#विशुनपुरा #कृषि_संकट : प्रखंड मुख्यालय में सुबह से लगी लंबी कतारों में किसान खाद के इंतजार में बेहाल
- विशुनपुरा प्रखंड मुख्यालय स्थित खाद दुकान पर शनिवार को किसानों की भारी भीड़ उमड़ी।
- कई किसान रात से ही लाइन में डटे रहे ताकि खाद मिलने का भरोसा बना रहे।
- गर्मी और उमस के बीच घंटों खड़े किसानों ने अपनी परेशानी बयां की।
- किसानों ने आरोप लगाया कि वितरण प्रणाली में गड़बड़ी है और असली किसानों को खाद नहीं मिल पा रहा।
- प्रशासन ने स्थिति संभालने के लिए स्थानीय पुलिस बल की तैनाती की।
- कृषि पदाधिकारी ने कहा कि जल्द ही यूरिया की नई खेप उपलब्ध कराई जाएगी।
विशुनपुरा प्रखंड में यूरिया खाद की किल्लत ने किसानों की नींद उड़ा दी है। शनिवार की सुबह से ही प्रखंड मुख्यालय के खाद दुकान पर सैकड़ों किसान लाइन में लगे रहे। धान की फसल के लिए खाद की सबसे अहम जरूरत के समय पर इस किल्लत ने कृषि पर संकट के बादल खड़े कर दिए हैं। किसान अपनी मेहनत की फसल को बचाने के लिए परेशान हैं और खाद की आपूर्ति की मांग कर रहे हैं। भीड़ बढ़ने पर प्रशासन ने मोर्चा संभाला और पुलिस बल की तैनाती करनी पड़ी। कृषि विभाग ने भरोसा दिलाया है कि जल्द ही खाद की खेप पहुंच जाएगी।
किसानों की लंबी जद्दोजहद
शनिवार को सुबह होते ही खाद दुकान पर किसानों का जमावड़ा शुरू हो गया। खबर फैलते ही स्थिति ऐसी हो गई कि दुकान के बाहर सैकड़ों किसानों की लाइन लग गई। कुछ किसान तो रात से ही दुकान के बाहर डेरा जमाए बैठे रहे ताकि सुबह बारी आने पर वे खाद ले सकें। तेज गर्मी और उमस भरे मौसम में घंटों खड़े रहने के बावजूद किसानों के हाथ निराशा ही लगी।
रामलखन यादव, किसान ने कहा: “धान की फसल को इस समय खाद की सबसे ज्यादा जरूरत है। अगर समय पर खाद नहीं मिला तो सालभर की मेहनत बर्बाद हो जाएगी।”
किसानों का कहना है कि इस स्थिति में वे अपने खेतों को समय पर खाद नहीं दे पा रहे हैं। इससे न केवल फसल की उपज पर असर पड़ेगा बल्कि उनकी आर्थिक स्थिति भी बिगड़ सकती है।
किसानों के आरोप और गुस्सा
कई किसानों ने खाद वितरण प्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए। उनका कहना था कि दुकान पर पर्याप्त मात्रा में खाद आने के बावजूद उन्हें नहीं मिल रहा। आरोप लगाया गया कि असली किसान लाइन में घंटों खड़े रहने के बावजूद खाली हाथ लौट रहे हैं जबकि कुछ लोगों को मनमाने तरीके से खाद उपलब्ध कराया जा रहा है।
ग्राम पंचायत के किसान राजेश कुमार ने कहा: “हम सुबह से लाइन में लगे हैं, लेकिन अब तक सिर्फ वादे ही सुन रहे हैं। खाद वितरण में गड़बड़ी हो रही है, हम चाहते हैं कि प्रशासन इस पर तुरंत ध्यान दे।”
किसानों के गुस्से की वजह साफ है—धान की फसल का यह सबसे संवेदनशील समय है। इस मौके पर अगर खाद नहीं मिला तो फसल का नुकसान होना तय है।
प्रशासन की सक्रियता
किसानों की बढ़ती भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने स्थिति संभालने के लिए स्थानीय पुलिस बल को तैनात कर दिया। पुलिसकर्मियों ने किसानों से संयम बनाए रखने की अपील की। वहीं प्रखंड कृषि पदाधिकारी ने कहा कि खाद की नई खेप रास्ते में है और जल्द ही किसानों को राहत मिलेगी।
प्रखंड कृषि पदाधिकारी ने कहा: “हम समझते हैं कि इस समय किसानों के लिए खाद कितना जरूरी है। नई खेप जल्द पहुंचेगी, किसानों से अपील है कि वे धैर्य रखें और अफवाहों से बचें।”
प्रशासनिक स्तर पर यह भी आश्वासन दिया गया कि वितरण में पारदर्शिता लाई जाएगी और असली किसानों को उनकी आवश्यकता के अनुसार खाद उपलब्ध कराया जाएगा।
खेती-किसानी पर मंडराता संकट
धान की खेती का यह समय किसानों के लिए बेहद अहम होता है। अगर समय पर खाद नहीं मिला तो फसल कमजोर पड़ जाएगी और उत्पादन पर गहरा असर पड़ेगा। इससे न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति डगमगा सकती है बल्कि क्षेत्र में खाद्यान्न की आपूर्ति पर भी असर पड़ सकता है।
विशुनपुरा प्रखंड के किसान फिलहाल अगली खेप का इंतजार कर रहे हैं। लेकिन मौजूदा हालात ने उनकी चिंता और बढ़ा दी है। किसानों की आंखों में सिर्फ यही सवाल है कि आखिर कब तक उन्हें खाद के लिए यूं लाइन में खड़ा रहना पड़ेगा।
न्यूज़ देखो: किसानों की मजबूरी और तंत्र की कमजोरी
विशुनपुरा में यूरिया खाद की किल्लत से यह साफ हो गया है कि आपूर्ति और वितरण व्यवस्था में गंभीर खामियां हैं। किसान अपनी मेहनत की फसल को बचाने के लिए दर-दर भटक रहे हैं जबकि प्रशासनिक मशीनरी आश्वासन देने में व्यस्त है। खाद का समय पर वितरण न केवल किसानों के लिए बल्कि क्षेत्र की खाद्य सुरक्षा के लिए भी जरूरी है। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
जागरूक बनें, समाधान की मांग करें
किसानों की परेशानी को नजरअंदाज करना समाज के लिए बड़ा खतरा है। हर नागरिक की जिम्मेदारी है कि इस मुद्दे पर आवाज उठाए और समाधान की मांग करे। आप अपनी राय जरूर साझा करें, खबर को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाएं और किसानों के समर्थन में खड़े हों।