
#गुमला #बिजली_बहाली : दूरदराज पीवीटीजी गांवों में ट्रांसफार्मर चालू होते ही लौटी उम्मीद की किरण
- तिलवारी पाठ और बेसनापाठ में वर्षों बाद बिजली आपूर्ति बहाल।
- ग्रामीणों ने ट्रांसफार्मर का विधिवत उद्घाटन किया।
- पहल का श्रेय उपायुक्त प्रेरणा दीक्षित की त्वरित कार्रवाई को दिया गया।
- मेरी लकड़ा ने कहा—बिजली से बच्चों की पढ़ाई और खेती-किसानी को बड़ी राहत।
- मौके पर अनामुल अंसारी, नसरुद्दीन, और दोनों गांवों के कई ग्रामीण उपस्थित।
चैनपुर प्रखंड की सुदूरवर्ती पीवीटीजी बहुल पंचायतों—मालम के तिलवारी पाठ और जनावल के बेसनापाठ—में लंबे इंतजार के बाद आखिरकार बिजली आपूर्ति बहाल कर दी गई। ग्रामीणों ने बताया कि इन इलाकों में वर्षों से बिजली नहीं थी, जिसके कारण बच्चों की पढ़ाई, खेती-बारी और दैनिक जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ रहा था। ग्रामीणों ने यह समस्या गुमला उपायुक्त प्रेरणा दीक्षित के समक्ष रखी थी, जिसके बाद उनकी पहल पर बिजली विभाग ने त्वरित कार्रवाई की। मंगलवार को दोनों गांवों में ट्रांसफार्मर चालू होते ही ग्रामीणों ने विधिवत उद्घाटन किया और खुशी व्यक्त की।
बिजली बहाली से मिली बड़ी राहत
बिजली के पुनः आने से गांवों में राहत की लहर दौड़ गई है। ग्रामीणों ने कहा कि रात में अंधेरा और दिन में मुश्किलें आम बात हो गई थीं, लेकिन अब पढ़ाई, सिंचाई और घर के काम बेहतर तरीके से हो सकेंगे। बिजली आपूर्ति शुरू होने से स्थानीय बच्चों की शिक्षा में नई ऊर्जा लौटने की उम्मीद जताई जा रही है।
मेरी लकड़ा ने ग्रामीणों को दिया भरोसा
उद्घाटन के दौरान मौजूद जिला परिषद सदस्य मेरी लकड़ा ने ग्रामीणों को संबोधित करते हुए कहा कि बिजली बहाली से जीवन में बड़ा बदलाव आएगा। उन्होंने ग्रामीणों से आग्रह किया कि किसी भी समस्या को वे निसंकोच उनके सामने रखें।
मेरी लकड़ा ने कहा: “बिजली बहाल होने से स्कूली बच्चों की पढ़ाई और किसानों के काम में बड़ी मदद मिलेगी।”
मेरी लकड़ा ने मौके पर उपस्थित लोगों की बताई अन्य समस्याओं को भी उच्च अधिकारियों तक पहुँचाने और जल्द समाधान कराने का आश्वासन दिया।
बिजली विभाग की भूमिका और स्थानीय सहभागिता
बिजली विभाग के कर्मी अनामुल अंसारी और नसरुद्दीन भी स्थल पर मौजूद रहे और बहाली प्रक्रिया का निरीक्षण किया। उन्होंने ग्रामीणों को नई तकनीकी व्यवस्था के बारे में जानकारी दी और ट्रांसफार्मर की सुरक्षा को लेकर जरूरी सुझाव भी दिए।
उद्घाटन के दौरान जुगेश सिंह, बरसि असुर, तेतरी असुर, फागनी असुर, रमेश असुर, शासिता कुमारी, शनि कोरवा, जीतन असुर, केवटा असुर सहित दोनों गांवों के कई ग्रामीण मौजूद थे।
बिजली कटौती का लंबा संघर्ष
इन गांवों में बिजली की कमी सिर्फ असुविधा का विषय नहीं थी, बल्कि विकास से दूरी का लगातार बढ़ता हुआ अंतर भी थी। ग्रामीणों ने बताया कि रात में अंधेरे के कारण वन्यजीवों का खतरा बढ़ जाता था, वहीं बच्चों को पढ़ाई करने के लिए लालटेन पर निर्भर रहना पड़ता था। खेती-बारी की गतिविधियाँ भी बाधित होती थीं। बिजली विभाग द्वारा समस्या के समाधान की कई कोशिशें हुईं, लेकिन स्थायी हल उपायुक्त को जानकारी देने के बाद ही संभव हो पाया।
गांव में बदलेगी शिक्षा और कृषि की दिशा
बिजली बहाली से गांवों में शिक्षा के बेहतर अवसर मिलेंगे। स्कूली बच्चे अब शाम में आसानी से पढ़ाई कर सकेंगे। वहीं, खेती में भी बिजली की उपलब्धता से सिंचाई की प्रक्रिया आसान होगी। ग्रामीणों ने कहा कि यह उनके लिए सिर्फ सुविधा नहीं, बल्कि ‘उम्मीद की वापसी’ है।

न्यूज़ देखो: सुदूर गांवों तक विकास पहुँचाने की मजबूत मिसाल
यह खबर बताती है कि जब प्रशासन संवेदनशील तरीके से ग्रामीण समस्याओं पर ध्यान देता है, तो वर्षों से लंबित मुद्दे भी समाधान की राह पा सकते हैं। पीवीटीजी समुदायों के जीवन में बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता बेहद महत्वपूर्ण है, और इस तरह की कार्रवाई विकास की असल पहचान है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
उजाले की ओर बढ़ते कदम—अब मिलकर बदलें गांवों का भविष्य
बिजली के लौटने से सिर्फ घर रोशन नहीं हुए हैं, बल्कि उम्मीदों की लौ भी जल उठी है। अब समय है कि गांव के लोग इस परिवर्तन को और मजबूत करें, समस्याओं को खुलकर सामने लाएँ और विकास की प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी करें।
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