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नालंदा में फल्गू नदी ने मचाया कहर, तीन प्रखंडों में घुसा पानी, एनडीआरएफ की टीम जुटी राहत कार्य में

#नालंदा #फल्गूनदीबाढ़ : उदेरास्थान बराज से छोड़े गए पानी के बाद नालंदा जिले में फल्गू नदी उफान पर — एकंगरसराय, हिलसा और करया परसुराय प्रखंडों में बाढ़ जैसे हालात

उदेरास्थान बराज से छोड़े गए पानी ने बढ़ाई मुसीबत

बिहार में सक्रिय मॉनसून के बीच गुरुवार को उदेरास्थान बराज से छोड़े गए 73,000 क्यूसेक पानी ने फल्गू नदी के जलस्तर को अचानक काफी ऊपर पहुँचा दिया। इसका सीधा असर नालंदा जिले के एकंगरसराय, हिलसा और करया परसुराय प्रखंडों में देखा जा रहा है जहां बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं। नदी के किनारे बसे गांवों में पानी घरों और खेतों तक घुस चुका है, जिससे लोग दहशत में हैं।

गया में पुल के नीचे फंसे लोगों का रेस्क्यू

फल्गू नदी का जलस्तर गया जिले में भी खतरे के निशान को पार कर गयापुल के नीचे सो रहे कई लोग अचानक बढ़े जलप्रवाह में फंस गए, जिन्हें रातभर चलाए गए रेस्क्यू अभियान में सुरक्षित बाहर निकाला गया। प्रशासन की तत्परता से यह एक बड़ा हादसा टल गया, लेकिन स्थानीय अलर्ट सिस्टम की कमी इस घटना में साफ नजर आई।

संपर्क टूटा, तटबंध टूटा, सड़कें धंसीं

बाढ़ के पानी ने नालंदा के कई इलाकों का मुख्य सड़क से संपर्क तोड़ दिया हैतटबंध में आई दरारों और कटाव के कारण कई ग्रामीण सड़कों का अस्तित्व खत्म हो चुका है। फलस्वरूप स्थानीय परिवहन, अस्पतालों और बाज़ारों तक पहुंचना कठिन हो गया है। गांवों में रहने वाले सैकड़ों परिवारों को अब सहायता शिविरों या ऊंचे स्थानों पर भेजा जा रहा है।

आपदा प्रबंधन विभाग के एक अधिकारी ने बताया: “स्थिति नियंत्रण में है लेकिन पानी के बहाव को देखते हुए अतिरिक्त राहत टीम को स्टैंडबाय रखा गया है।”

प्रशासन ने कसी कमर, लेकिन चेतावनी प्रणाली पर उठे सवाल

एनडीआरएफ की दो बटालियन को तैनात किया गया है, जो प्रभावित क्षेत्रों में राहत व बचाव अभियान चला रही हैं। प्रशासन ने बाढ़ प्रभावितों के बीच राशन पैकेट और जरूरी सामग्री का वितरण शुरू कर दिया है। हालांकि अचानक पानी छोड़े जाने के बावजूद किसी प्रकार की पूर्व चेतावनी नहीं दी गई, जिससे हालात और खराब हो गए। ग्रामीणों का आरोप है कि उन्हें कोई अलर्ट नहीं मिला, जिससे कई लोग जलस्तर बढ़ने से पहले निकल नहीं सके।

गांवों में पसरा सन्नाटा, खेतों में डूब गई फसल

फल्गू नदी के रौद्र रूप ने गांवों की रफ्तार रोक दी है। खेतों में लगी धान, मक्का और सब्जियों की फसल पूरी तरह पानी में डूब चुकी हैजानवरों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने में भी दिक्कतें आ रही हैं। लोग नाव और टायर की ट्यूब के सहारे आने-जाने को मजबूर हैं।

हिलसा के किसान रामविलास यादव ने बताया: “हमने अभी बोवाई शुरू ही की थी कि पूरा खेत बह गया। सरकारी सहायता नहीं मिली तो साल भर की कमाई चली जाएगी।”

न्यूज़ देखो: आपदा प्रबंधन या पूर्व चेतावनी का अभाव?

न्यूज़ देखो की नजर इस बार केवल बारिश और नदी के उफान पर नहीं, बल्कि उन खामियों पर भी है जो हर साल आपदा को विकराल बना देती हैं। नालंदा जैसे संवेदनशील ज़िले में बिना चेतावनी पानी छोड़ना प्रशासन की बड़ी चूक है। बाढ़ तो प्राकृतिक आपदा है, लेकिन जान-माल का नुकसान इंसानी लापरवाही से होता है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

हर नागरिक को चाहिए कि वह सतर्क रहे, नदियों के किनारे जाने से बचे और प्रशासन के दिशा-निर्देशों का पालन करे। आप सभी से आग्रह है कि इस खबर पर अपनी प्रतिक्रिया ज़रूर दें, इसे रेट करें और अपने दोस्तों व परिजनों के साथ शेयर करें ताकि सच लोगों तक पहुंचे और जागरूकता बढ़े।

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