Exclusive: चैनपुर-डुमरी में आदिवासी जमीन पर बांग्लादेशी कब्जा: प्रशासन पर उठे गंभीर सवाल

#गुमला #बांग्लादेशी_घुसपैठ — आदिवासी बेटियों से शादी कर कब्जा कर रहे जमीन, दस्तावेजों की वैधता पर छिड़ा विवाद

चैनपुर में सामाजिक संतुलन पर खतरा: जमीन पर कब्जे की नई चाल

गुमला जिले के चैनपुर और डुमरी प्रखंड इन दिनों एक गंभीर सामाजिक समस्या से जूझ रहे हैं। स्थानीय निवासियों और समाजसेवियों ने आरोप लगाया है कि बांग्लादेशी घुसपैठिए योजनाबद्ध तरीके से क्षेत्र की सांस्कृतिक और सामाजिक संरचना को नुकसान पहुंचा रहे हैं। ये लोग आदिवासी युवतियों को प्रेमजाल में फंसाकर शादी कर रहे हैं और फिर उनके नाम पर जमीन और घर पर कब्जा कर रहे हैं।

स्थिति की गंभीरता इस बात से समझी जा सकती है कि इन घुसपैठियों ने गांव में स्थायी रूप से रहने के लिए जरूरी दस्तावेज भी बनवा लिए हैं, जिससे उनकी पहचान पर सवाल उठना मुश्किल हो गया है।

आधार और पहचान पत्रों की वैधता बनी जांच का विषय

स्थानीय लोगों ने बताया कि इन घुसपैठियों को सरकारी पहचान पत्र आसानी से मिल रहे हैं, जिसमें आधार कार्ड, राशन कार्ड और आय प्रमाण पत्र शामिल हैं। ग्रामीणों का मानना है कि कुछ स्थानीय अधिकारी और नेताओं की मिलीभगत से यह प्रक्रिया संभव हो पा रही है।

“बाहरी लोग अचानक गांव में स्थायी निवासी कैसे बन जाते हैं, यह जांच का विषय है। अगर प्रशासन चाहे तो 24 घंटे में सच्चाई सामने आ सकती है।”
एक स्थानीय ग्रामीण नेता

डुमरी में बदले हालात: आदिवासी बेटियां बन रहीं हैं निशाना

डुमरी क्षेत्र में भी घुसपैठियों की संख्या बढ़ने से आदिवासी समुदाय में असुरक्षा का माहौल है। स्थानीय लोगों का कहना है कि घुसपैठिए शादी के बाद धीरे-धीरे गांव की जमीन और संसाधनों पर कब्जा जमा रहे हैं, जिससे मूल निवासी खुद हाशिए पर पहुंचते जा रहे हैं।

इस प्रक्रिया को एक लंबी योजना के तहत अंजाम दिया जा रहा है, जिससे चैनपुर और डुमरी का जनसांख्यिकीय ढांचा भी बदलता नजर आ रहा है।

संथाल परगना जैसे हालात की आहट: समय रहते नहीं चेते तो देर हो जाएगी

ग्रामीणों ने इस मामले को संथाल परगना से जोड़ते हुए चेतावनी दी है कि वहां जैसी स्थिति चैनपुर में न बन जाए। संथाल में भी बांग्लादेशी घुसपैठियों ने पहले इसी तरीके से अपनी जड़ें जमा ली थीं।

“अगर आज कार्रवाई नहीं हुई, तो कल ये लोग बहुमत में होंगे और प्रशासन भी कुछ नहीं कर पाएगा।”
स्थानीय समाजसेवी संगठन सदस्य

पहलगाम आतंकी हमले से जोड़ी जा रही आशंका

कुछ ग्रामीणों ने हालिया जम्मू-कश्मीर के पहलगाम हमले की चर्चा करते हुए कहा कि बाहरी लोगों की अनियंत्रित घुसपैठ भविष्य में सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन सकती है। इसलिए प्रशासन को चाहिए कि इन संदिग्ध नागरिकों की पहचान कर जांच की प्रक्रिया शुरू करे।

प्रशासन की चुप्पी और जनता का आक्रोश

अब तक प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। ग्रामीणों और स्थानीय संगठनों का आरोप है कि प्रशासन आंख मूंदकर बैठा है, जबकि सब कुछ उसी के सामने हो रहा है।

यदि समय रहते कार्रवाई नहीं की गई, तो यह समस्या आने वाले दिनों में राजनीतिक, सामाजिक और सुरक्षा संकट का रूप ले सकती है।

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