
#गुमला #बिजलीसंकट : ट्रांसफार्मर जला — गांव के लोग महीनों से परेशान
- चिलम पोखर गांव में एक माह से बिजली गायब।
- ट्रांसफार्मर खराब, बारिश के दौरान बिजली कड़कने से जला।
- ग्रामीणों का आरोप: सरकार सिर्फ वोट मांगने आती है।
- स्थानीय मुखिया की निष्क्रियता से बढ़ी नाराजगी।
- बच्चों की पढ़ाई प्रभावित, अंधेरे में बढ़ा सुरक्षा का खतरा।
- ग्रामीणों ने तुरंत मरम्मत की मांग दोहराई।
गुमला जिले के बिशनपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत चिलम पोखर गांव के लोग पिछले एक महीने से अंधेरे में जीने को मजबूर हैं। बारिश की शुरुआत में बिजली कड़कने से गांव का एकमात्र ट्रांसफार्मर जल गया था। उसके बाद से अब तक बिजली आपूर्ति बहाल नहीं की गई है, जिससे ग्रामीणों का गुस्सा चरम पर है।
महीने भर से अंधेरे में गांव, जीवन अस्त-व्यस्त
ग्रामीणों का कहना है कि बिजली नहीं होने से उनका दैनिक जीवन पूरी तरह प्रभावित है। घरेलू कामकाज बाधित हैं और बच्चों की पढ़ाई रुक गई है। मोबाइल चार्ज करने जैसी बुनियादी जरूरतों के लिए भी लोगों को दूर-दराज जाना पड़ रहा है।
सुरक्षा पर खतरा, रात में अंधेरे से बढ़ी चिंता
बिजली नहीं होने से गांव में सुरक्षा की स्थिति खराब हो गई है। ग्रामीणों का कहना है कि अंधेरे में अपराधियों को मौका मिल रहा है, जिससे महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को लेकर डर बढ़ गया है।
जनप्रतिनिधियों और प्रशासन पर सवाल
ग्रामीणों ने सरकार और स्थानीय जनप्रतिनिधियों पर लापरवाही का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि चुनाव के समय तो नेता हर गली तक पहुंचते हैं, लेकिन अब कोई उनकी सुध नहीं ले रहा।
एक ग्रामीण ने कहा: “सरकार सिर्फ वोट मांगने आती है, लेकिन समस्याओं को हल करने में किसी को दिलचस्पी नहीं है।”
स्थानीय मुखिया पर भी नाराजगी जाहिर की गई है। ग्रामीणों का कहना है कि शिकायत देने के बावजूद मुखिया ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की।
ग्रामीणों की स्पष्ट मांग
लोगों ने मांग की है कि ट्रांसफार्मर को तुरंत ठीक किया जाए और बिजली आपूर्ति बहाल की जाए। साथ ही उन्होंने प्रशासन से यह भी कहा है कि इस तरह की समस्याओं पर समय पर कार्रवाई हो, ताकि लोगों को बार-बार परेशान न होना पड़े।
न्यूज़ देखो: लापरवाही का काला सच
एक ट्रांसफार्मर की खराबी से महीनों तक अंधेरे में डूबे रहना यह दर्शाता है कि ग्रामीण बिजली आपूर्ति प्रणाली कितनी कमजोर है। ऐसे मामलों में त्वरित कार्रवाई जरूरी है, क्योंकि यह केवल सुविधा का नहीं, सुरक्षा और शिक्षा का भी सवाल है।
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