
#सिमडेगा #धार्मिक_स्थल : आस्था, इतिहास और अद्भुत चमत्कारों से भरपूर कैलाश धाम कर्रामुंडा बना श्रद्धा और पर्यटन का केंद्र
- सिमडेगा जिले के ठेठईटांगर प्रखंड के कोरोमिया पंचायत के कर्रामुंडा गांव स्थित कैलाश धाम का इतिहास लगभग 100 वर्ष पुराना है।
- वर्ष 1921 ईस्वी में गांव के बुजुर्गों ने यहां पूजा-अर्चना की शुरुआत की थी।
- वर्ष 2007 में तीन बच्चियों को भगवान शिव-पार्वती-गणेश के बाल रूप में दर्शन मिलने की घटना से यहां की आस्था और बढ़ी।
- कैलाश धाम में दक्षिण काली, नागेश्री शिवलिंग, भैरव बाबा, अष्टम माता, शेष नाग, गरुड़ जी, गंगा मैया जैसे कई देव स्वरूपों की साक्षात उपस्थिति मानी जाती है।
- हर वर्ष सावन, कार्तिक, रामनवमी और महाशिवरात्रि पर यहां हजारों श्रद्धालु पूजा-अर्चना करने पहुंचते हैं।
- सरकार ने इसे पर्यटन स्थल की सूची में शामिल किया है और विकास कार्य तेजी से जारी हैं।
सिमडेगा जिले के बानो क्षेत्र से लगभग 30 किलोमीटर दूर, कर्रामुंडा गांव में स्थित कैलाश धाम आज श्रद्धा, आस्था और अध्यात्म का जीवंत प्रतीक बन चुका है। यहां के भक्त मानते हैं कि जो भी व्यक्ति सच्चे मन से भगवान से प्रार्थना करता है, उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है। यह स्थल अब धार्मिक आस्था के साथ-साथ पर्यटन की दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण बनता जा रहा है।
कैलाश धाम का प्राचीन इतिहास और आस्था की जड़ें
करीब एक सदी पहले, वर्ष 1921 ईस्वी में गांव के बुजुर्ग सोहन नेगी, गणेश नेगी, चंदर बेहरा, धीरपाल बेहरा, रामदयाल बेहरा और दिबरा बेहरा ने कैलाश पहाड़ पर पूजा-अर्चना की परंपरा शुरू की थी। उस समय इसे कोयला पहाड़ कहा जाता था। बाद में इसकी दैविक महिमा और चमत्कारों के कारण इसका नाम बदलकर कैलाश पहाड़ रखा गया।
पहले पाहन ऐठु पाहन ने यहां पूजा की, जिनके उत्तराधिकारी सरगु पाहन, बूटा पाहन और मंगला पाहन आज भी इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं।
2007 की दिव्य घटना जिसने बढ़ाई आस्था
वर्ष 2007 के सावन माह में तीन बच्चियों मुन्नी कुमारी, झालो कुमारी और बिरस कुमारी को इस पहाड़ी पर गाय चराते समय शिव, पार्वती और गणेश जी के बाल रूप में दर्शन हुए। बच्चियां उन्हें पकड़ने का प्रयास करती रहीं, लेकिन वे तीनों दिव्य बालक काली गुफा में प्रवेश कर गए।
ग्रामीणों ने इस घटना को दैविक संकेत माना और तभी से कैलाश धाम में श्रद्धा का भाव कई गुना बढ़ गया।
अद्भुत गुफाएँ और रहस्यमयी स्थापत्य
कैलाश धाम की पहचान इसकी रहस्यमयी गुफाओं की श्रृंखला से होती है, जिनमें प्रमुख हैं — सिंग द्वार गुफा, शिव गुफा, काली गुफा और राम गुफा।
सात तल्लों वाली सिंग द्वार गुफा के शीर्ष पर माँ दक्षिण काली और नागेश्री शिवलिंग विराजमान हैं। श्रद्धालु बताते हैं कि गुफा के अंदर शक्ति तंत्र की साधनाएँ तुरंत सिद्ध होती हैं, और यहां आने वाले भूत-प्रेत पीड़ित लोग शीघ्र स्वस्थ हो जाते हैं।
गुफाओं के भीतर का वातावरण अत्यंत पवित्र और ऊर्जा से भरा होता है। श्रद्धालुओं का कहना है कि यहां गंगा मैया, गरुड़ जी, भैरव बाबा और अन्य देव स्वरूपों की भी दिव्य उपस्थिति महसूस होती है।
देवी-देवताओं के प्रत्यक्ष दर्शन की मान्यता
ग्रामीणों के अनुसार, इस धाम में समय-समय पर देवी-देवताओं के प्रत्यक्ष दर्शन होते हैं। कभी शिवलिंग के पास विशाल नाग दिखता है, तो कभी कार्तिक अमावस्या की रात दैविक दीपक जलता दिखाई देता है।
एक अवसर पर वानर रूप में बजरंगबली हनुमान जी को यहां देखा गया, जिसके साक्षी ईसाई प्रचारक भी बने।
पुजारी नारायण सिंह ने कहा: “कैलाश धाम की हर गुफा में अद्भुत ऊर्जा है। जो श्रद्धा से यहां आता है, उसके जीवन की हर बाधा समाप्त हो जाती है।”
धार्मिक आयोजन और भक्तों की भीड़
यहां हर वर्ष कार्तिक माह में अखंड हरिकीर्तन, यज्ञ, हवन, आरती, प्रसाद वितरण और विशाल भंडारा का आयोजन किया जाता है।
सावन माह में श्रद्धालु दूर-दूर से जलाभिषेक करने आते हैं।
नवरात्रि में दुर्गा पाठ और रामनवमी के अवसर पर महावीर झंडा जुलूस निकाला जाता है।
इन आयोजनों में रामरेखा बाबा, बाबा उमाकांत जी महाराज, विश्व हिंदू परिषद के जिला अध्यक्ष कौशल राज सिंह देव, सुशील श्रीवास्तव, ओमप्रकाश साहू, भुनेश्वर सेनापति, प्रसन्न सिन्हा, और कृष्णा बड़ाइक जैसे प्रमुख लोग शामिल होते रहे हैं।
विकास कार्य और प्रशासनिक सहयोग
कैलाश धाम सह पर्यटक स्थल कर्रामुंडा विकास समिति इस स्थल के विकास के लिए निरंतर कार्यरत है।
समिति के अध्यक्ष जितेंद्र सिंह, सचिव मोतीराम बेहरा, कोषाध्यक्ष जितेंद्र बेहरा, पुजारी नारायण सिंह, और अन्य सदस्य प्रकाश बेहरा, शंभू सिंह, कमलेश पाटर, रैन सिंह, बसंत बड़ाइक सहित ग्रामीणों के सहयोग से यहां लगातार विकास कार्य हो रहे हैं।
पहाड़ तक सीढ़ी और सड़क निर्माण, गुफाओं में दरवाजे लगाना, और नए मंदिरों का निर्माण जैसे कार्य पूरे जनसहयोग से किए गए हैं।
सरकार ने भी कैलाश धाम को पर्यटन स्थल के रूप में सूचीबद्ध किया है और प्रशासन नियमित रूप से निरीक्षण और सहयोग करता है।
समिति अध्यक्ष जितेंद्र सिंह ने कहा: “कैलाश धाम केवल एक मंदिर नहीं, बल्कि यह सैकड़ों लोगों की आस्था का केंद्र है। सरकार और जनता के सहयोग से इसे विश्वस्तरीय धार्मिक स्थल बनाया जाएगा।”

न्यूज़ देखो: श्रद्धा और पर्यटन का संगम बनता कैलाश धाम
कैलाश धाम कर्रामुंडा आज धार्मिक पर्यटन और आस्था दोनों का केंद्र बन चुका है।
जहां कभी कठिन रास्ते और अंधविश्वास की बातें थीं, अब वहां विकास, संगठन और जनसहयोग की मिसाल है।
सरकार और समाज दोनों के प्रयासों से यह स्थल झारखंड के प्रमुख धार्मिक पर्यटन केंद्रों में शुमार हो सकता है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
श्रद्धा से सेवा तक, कैलाश धाम की गूंज हर दिल में
कैलाश धाम की कहानी केवल चमत्कारों की नहीं, बल्कि मानव विश्वास और सामूहिक आस्था की प्रतीक है।
यहां आने वाले हर भक्त के भीतर नया विश्वास जगता है कि सच्चे मन से की गई प्रार्थना कभी व्यर्थ नहीं जाती।
अब समय है कि हम सभी मिलकर ऐसे ऐतिहासिक और आध्यात्मिक स्थलों को संरक्षित और विकसित करने में अपना योगदान दें।
अपनी राय कमेंट करें, खबर को दोस्तों तक पहुंचाएं और इस पवित्र धाम के प्रति श्रद्धा और जागरूकता फैलाएं।




