
#कांडी #अधौरा — सामाजिक दबाव और समझौते के बाद लोकलाज में आत्महत्या, तीन बच्चों की मां ने दी जान
- अधौरा गांव की 33 वर्षीय बिंदा देवी ने कीटनाशक खाकर की आत्महत्या
- घटना के एक दिन पहले पुलिस थाने में सामाजिक समझौता हुआ था
- मृतिका पर पड़ोसी युवक से संबंध का था सामाजिक आरोप
- पति के बयान और मौके से सल्फास रैपर मिलने से आत्महत्या की पुष्टि
- पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए गढ़वा भेजा, जांच जारी
घटनाक्रम: अचानक ज़हर खाकर तड़पने लगी महिला
गढ़वा, कांडी: कांडी थाना क्षेत्र के शिवपुर पंचायत अंतर्गत अधौरा गांव में बिंदा देवी (33) ने गुरुवार दिन में कीटनाशक खाकर आत्महत्या कर ली।
मृतका के पति अमीरका राम ने बताया कि वह घर में स्नान के बाद थी, और इसी दौरान कब ज़हर खा ली, किसी को पता नहीं चला।
कुछ देर बाद बिंदा देवी ज़मीन पर छटपटाने लगी। आसपास के लोगों को सूचना दी गई और 108 एम्बुलेंस बुलाया गया, लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी।
सूचना पर कांडी थाना की पुलिस मौके पर पहुंची और शव को पंचनामा के बाद पोस्टमार्टम के लिए गढ़वा भेज दिया।
शव के पास सल्फास का रैपर मिलने से कीटनाशक खाने की पुष्टि हुई है।
सामाजिक आरोप और तनाव बना कारण
ग्रामीणों ने बताया कि बिंदा देवी को दो-तीन दिन पहले रात में एक पड़ोस के लड़के के साथ घर के पीछे देखा गया था।
इससे पहले भी दोनों को साथ देखा गया, जिस पर समाजिक पंचायती भी की गई थी।
परंतु जब सुधार नहीं हुआ, तो पति अमीरका राम ने थाने में आवेदन देकर न्याय की मांग की थी।
बुधवार को पुलिस ने दोनों पक्षों को थाने बुलाकर समझौता कराया।
इसमें मृतिका के मायके वाले भी उपस्थित थे, और लिखित रूप से समझौता कराकर उन्हें समझाकर घर भेजा गया।
परंतु इस समझौते के दूसरे ही दिन, लोकलाज और सामाजिक दबाव में आकर बिंदा देवी ने आत्मघाती कदम उठा लिया।
तीन मासूम बच्चों की मां, गांव में मातम
मृतका तीन बच्चों की मां थी — एक बेटी और दो बेटे।
अब बच्चों के भविष्य पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।
घटना के बाद गांव में शोक की लहर है और लोगों के बीच सामाजिक दबाव, पंचायत और महिला की मानसिक स्थिति को लेकर चर्चा है।
पुलिस कर रही जांच, सामाजिक जिम्मेदारी पर भी उठे सवाल
मामले की जांच में जुटे एसआई रवि शंकर मिश्रा और एएसआई रघुवंश महतो ने घटना स्थल पर सभी कागजी प्रक्रिया पूरी की।
मौके पर मुखिया प्रतिनिधि अरुण राम, पूर्व मुखिया जय किशुन राम, वार्ड सदस्य प्रतिनिधि नंद कुमार राम और इसराइल अंसारी भी मौजूद थे।
न्यूज़ देखो : आत्महत्या के पीछे की सामाजिक पीड़ा को समझें
न्यूज़ देखो मानता है कि इस घटना ने हमें सोचने पर मजबूर किया है —
क्या सामाजिक निर्णय और पंचायती हमेशा न्याय दे पाते हैं?
एक महिला ने लोकलाज और सामाजिक ठप्पे से तंग आकर अपनी जान गंवा दी, और अब उसके तीन मासूम बच्चे अनाथ हो गए।
अब समय है कि हम समझदारी से निर्णय लें, न कि मानसिक दबाव में डालें।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
संवेदनशीलता और समझदारी की जरूरत
ऐसी घटनाएं बताती हैं कि कानूनी प्रक्रिया और मानसिक परामर्श दोनों की जरूरत है।
महिलाओं की अस्मिता से जुड़ी बातों में हमें सहनशीलता, गोपनीयता और परामर्श-परक दृष्टिकोण अपनाने की ज़रूरत है।
समाज को चाहिए कि वह दबाव नहीं, सहारा बने।