#पलामू #सावनपूर्णिमा : श्रद्धालुओं की भीड़, मेला और सांस्कृतिक कार्यक्रम ने मन मोह लिया
- मनोकामना बाबा देव स्थल में भव्य मेला और सांस्कृतिक आयोजन।
- पांडू थाना प्रभारी विगेश कुमार राय ने फीता काटकर किया शुभारंभ।
- महाप्रसाद वितरण में पत्रकार और समिति सदस्यों की सक्रिय भूमिका।
- शाम को स्थानीय कलाकारों की मनमोहक प्रस्तुतियां।
- श्रद्धा और सौहार्द का अद्भुत उदाहरण पेश हुआ।
सावन पूर्णिमा के पावन अवसर पर पांडू प्रखंड के मुसीखाप स्थित प्रसिद्ध मनोकामना बाबा देव स्थल पर धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक उल्लास का अद्भुत संगम देखने को मिला। दिनभर चले इस आयोजन में हजारों श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया, जिससे पूरा क्षेत्र भक्तिमय माहौल में डूबा रहा। मंदिर परिसर में लगी श्रद्धालुओं की कतारें और चारों ओर गूंजते जयकारे वातावरण को और भी आध्यात्मिक बना रहे थे।
श्रद्धा और एकता का संदेश
कार्यक्रम का शुभारंभ पांडू थाना प्रभारी विगेश कुमार राय ने फीता काटकर किया। उन्होंने कहा कि यह आयोजन न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि सामाजिक सौहार्द का भी संदेश देता है।
विगेश कुमार राय ने कहा: “सबसे सराहनीय बात यह है कि विभिन्न धर्मों के लोग एकजुट होकर इस कार्यक्रम को सफल बना रहे हैं, जो समाज के लिए मिसाल है।”
महाप्रसाद और भक्ति का उत्साह
मेला के दौरान पत्रकार अनिल शर्मा और नंदू यादव ने श्रद्धालुओं के बीच महाप्रसाद वितरित किया। पूरे दिन मंदिर में दर्शन और पूजा का सिलसिला चलता रहा। भक्तों ने दूर-दराज से आकर अपनी मनोकामनाओं के लिए बाबा देव के चरणों में मत्था टेका।
सांस्कृतिक रंगों की छटा
शाम होते ही सांस्कृतिक कार्यक्रमों का शुभारंभ हुआ, जिसमें स्थानीय कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियों से सभी का मन मोह लिया। भक्ति गीत, झूमर नृत्य और लोकधुनों ने दर्शकों को देर रात तक बांधे रखा।
आयोजन की टीम और सहयोग
इस आयोजन को सफल बनाने में समिति अध्यक्ष नंदू यादव, उद्घोषक राजू शर्मा, रामबेलास सिंह, प्रवेश साव, अरबिंद सिंह, अवधेश सिंह, देवनंदन सिंह, सुरेश राम, महेंद्र प्रसाद, चन्द्रिका मेहता, कमलेश सिंह, विकास यादव, धर्मेंद्र विश्वकर्मा, अर्जुन शर्मा, अवधेश साव, प्रमोद शर्मा, मिथलेश शर्मा, ललन शर्मा, संभू चंद्रवंशी और कमलेश शर्मा सहित सैकड़ों लोगों का योगदान सराहनीय रहा।

न्यूज़ देखो: आस्था और सौहार्द का अनुपम संगम
मनोकामना बाबा देव स्थल पर सावन पूर्णिमा का यह आयोजन सिर्फ धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि सामाजिक एकता और सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण का प्रतीक है। स्थानीय लोगों का उत्साह और विभिन्न धर्मों के लोगों की भागीदारी इस क्षेत्र की अद्भुत सामाजिक समरसता को दर्शाती है।
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हमारी संस्कृति, हमारी पहचान
सावन की इस पूर्णिमा पर मनोकामना बाबा देव स्थल का आयोजन न सिर्फ श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बना, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को यह संदेश भी दे गया कि एकता और परंपरा हमारी सबसे बड़ी ताकत है। इस खबर को अपने दोस्तों, परिजनों और सोशल मीडिया पर जरूर साझा करें ताकि यह सकारात्मक ऊर्जा सब तक पहुंचे।