
#गढ़वा #हाथी_आक्रमण : हाथियों के झुंड ने 25 वर्षीय युवक को कुचल दिया, परिजन प्रशासन की गैरमौजूदगी पर सड़क पर हंगामा करने पर मजबूर
- बहेरवा गांव के मुनी परहिया का 25 वर्षीय पुत्र रमेश परहिया हाथियों के हमले में कुचला गया।
- घटना रविवार शाम लगभग 7:00 बजे, युवक राशन लेकर घर लौट रहा था।
- हाथियों के झुंड को देखकर रमेश ने झाड़ी में छुपने का प्रयास किया, जो उसकी मौत का कारण बना।
- सोमवार सुबह 9 बजे तक प्रशासन नहीं पहुँचा, परिजन ने शव सड़क पर रखकर हंगामा किया।
- वन विभाग और पुलिस ने एक लाख रुपए नगद और तीन लाख रुपए मुआवजा दिलाने का आश्वासन दिया।
- गत वर्ष भी हाथियों के हमले में गांव के अधिकांश घरों को क्षति पहुँची थी, प्रशासनिक कदम नहीं उठाने से निराशा।
गढ़वा जिले के मेराल थाना क्षेत्र के बहेरवा गांव में रविवार की देर शाम हाथियों के झुंड ने आदिम जनजाति के युवक रमेश परहिया को कुचल दिया। मृतक अपने दोस्तों के साथ राशन लेकर घर लौट रहा था। घर से डेढ़ किलोमीटर पहले ही झुड़ी झाड़ी में छुपने के प्रयास में रमेश का शव हाथियों ने कुचल डाला। घटना की जानकारी मिलने पर परिजन घटनास्थल पर पहुंचे और रोते-धड़कते हुए स्थिति का सामना किया।
सुबह मुखिया पति जगजीवन रवि घटनास्थल पहुँचे और परिजनों को सरकारी मुआवजा दिलाने का आश्वासन दिया। परंतु सुबह 9 बजे तक प्रशासन का कोई अधिकारी नहीं पहुँचा, जिससे परिजन गुस्साए और शव सड़क पर रखकर हंगामा करने लगे। करीब 10:30 बजे वन विभाग के अधिकारी, मेराल के सीआई और थाना पुलिस पहुंचे। वनपाल अभिषेक कुमार मेहता ने तत्काल एक लाख रुपए नगद और तीन लाख रुपए खाता में मुआवजा दिलाने का भरोसा दिया, तब जाकर परिजन शांत हुए। थाना पुलिस ने पंचनामा कर शव गढ़वा सदर अस्पताल भेजा।
पिछले घटनाक्रम और प्रशासनिक आश्वासन
गत वर्ष हाथियों ने बहेरवा गांव के अधिकांश घरों को क्षति पहुँचाई थी। डर के कारण आदिवासी परिवार जंगल से चार किलोमीटर दूर झोपड़ी बनाकर रहने को मजबूर थे। इससे पहले एक सप्ताह पूर्व एसडीओ संजय कुमार और बीडीओ यशवंत नायक ने आदिवासी परिवारों से मिलकर सुरक्षा और आवास का आश्वासन दिया था।
प्रखंड प्रमुख दीपमाला कुमारी ने जिला विकास समन्वय और निगरानी समिति (दिशा) की बैठक में आदिवासी परिवारों की सुरक्षा और आवास निर्माण की आवश्यकता को मजबूती से उठाया, लेकिन प्रशासन की ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
प्रशासनिक और वन विभाग की भूमिका
हाथियों के हमले के बाद वन विभाग और पुलिस ने स्थिति को संभाला और मुआवजा देने का भरोसा दिया। वन विभाग और स्थानीय प्रशासन को ग्रामीणों की सुरक्षा, हाथियों की रोकथाम और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सतत कदम उठाने की आवश्यकता है।
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यह घटना दिखाती है कि पूर्व चेतावनी और आश्वासन के बावजूद अगर प्रशासन सक्रिय नहीं होगा, तो नागरिकों की जान जोखिम में पड़ सकती है। वन विभाग और जिला प्रशासन को चाहिए कि आदिवासी समुदाय की सुरक्षा को प्राथमिकता दें और ठोस कदम उठाएँ। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
सुरक्षा और सतर्कता में सभी की भागीदारी जरूरी
स्थानीय प्रशासन और वन विभाग के साथ मिलकर नागरिकों को सुरक्षित माहौल सुनिश्चित करने की दिशा में जागरूक रहें। अपनी राय कमेंट करें, खबर साझा करें और समाज में सुरक्षा जागरूकता फैलाएँ।