनों को बुलाकर अंतिम संस्कार के लिए शव उनके हवाले कर दिया।
समाज के लिए बड़ा सवाल
राखी मिर्धा की मौत सिर्फ एक व्यक्ति की मृत्यु नहीं है बल्कि समाज की उस तस्वीर को उजागर करती है जहां बुजुर्गों को बोझ मानकर परिवार उनसे किनारा कर लेता है। सवाल यह है कि जब अपने ही साथ छोड़ देते हैं तो इनकी देखभाल कौन करेगा?
न्यूज़ देखो: बुजुर्गों की उपेक्षा समाज पर कलंक
यह घटना हमें याद दिलाती है कि बुजुर्ग केवल परिवार का हिस्सा नहीं, बल्कि उसकी जड़ों की तरह होते हैं। उनकी उपेक्षा पूरे समाज पर एक कलंक है। हर परिवार को यह समझना होगा कि सम्मान और सहारा बुजुर्गों का अधिकार है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
अब समय है बुजुर्गों को सम्मान और सहारा देने का
अब वक्त है कि हम सब अपने बुजुर्गों की देखभाल की जिम्मेदारी उठाएं। घर-परिवार के हर सदस्य को यह सोचना होगा कि कल हमें भी उनकी जगह होना है। अपनी राय कमेंट करें और इस खबर को साझा करें ताकि समाज में जागरूकता फैले।