
#महुआडांड़ #शिक्षा_सेमिनार : संत जेवियर्स कॉलेज में एआई और उच्च शिक्षा के भविष्य पर अंतरराष्ट्रीय सेमिनार आयोजित
- संत जेवियर्स कॉलेज महुआडांड़ में अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन हुआ।
- मुख्य वक्ता डॉ. फादर पी. मरिया जोसेफ ख्रीस्टी ने एआई और नैतिकता पर जोर दिया।
- उन्होंने कहा कि तकनीकी प्रगति तभी सार्थक होगी जब वह सामाजिक उत्तरदायित्व से जुड़ी हो।
- विशिष्ट वक्ता डॉ. फादर प्रदीप केरकेट्टा ने कौशल विकास और रोजगार अवसरों पर बात रखी।
- प्राध्यापिका सुरभि सिंहा और छात्राएँ ज्योत्सना कच्छप एवं रजनी टेटे ने भी विचार प्रस्तुत किए।
- बड़ी संख्या में प्राध्यापक, शोधार्थी और छात्र-छात्राएँ कार्यक्रम में उपस्थित रहे।
यह सेमिनार शिक्षा जगत में कृत्रिम बुद्धिमत्ता की बदलती भूमिका और उसके मानवीय प्रभाव पर गहन चर्चा का मंच बना। इसमें वक्ताओं ने स्पष्ट किया कि तकनीकी विकास सिर्फ सुविधा का साधन नहीं है, बल्कि इसे समाज और मानवता की बेहतरी से जोड़ना ही इसका वास्तविक उद्देश्य है। सेमिनार ने उच्च शिक्षा में एआई के प्रयोग, रोजगार सृजन और नैतिक मूल्यों के संरक्षण जैसे गंभीर प्रश्नों को केंद्र में लाकर भविष्य की दिशा तय करने का प्रयास किया।
अंतरराष्ट्रीय मंच पर गंभीर विमर्श
संत जेवियर्स कॉलेज महुआडांड़ में आयोजित इस अंतरराष्ट्रीय सेमिनार ने शिक्षाविदों, शोधार्थियों और विद्यार्थियों को एआई के विविध पहलुओं पर विचार साझा करने का अवसर दिया।
मुख्य वक्ता डॉ. फादर पी. मरिया जोसेफ ख्रीस्टी एसजे, सेक्रेटरी ऑफ हायर एजुकेशन, जेसुइट क्युरिया, रोम ने कहा:
फादर पी. मरिया जोसेफ ख्रीस्टी ने कहा: “कृत्रिम बुद्धिमत्ता शिक्षा जगत में अभूतपूर्व क्रांति ला रही है। यह न केवल अध्यापन और अधिगम को अधिक प्रभावी बना रही है, बल्कि ज्ञान के नए आयाम भी खोल रही है। किंतु तकनीकी प्रगति के साथ नैतिक मूल्यों की रक्षा, रोजगार संबंधी चुनौतियों का समाधान और सामाजिक उत्तरदायित्व पर गंभीर मंथन करना आज की आवश्यकता है। विद्यार्थी एआई को केवल तकनीकी दृष्टि से न देखें, बल्कि इसे मानवीय संवेदनाओं और समाज कल्याण से जोड़कर प्रयोग करें।”
कौशल विकास और रोजगार की नई संभावनाएँ
इस अवसर पर विशिष्ट वक्ता डॉ. फादर प्रदीप केरकेट्टा एसजे, असिस्टेंट डायरेक्टर, एक्सआईएसएस, रांची ने कहा:
फादर प्रदीप केरकेट्टा ने कहा: “उच्च शिक्षा में एआई की भूमिका तेजी से बढ़ रही है। यह कौशल विकास और रोजगार की नई संभावनाएँ पैदा कर रहा है। विद्यार्थियों को बदलते समय के अनुरूप स्वयं को तकनीकी रूप से सक्षम बनाना चाहिए।”
उनके वक्तव्य ने युवाओं को यह संदेश दिया कि तकनीक को अपनाने और उसमें निपुणता हासिल करने से ही भविष्य की चुनौतियों का समाधान संभव होगा।
विद्यार्थियों और शिक्षकों की भागीदारी
कार्यक्रम में प्राध्यापिका सुरभि सिंहा, छात्राएँ ज्योत्सना कच्छप और रजनी टेटे ने भी अपने विचार रखे। उन्होंने एआई की उपयोगिता और शिक्षा में इसके मानवीय दृष्टिकोण पर प्रकाश डालते हुए कहा कि तकनीक का प्रयोग तभी सफल होगा जब यह संवेदनाओं और नैतिकता से जुड़ा होगा।
कॉलेज परिवार से फादर समीर टोप्पो, फादर लियो, फादर राजीप, सिस्टर चंद्रोदय, प्रोफेसर शिल्पी, शशि शेखर, सुबोध, रोनित, अंशु अंकिता, सुकुट सहित अन्य प्राध्यापक, शोधार्थी और बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएँ उपस्थित रहे।
यह सामूहिक भागीदारी इस बात का प्रतीक है कि शिक्षा संस्थान एआई की दिशा और असर पर गंभीर चर्चा कर रहे हैं।

न्यूज़ देखो: तकनीक और नैतिकता का संतुलन जरूरी
इस अंतरराष्ट्रीय सेमिनार से यह स्पष्ट संदेश निकला कि तकनीक की गति जितनी तेज होगी, उतनी ही अधिक जिम्मेदारी उसकी मानवीय दिशा तय करने की होगी। शिक्षा संस्थानों को केवल तकनीकी दक्षता तक सीमित नहीं रहना चाहिए बल्कि विद्यार्थियों को मानवीय मूल्यों और सामाजिक हित के साथ जोड़ना होगा। यही संतुलन भविष्य की शिक्षा व्यवस्था का आधार बनेगा।
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जागरूक शिक्षा ही भविष्य की कुंजी
यह समय है जब विद्यार्थी और शिक्षक दोनों तकनीक को अपनाते हुए उसके नैतिक उपयोग पर ध्यान दें। आइए, हम सब मिलकर एक ऐसे भविष्य का निर्माण करें जहां एआई मानवता के साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़े। अपनी राय कॉमेंट करें, इस खबर को साझा करें और जागरूकता फैलाने में योगदान दें।





