Site icon News देखो

सम्राट की हर गतिविधि पर रखी जा रही पैनी नजर, तीन सप्ताह में NTCA लेगा बड़ा फैसला

#पलामू #टाइगर_निगरानी : सिल्ली से रेस्क्यू कर लाए गए बाघ ‘सम्राट’ की निगरानी में लगी स्पेशल टीम — व्यवहार से लेकर हैबिटेट तक तय करेगा भविष्य

सम्राट की निगरानी में लगी विशेषज्ञों की टीम, पल-पल की रिपोर्ट तैयार

पलामू टाइगर रिजर्व (PTR) में इन दिनों बाघ सम्राट उर्फ किला की गतिविधियों पर पैनी नजर रखी जा रही है। रांची के सिल्ली से 20 जून को रेस्क्यू किए गए सम्राट को नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (NTCA) के निर्देशानुसार PTR के कोर क्षेत्र में रखा गया है।

PTR उपनिदेशक प्रजेशकांत जेना के अनुसार, तीन सप्ताह की विशेष निगरानी अवधि के दौरान सम्राट के व्यवहार, शिकार शैली, स्वास्थ्य और वातावरण में अनुकूलन क्षमता का विश्लेषण किया जाएगा। इस निगरानी के आधार पर ही यह तय होगा कि सम्राट को यहीं रखा जाएगा या कहीं और स्थानांतरित किया जाएगा।

उपनिदेशक प्रजेशकांत जेना ने बताया: “बाघ सम्राट की गतिविधियों को लेकर एक विशेष टीम तैयार की गई है, जो चौबीसों घंटे निगरानी कर रही है। NTCA पूरे डेटा का विश्लेषण कर तीन सप्ताह बाद बड़ा निर्णय लेगी।”

रेडियो कॉलर और हैबिटेट चयन पर भी विचार

विशेषज्ञ टीम सम्राट की नियमित तस्वीरें, आवाजाही, शिकार की प्रवृत्ति और सामाजिक व्यवहार की रिपोर्ट बना रही है। यदि सम्राट के व्यवहार में कोई असामान्यता पाई जाती है या यदि उसकी गतिविधियों की निगरानी अधिक आवश्यक समझी जाती है, तो उसे रेडियो कॉलर पहनाया जा सकता है। इसके अलावा सम्राट को किस इलाके में स्थायी रूप से रहने दिया जाए, इस पर भी तीन सप्ताह बाद निर्णय लिया जाएगा।

रेस्क्यू ऑपरेशन बना था चर्चा का विषय

बाघ सम्राट 20 जून को रांची जिले के सिल्ली प्रखंड के पुरंदर महतो के घर में घुस गया था। उस वक्त घर में बच्चे भी मौजूद थे। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए वन विभाग और PTR टीम ने 15 घंटे लंबा रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया। ऑपरेशन की सफलता के बाद बाघ को सुरक्षित तरीके से पलामू टाइगर रिजर्व के कोर एरिया में शिफ्ट किया गया।

सम्राट की यात्रा: मध्यप्रदेश से बंगाल तक

सम्राट पहली बार 2023 में पलामू किला क्षेत्र में देखा गया था। इसके बाद यह बाघ चतरा, हजारीबाग, दलमा होते हुए पश्चिम बंगाल के पुरुलिया तक पहुंच गया। जानकारों के अनुसार, यह मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से निकलकर झारखंड पहुंचा था। यह यात्रा बाघों की सुरक्षित कॉरिडोर संरचना की महत्ता को भी उजागर करती है।

पलामू टाइगर रिजर्व: अब बाघों से आबाद

1129 वर्ग किलोमीटर में फैले पलामू टाइगर रिजर्व का 414.08 वर्ग किलोमीटर कोर क्षेत्र है। 2018 में जहां यहां बाघों की संख्या शून्य थी, वहीं अब 2023 से अब तक 6 बाघों के मूवमेंट रिकॉर्ड किए गए हैं। इससे न केवल जंगल का इको-सिस्टम मजबूत हुआ है बल्कि टाइगर रिजर्व की प्रासंगिकता भी पुनर्स्थापित हुई है।

न्यूज़ देखो: सम्राट की वापसी से उम्मीदों को नए पंख

सम्राट का पलामू में पुनः प्रवेश और विशेषज्ञों की निगरानी इस बात का संकेत है कि झारखंड में बाघ संरक्षण को लेकर गंभीर प्रयास हो रहे हैं। यह घटना हमें वन्यजीवों की सुरक्षा और मानव-पशु टकराव को समझने का अवसर भी देती है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

वन्यजीव संरक्षण हमारा साझा दायित्व

बाघ जैसे संरक्षित जीवों की सुरक्षा केवल सरकार या वन विभाग की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि समाज की भी है। हम सभी को वन्य जीवों और उनके परिवेश के प्रति संवेदनशील होना चाहिए। इस लेख को अपने दोस्तों और परिवार के साथ साझा करें ताकि जागरूकता फैले और संरक्षण की भावना प्रबल हो।

Exit mobile version