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विशुनपुरा में यूरिया खाद की कालाबाज़ारी की आशंका: कृषि पदाधिकारी ने दुकान में डलवाया दूसरा ताला

#गढ़वा #यूरियाखाद : किसानों की परेशानी बढ़ी, संचालक पर जांच के बाद होगी कार्रवाई

विशुनपुरा, गढ़वा। प्रखंड क्षेत्र में यूरिया खाद की कमी से परेशान किसानों की शिकायतों के बीच शुक्रवार को कृषि विभाग की टीम ने बड़ी कार्रवाई की। जिला कृषि पदाधिकारी को गुप्त सूचना मिली थी कि विष्णु मंदिर रोड स्थित रामचंद्र भंडारी के घर के बगल में संचालित दुकान में यूरिया खाद का अवैध भंडारण या कालाबाज़ारी की जा रही है।

छापेमारी के दौरान दुकान बंद मिला

प्रखंड कृषि पदाधिकारी राकेश कुमार और बीटीएम रणजीत सिंह मौके पर पहुँचे तो दुकान बंद मिली। उन्होंने संचालक शीतल गुप्ता को फोन किया। उसने कहा कि वह परीक्षा देने गया है और तीन बजे तक लौट आएगा। लेकिन तय समय पर वह नहीं पहुँचा और बाद में उसका मोबाइल भी बंद हो गया।

दूसरा ताला डलवाकर की गई कार्रवाई

करीब पांच बजे तक इंतजार करने के बाद कृषि पदाधिकारी ने घर मालिक से ताला मंगवाकर दुकान में दूसरा ताला डलवा दिया। हालांकि दुकान को शील नहीं किया गया है, लेकिन विभाग ने इसे संदिग्ध मानते हुए जांच शुरू कर दी है।

किसानों की बढ़ी चिंता

इस बीच, क्षेत्र के किसान यूरिया की कमी से जूझ रहे हैं। समय पर खाद नहीं मिलने से धान और अन्य फसलों की बुवाई प्रभावित हो रही है। किसानों का कहना है कि प्रशासन यदि सख्त कदम नहीं उठाता है तो फसल उत्पादन पर गंभीर असर पड़ सकता है।

कृषि पदाधिकारी की चेतावनी

प्रखंड कृषि पदाधिकारी राकेश कुमार ने कहा कि –

“किसान पहले ही यूरिया की कमी से परेशान हैं। यदि जांच में कालाबाज़ारी या अवैध भंडारण साबित होता है तो संचालक के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।”

न्यूज़ देखो: किसानों की जरूरतों पर कालाबाज़ारी करना अपराध

यूरिया खाद किसानों की जीवनरेखा है और इसकी कालाबाज़ारी सीधे तौर पर अन्नदाताओं को नुकसान पहुँचाती है। इस तरह की घटनाएं न केवल खेती को प्रभावित करती हैं बल्कि खाद्य सुरक्षा के लिए भी खतरा हैं। प्रशासन को चाहिए कि ऐसे मामलों पर त्वरित और सख्त कार्रवाई करे ताकि किसान निश्चिंत होकर खेती कर सकें।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

किसानों की मजबूती ही राष्ट्र की ताकत

अब समय है कि समाज और प्रशासन दोनों मिलकर किसानों को उनके हक का संसाधन दिलाने में सहयोग करें। यूरिया जैसी आवश्यक वस्तुओं की कालाबाज़ारी पर सख्ती से रोक लगनी चाहिए। अपनी राय कॉमेंट करें और इस खबर को दोस्तों के साथ शेयर करें ताकि किसानों की आवाज़ और मज़बूती से उठ सके।

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