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आज़ादी के 77 साल बाद भी दुरूप पंचायत में अंधेरा, बिजली का इंतज़ार जारी

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#महुआडांड़ #बिजलीसंकट : घने जंगलों के बीच बसी दुरूप पंचायत आज भी ढिबरी युग में — सरकार के दावों के बावजूद नहीं पहुंची बिजली की रोशनी
  • दुरूप पंचायत आज तक बिजली सुविधा से वंचित, ग्रामीण ढिबरी और लालटेन से चलाते हैं जिंदगी
  • स्कूली बच्चों की पढ़ाई पर गहरा असर, मोबाइल चार्ज करने भी जाना पड़ता है प्रखंड मुख्यालय
  • कई बार आवेदन देने के बावजूद सिर्फ आश्वासन मिला, अधिकारी नहीं ले रहे ठोस निर्णय
  • स्थानीय जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों ने उठाई मांग, उपायुक्त से तत्काल हस्तक्षेप की अपील
  • लातेहार जिले के कई दूरदराज क्षेत्रों में भी यही स्थिति, योजनाएं कागज़ों तक सीमित

77 वर्षों बाद भी अंधेरे में दुरूप पंचायत

लातेहार जिले के महुआडांड़ प्रखंड की दुरूप पंचायत, आज़ादी के 77 साल बाद भी बिजली जैसी बुनियादी सुविधा से वंचित है। घने जंगलों से घिरे इस क्षेत्र के ग्रामीण आज भी ढिबरी और लालटेन की रोशनी में जीवन बिता रहे हैं। यह स्थिति तब है जब सरकारें वर्षों से हर घर बिजली योजना और सौभाग्य योजना जैसी पहलें चलाती रही हैं।

ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने अधिकारियों को कई बार आवेदन देकर बिजली की मांग रखी, लेकिन हर बार उन्हें सिर्फ आश्वासन मिला — “हो जाएगा” — मगर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।

शिक्षा पर अंधेरे का सीधा असर

बिजली नहीं होने का सबसे अधिक असर स्कूली बच्चों की पढ़ाई पर पड़ रहा है। छात्र अभिषेक ने बताया:

“हमलोग दिन में पढ़ लेते हैं, मगर रात में कोई रोशनी नहीं होती, इसलिए होमवर्क भी अधूरा रह जाता है।”

मोबाइल चार्ज करने के लिए लोगों को महुआडांड़ प्रखंड मुख्यालय तक आना पड़ता है, जिससे समय और धन दोनों की बर्बादी होती है।

जनप्रतिनिधियों की भी कोशिशें रही नाकाम

दुरूप पंचायत के पूर्व पंचायत समिति सदस्य धर्मेंद्र सिंह ने कहा:

“बिजली की मांग को लेकर कई बार जनता दरबार में आवेदन दिया गया, लेकिन आज तक किसी अधिकारी ने संज्ञान नहीं लिया।”

ग्रामीणों का कहना है कि अधिकारियों को चाहिए कि ऐसे वंचित गांवों को प्राथमिकता में रखकर तुरंत कार्यवाही करें।

सिर्फ दुरूप ही नहीं, कई गांवों की यही कहानी

यह समस्या सिर्फ दुरूप पंचायत तक सीमित नहीं है। लातेहार जिले के कई जंगली क्षेत्र आज भी बिजली, पानी और सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। कई स्थानों पर सिर्फ योजनाओं के बोर्ड लगे हैं, लेकिन ज़मीन पर कुछ नहीं हुआ।

ग्रामीणों ने जिले के उपायुक्त उत्कर्ष गुप्ता से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है, ताकि दुरूप पंचायत को जल्द से जल्द बिजली सुविधा से जोड़ा जा सके।

न्यूज़ देखो: अंधेरे में डूबी विकास की उम्मीदें

सरकारी योजनाएं और घोषणाएं तभी सफल मानी जाएंगी जब उनका असर धरातल पर दिखे। दुरूप पंचायत का ये उदाहरण साफ़ करता है कि आज भी झारखंड के सुदूर इलाकों में विकास सिर्फ भाषणों और फाइलों में सीमित है। न्यूज़ देखो ऐसे हर गांव की आवाज़ बनकर सामने आता रहेगा, जहां वास्तविक समस्याएं अनदेखी की जा रही हैं। हमारी यही कोशिश रहेगी कि प्रशासन इन सवालों का जवाब दे और जिम्मेदार अधिकारी ठोस कार्रवाई करें।

हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

उम्मीद की किरण अभी बाकी है

हमारा संविधान हर नागरिक को समान सुविधाएं देने की गारंटी देता है। ऐसे में यह जरूरी है कि हर नागरिक जागरूक बने, अपनी समस्याओं को आवाज़ दे और प्रशासन को जवाबदेह बनाए।

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