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गोविंदपुर गांव में तीन महीने से बिजली आपूर्ति ठप, ग्रामीणों में भारी आक्रोश

#गुमला #बिजली_समस्या : गोविंदपुर गांव में तीन महीनों से बिजली आपूर्ति बंद होने से ग्रामीणों की जिंदगी प्रभावित और विभाग पर निष्क्रियता का आरोप।

गुमला जिले के जारी प्रखंड के राजधानी कहे जाने वाले गोविंदपुर गांव में पिछले तीन महीनों से बिजली आपूर्ति पूरी तरह ठप है। ग्रामीणों के अनुसार, लगभग तीन महीने पहले आकाशीय बिजली गिरने से गांव का ट्रांसफार्मर क्षतिग्रस्त हो गया था। तब से अब तक बिजली की समस्या बनी हुई है और रात का अंधेरा ग्रामीणों की जिंदगी कठिन बना रहा है।

ग्रामीणों ने बताया कि विभाग को कई बार सूचित करने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई। इससे बच्चों की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हो रही है। रात के समय उन्हें मोमबत्ती या दीया जलाकर पढ़ाई करनी पड़ रही है। बरसात के मौसम में सांप-बिच्छू के बढ़ते आतंक ने उनकी परेशानियों को और बढ़ा दिया है।

ग्रामीणों की प्रतिक्रिया और मांग

ग्रामीणों का कहना है कि बिजली विभाग की लापरवाही और निष्क्रियता जिला प्रशासन की उदासीनता को भी दर्शाती है। उन्होंने विभाग से तत्काल नया ट्रांसफार्मर लगाने या पुराने ट्रांसफार्मर की मरम्मत करने की मांग की।

ग्रामीण अखबर खान ने कहा: “तीन महीने से हम अंधेरे में जी रहे हैं, बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है और बरसात में सुरक्षा का खतरा भी है। विभाग तुरंत कार्रवाई करे।”

इस अवसर पर ग्रामीण मोबारक अंसारी, जाहिद अंसारी, प्रताप मिंज, लक्ष्मण मलार, मनुवार खान, बेलाल अंसारी सहित कई लोग उपस्थित थे और उन्होंने विभाग से त्वरित कार्रवाई की मांग की।

विभाग की निष्क्रियता और सामाजिक प्रभाव

गांव में लगातार बिजली न होने से न केवल दैनिक जीवन प्रभावित हुआ है, बल्कि आर्थिक और शैक्षिक गतिविधियों पर भी प्रतिकूल असर पड़ा है। ग्रामीण रात में खेती, पढ़ाई और अन्य कामों में असुविधा झेल रहे हैं। बच्चों को रोशनी के लिए मोमबत्ती और दीया जलाना पड़ता है, जो सुरक्षा और स्वास्थ्य दोनों के लिए खतरनाक है।

ग्रामीण प्रताप मिंज ने कहा: “बिजली न होने से हमारे जीवन पर गंभीर असर पड़ा है। प्रशासन और विभाग को अब और इंतजार नहीं करना चाहिए।”

न्यूज़ देखो: ग्रामीणों की समस्याओं पर त्वरित कार्रवाई जरूरी

गोविंदपुर गांव की बिजली समस्या यह दर्शाती है कि ग्रामीण इलाकों में बुनियादी सुविधाओं की अनदेखी कितनी गंभीर हो सकती है। प्रशासन और विभाग की उदासीनता सीधे ग्रामीणों के जीवन और सुरक्षा को प्रभावित करती है।

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