
#गिरिडीह #बिजलीसंकट #लोडशेडिंग – शहर को चाहिए 30 मेगावाट, मिल रही सिर्फ 20-21 मेगावाट; गर्मी, पानी और पढ़ाई पर सीधा असर
- गिरिडीह शहर के 7 सब-स्टेशन क्षेत्रों में रोजाना बिजली कटौती
- गर्मी के मौसम में शहर को चाहिए 30 मेगावाट, मिल रही केवल 20-21 मेगावाट
- शास्त्री नगर, बरमसिया, कर्बला रोड जैसे इलाके सबसे ज्यादा प्रभावित
- 4-5 घंटे की रोजाना कटौती, व्यापार और बच्चों की पढ़ाई हो रही बाधित
- जसीडीह ग्रिड से कम बिजली आपूर्ति, विद्युत विभाग जल्द समाधान का दावा
बिजली कटौती ने बिगाड़ी गिरिडीह की दिनचर्या
गिरिडीह शहर के शहरी क्षेत्र में पिछले 5 दिनों से लगातार बिजली संकट छाया हुआ है। सिहोडीह, बस स्टैंड, करहरबारी सहित सात सब-स्टेशनों से जुड़े फीडरों में हर रोज एक से दो घंटे की कटौती कर बिजली आपूर्ति की जा रही है, जिससे आम जनता बुरी तरह परेशान है।
व्यापार, पढ़ाई और पानी की व्यवस्था चरमराई
शहर में हर शाम 4-5 घंटे तक बिजली गुल हो रही है, जिससे सबसे ज्यादा दिक्कत छात्रों, व्यापारियों और सामान्य गृहस्थ परिवारों को हो रही है। जिन घरों में इनवर्टर या जेनरेटर की सुविधा नहीं है, वे इस उमस भरे मौसम में अत्यधिक परेशान हैं।
जेई का बयान : “23 घंटे बिजली देने की कोशिश”
विद्युत विभाग के जूनियर इंजीनियर अमित कुमार ने कहा:
“शहर में 24 घंटे में कम से कम 23 घंटे बिजली देने का प्रयास किया जा रहा है। विभाग पूरी कोशिश में लगा है। लेकिन वर्तमान में जसीडीह ग्रिड से ही बिजली की आपूर्ति में कटौती की जा रही है। इस कारण शहर को 30 मेगावाट की जगह सिर्फ 20 से 21 मेगावाट बिजली ही मिल पा रही है। इसी वजह से लोड शेडिंग की समस्या बढ़ी है, जिसे जल्द ठीक करने का प्रयास किया जा रहा है।”
– अमित कुमार, JE, विद्युत विभाग गिरिडीह
कब तक मिलेगा राहत? जनता मांग रही स्थायी समाधान
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि हर साल गर्मी के मौसम में बिजली की यही स्थिति हो जाती है, लेकिन विभाग की ओर से स्थायी समाधान नहीं किया जाता। व्यापार मंडल और नागरिक संगठनों ने बिजली आपूर्ति को सुचारु करने की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपने की बात कही है।
न्यूज़ देखो : जनता की आवाज़, जिम्मेदारों तक
न्यूज़ देखो हर उस मुद्दे को सामने लाने का प्रयास करता है जो सीधे जनता के जीवन को प्रभावित करता है। गिरिडीह की बिजली समस्या भी सिर्फ एक तकनीकी संकट नहीं, बल्कि जन-जीवन का संकट है। हम उम्मीद करते हैं कि जिम्मेदार विभाग इस विषय को गंभीरता से लेते हुए स्थायी समाधान की दिशा में ठोस कदम उठाएंगे।