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डंडई में यूरिया खाद की किल्लत से किसान परेशान: सड़क पर उतरे ग्रामीण, प्रशासन से की त्वरित आपूर्ति की मांग

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#गढ़वा #किसान : खाद संकट से धान की खेती पर संकट गहराया, हज़ारों की भीड़ उमड़ी
  • डंडई प्रखंड में कई दिनों से यूरिया खाद की किल्लत से किसान परेशान।
  • खाद केंद्रों पर सुबह से लंबी कतारें, अधिकतर किसान लौटे खाली हाथ।
  • काला बाजारी और जमाखोरी से किसानों की जेब पर अतिरिक्त बोझ।
  • वितरण प्रणाली में गड़बड़ी और पारदर्शिता की कमी उजागर।
  • उपायुक्त ने हस्तक्षेप कर अपील की—फिलहाल हर किसान एक-एक बोरी ले।

डंडई (गढ़वा)। झारखंड में खेती-किसानी के चरम सीजन में खाद की कमी किसानों के लिए संकट का बड़ा कारण बन गई है। डंडई प्रखंड समेत पूरे गढ़वा जिले में यूरिया खाद की भारी किल्लत से किसान परेशान हैं। आलम यह है कि किसान सुबह-सुबह केंद्रों पर लाइन में खड़े हो जाते हैं, लेकिन घंटों इंतजार के बाद भी अधिकांश को खाली हाथ ही लौटना पड़ता है।

हजारों की भीड़ और अफरा-तफरी का माहौल

बुधवार, 27 अगस्त को डंडई में एक दुकान पर यूरिया खाद मिलने की खबर फैली तो हजारों ग्रामीण सड़क पर उतर आए। भीड़ इतनी बढ़ गई कि सड़क पर आवाजाही तक बाधित हो गई। खाद की कमी के कारण किसानों में बेचैनी साफ झलक रही थी। कतारों में अनुशासन बनाए रखने की कोशिश जरूर हुई, लेकिन आपूर्ति बेहद कम होने से अफरा-तफरी और नाराज़गी भी देखने को मिली।

मुख्य कारण: आपूर्ति कम, जमाखोरी ज़्यादा

किसानों का आरोप है कि उनकी जरूरतों के मुकाबले यूरिया की आपूर्ति बेहद कम है। पैक्स अध्यक्षों का कहना है कि सरकार द्वारा निर्धारित ₹266 प्रति बोरी पर खाद उपलब्ध कराना मुश्किल है, क्योंकि इसमें लोडिंग, अनलोडिंग और परिवहन का खर्च शामिल नहीं है।

इसके अलावा, काला बाजारी और जमाखोरी की खबरें भी सामने आ रही हैं। कई किसान मजबूरी में बाजार से ज्यादा दाम देकर खाद खरीद रहे हैं। वितरण प्रणाली में भी पारदर्शिता की कमी है, जिसके चलते कई किसानों को सिर्फ एक-दो बोरी ही मिल पा रही है, जबकि जरूरत कहीं ज्यादा है।

प्रशासन का हस्तक्षेप और अपील

किसानों के गुस्से और कठिनाई को देखते हुए गढ़वा जिला प्रशासन सक्रिय हुआ है। उपायुक्त ने सभी प्रखंड स्तरीय पदाधिकारियों को निर्देश दिया है कि खाद का वितरण निष्पक्ष और पारदर्शी ढंग से किया जाए। उन्होंने किसानों से अपील की है कि फिलहाल वे केवल एक-एक बोरी ही लें ताकि सभी तक खाद पहुंच सके। साथ ही उन्होंने आश्वासन दिया कि आगे और खाद उपलब्ध कराने की निरंतर व्यवस्था होगी।

किसानों की नाराज़गी और मांग

किसानों का कहना है कि यदि समय पर खाद नहीं मिली तो उनकी धान की फसलें बर्बाद हो जाएंगी। यह न सिर्फ उनकी आजीविका बल्कि पूरे जिले की कृषि अर्थव्यवस्था के लिए संकट साबित होगा। उनकी मांग है कि सरकार और प्रशासन तत्काल यूरिया की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करे, काला बाजारी पर रोक लगाए और निर्धारित मूल्य पर खाद उपलब्ध कराए

न्यूज़ देखो: खाद संकट से किसान परेशान, त्वरित हल की दरकार

खेती के इस नाजुक दौर में खाद की कमी सीधे तौर पर अनाज उत्पादन और किसानों की आजीविका को प्रभावित कर रही है। यदि इस समस्या का त्वरित समाधान नहीं हुआ तो इसका असर केवल किसानों पर नहीं बल्कि पूरे राज्य की खाद्य सुरक्षा पर पड़ेगा।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

अब खाद नहीं तो खेती कैसे?

अब समय है कि प्रशासन और सरकार इस संकट को गंभीरता से लें। किसानों की तकलीफें केवल उनकी नहीं बल्कि पूरे समाज की हैं। आपकी राय इस मुद्दे को और मजबूत बनाएगी। कॉमेंट कर अपनी बात रखें और इस खबर को शेयर करें ताकि किसानों की आवाज़ हर जगह पहुंचे।

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