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गुमला में कुपोषण से जंग के लिए विशेषज्ञों ने दिया तीन दिवसीय प्रशिक्षण: स्वास्थ्यकर्मी हुए सशक्त

#गुमला #स्वास्थ्यप्रशिक्षण : होटल सावेकर में आयोजित कार्यक्रम में दिल्ली से आई विशेषज्ञ टीम ने कुपोषण प्रबंधन की विस्तृत जानकारी दी।

गुमला जिले में कुपोषण की गंभीर चुनौती से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग और द हंस फाउंडेशन की पहल पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। होटल सावेकर में आयोजित इस प्रशिक्षण का नेतृत्व दिल्ली से आई विशेषज्ञ टीम ने किया। इस अवसर पर स्वास्थ्यकर्मियों को बच्चों के कुपोषण प्रबंधन की विस्तृत जानकारी दी गई और उन्हें व्यवहारिक अभ्यास से सशक्त बनाया गया। इस कार्यक्रम को राज्य स्तर पर क्षमता वर्धन की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।

कुपोषण प्रबंधन पर केंद्रित आयोजन

गुमला जिले में लंबे समय से कुपोषण की समस्या जटिल रही है। इसे देखते हुए सिसई रोड स्थित होटल सावेकर में इस विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। नेशनल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस, कलावती शरण हॉस्पिटल दिल्ली की टीम ने कार्यक्रम का संचालन किया। टीम का नेतृत्व प्रोफेसर एवं डायरेक्टर डॉ. प्रवीण ने किया। उनके साथ डॉ. गीतिका और डॉ. श्रद्धा ने प्रतिभागियों को MTC में कुपोषण प्रबंधन की पूरी प्रक्रिया विस्तार से समझाई।

10 स्टेप ऑफ मैनेजमेंट और प्रैक्टिकल अभ्यास

विशेषज्ञों ने 10 स्टेप ऑफ मैनेजमेंट पर गहन चर्चा की। उन्होंने प्रतिभागियों को केवल सैद्धांतिक जानकारी ही नहीं दी बल्कि उन्हें प्रैक्टिकल डेमोंस्ट्रेशन और हैंड्स-ऑन प्रैक्टिस भी कराया। इससे स्वास्थ्यकर्मी वास्तविक परिस्थितियों में बेहतर तरीके से तैयार हो सकें।

डॉ. प्रवीण ने कहा: “कुपोषण का सही उपचार तभी संभव है जब स्वास्थ्यकर्मी पूरे आत्मविश्वास और वैज्ञानिक पद्धति के साथ कार्य करें। हमारा प्रयास है कि गुमला जैसे जिलों में बच्चों को गुणवत्तापूर्ण उपचार मिले।”

अधिकारियों की मौजूदगी और मार्गदर्शन

कार्यक्रम में सिविल सर्जन गुमला भी शामिल हुए। उन्होंने स्वास्थ्यकर्मियों का उत्साह बढ़ाया और उन्हें बच्चों की सेहत को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की सलाह दी।
वहीं द हंस फाउंडेशन के राज्य अधिकारी शिशुपाल मेहता ने कहा कि संस्था की प्राथमिकता है कि हर स्वास्थ्यकर्मी कुपोषण से जूझते बच्चों के लिए प्रभावी कदम उठा सके।

शिशुपाल मेहता ने कहा: “द हंस फाउंडेशन बच्चों के स्वस्थ भविष्य के लिए प्रतिबद्ध है। इस तरह का प्रशिक्षण ग्रामीण क्षेत्रों में कुपोषण समाप्त करने में मील का पत्थर साबित होगा।”

प्रतिभागियों की सक्रिय भूमिका

कार्यक्रम में कई अधिकारियों और स्वास्थ्यकर्मियों ने सक्रिय भागीदारी की। इनमें डीपीएम विकास कुमार पांडेय, प्रोजेक्ट मैनेजर विवेकानंद, सीडीएस प्रभाकर, कृष्णा जी, डॉ. तलत, डॉ. आशीष, एएनएम, हेल्थ एवं न्यूट्रिशन एक्सपर्ट तारकेश्वरी, नित्यं, और हाउसकीपिंग संगीता शामिल रहे। उनकी उपस्थिति ने इस प्रशिक्षण को और अधिक सफल और प्रभावी बना दिया।

द हंस फाउंडेशन की भूमिका

इस प्रशिक्षण के दौरान द हंस फाउंडेशन की भूमिका भी महत्वपूर्ण रही। संस्था ने न केवल कार्यक्रम को समर्थन दिया बल्कि स्वास्थ्य संवर्धन की दिशा में अपनी प्रतिबद्धता भी जाहिर की। प्रशिक्षण से स्पष्ट हुआ कि भविष्य में राज्य स्तर पर कुपोषण प्रबंधन के लिए और भी योजनाबद्ध कदम उठाए जाएंगे।

न्यूज़ देखो: कुपोषण पर नियंत्रण की ठोस शुरुआत

गुमला में हुआ यह तीन दिवसीय प्रशिक्षण केवल एक औपचारिकता नहीं बल्कि बच्चों के भविष्य को सुरक्षित करने का गंभीर प्रयास है। प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मी अब ग्रामीण स्तर पर ज्यादा प्रभावशाली तरीके से कुपोषण से लड़ सकेंगे। यह पहल राज्य के लिए नई उम्मीद जगाती है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

जागरूकता से ही बदलेंगे हालात

कुपोषण की समस्या केवल सरकार या संस्थाओं की नहीं बल्कि पूरे समाज की जिम्मेदारी है। अब समय है कि हम सब मिलकर इस मुहिम को आगे बढ़ाएं। अपनी राय कॉमेंट करें, इस खबर को शेयर करें और जागरूकता का हिस्सा बनें ताकि हर बच्चा स्वस्थ और सुरक्षित भविष्य पा सके।

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