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सिमडेगा बानो में अनाथ बच्ची सपना कुमारी का कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में नामांकन: सामाजिक पहल बनी मिसाल

#सिमडेगा #शिक्षा : पंचायत प्रतिनिधियों और प्रशासन की मदद से नाबालिग सपना को मिली शिक्षा की नई राह

सिमडेगा जिले के बानो प्रखंड अंतर्गत सोय गांव की 14 वर्षीय सपना कुमारी, जो अनाथ और नाबालिग है, अब अपनी पढ़ाई जारी रख सकेगी। शनिवार को उसका नामांकन कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय बानो में कराया गया। सपना के पिता सुबोध लोहरा का पिछले वर्ष बीमारी से निधन हो गया था। पिता की मौत के बाद परिवार की जिम्मेदारी मां पर आई, लेकिन कुछ दिन पूर्व मां भी पांच बच्चों में से एक को लेकर घर छोड़कर कहीं चली गई और अब तक नहीं लौटी।

परिवार की बिगड़ती स्थिति और चाचा का संघर्ष

सपना समेत पांच बच्चों की देखभाल अब उसके बड़े चाचा सुनील लोहरा कर रहे हैं। सुनील ने बताया कि उनकी खुद की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। अपने बच्चों और भाई के बच्चों का पालन-पोषण करना उनके लिए बेहद कठिन हो गया है। इसी बीच गांव की मुखिया सोमारी कैथवार को मामले की जानकारी हुई और उन्होंने बच्चों की शिक्षा और देखभाल को लेकर पहल की।

मुखिया और प्रशासन की सराहनीय पहल

सोमारी कैथवार ने एक बच्चे का नामांकन प्राथमिक विद्यालय एल्ला में कराया और बाकी बच्चों की समस्या को लेकर प्रखंड विकास पदाधिकारी (बीडीओ) नईमुद्दीन अंसारी से बात की। बीडीओ ने तत्काल सहयोग का भरोसा दिलाया और बड़ी बेटी सपना का नामांकन कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय बानो में कराने की व्यवस्था की। शनिवार को सभी औपचारिकताएं पूरी कर सपना को आठवीं कक्षा में दाखिला दिला दिया गया।

शिक्षा से जीवन को नई दिशा

सपना का नामांकन परिवार के लिए राहत और उम्मीद की किरण है। अब बच्ची को सुरक्षित वातावरण और शिक्षा दोनों मिलेंगे। नामांकन के दौरान विद्यालय की वार्डन कमला बड़ाईक, सोय मुखिया सोमारी कैथवार, कोनसौदे मुखिया सीता कुमारी और परिवार के सदस्य मौजूद थे।

न्यूज़ देखो: शिक्षा से मिलेगी नई उड़ान

यह घटना दिखाती है कि जब पंचायत, प्रशासन और समाज एक साथ खड़े होते हैं तो किसी भी वंचित बच्चे का भविष्य अंधेरे में नहीं जाता। सपना कुमारी की शिक्षा अब उसके जीवन को नई दिशा देने का काम करेगी।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

समाज की जिम्मेदारी है हर बच्चे की शिक्षा

अब समय है कि हम सभी ऐसे बच्चों की शिक्षा में सहयोग करें जिन्हें अपने माता-पिता या परिवार का सहारा नहीं है। शिक्षा ही वह रोशनी है जो अंधेरे को दूर कर सकती है। आइए, इस प्रेरणादायक पहल को आगे बढ़ाएं। अपनी राय कॉमेंट करें और इस खबर को दोस्तों के साथ शेयर करें ताकि और लोग भी प्रेरित हों।

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