
#BaraisandForestFire #PalamuTigerReserveCrisis #JharkhandWildlifeLoss #ForestDepartmentFailure – दो दिन से सुलग रहे जंगल, वन विभाग की लाचारी से ग्रामीणों में गुस्सा
- पलामू टाइगर रिज़र्व के बारेसांढ़ क्षेत्र में दो दिन से भीषण आग
- कई औषधीय पौधे जलकर नष्ट, जीव-जंतुओं के जीवन पर खतरा
- वन विभाग की तैयारियों पर उठे सवाल, ग्रामीणों ने जताया आक्रोश
- ब्लोअर मशीनें खराब, वन ट्रैकर अनुपलब्ध, संसाधनों की भारी कमी
- हर साल की तरह इस बार भी जंगल की आग से भारी क्षति की आशंका
द्वारसैनी क्षेत्र में सुलग रही वन-संपदा, विभाग बेबस
पलामू व्याघ्र आरक्ष (PTR) के बारेसांढ़ क्षेत्र में बीते दो दिनों से जंगल की आग ने विकराल रूप ले लिया है। द्वारसैनी क्षेत्र में फैली इस आग से वन संपदा को व्यापक नुकसान हुआ है। कई औषधीय पौधे जलकर नष्ट हो चुके हैं और जीव-जंतुओं की मौत की आशंका भी गहराई है।
वन विभाग की निष्क्रियता से नाराज़ ग्रामीण
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग ने अब तक कोई प्रभावी प्रयास नहीं किया।
“दैनिक वन मजदूर अन्य कामों में लगे हैं, जिससे समय पर मदद नहीं मिल रही है।”
ग्रामीणों का आक्रोश लगातार बढ़ता जा रहा है क्योंकि विभाग न तो संसाधन जुटा पा रहा है और न ही स्थायी समाधान।
संसाधनों की भारी कमी से जूझ रहा विभाग
इस संबंध में वनरक्षी वर्धमान भगत ने बताया कि विभाग कोशिश कर रहा है, लेकिन संसाधनों की भारी कमी सबसे बड़ी बाधा बन रही है।
“ब्लोअर मशीनों की सर्विसिंग नहीं हो पाई, वन ट्रैकर मौजूद नहीं हैं, ट्रैक्टर इन्क्लोजर कार्य में लगे हैं और ग्राम की इको विकास समिति भी भंग है।”
इस हालात में दमनात्मक प्रयास लगभग असंभव हो चला है, और आग लगातार फैल रही है।
हर साल की दुहराई जाती है कहानी, कब मिलेगी स्थायी व्यवस्था?
हर साल गर्मी के मौसम में पलामू टाइगर रिज़र्व के जंगल आग से झुलसते हैं। इसके बावजूद वन विभाग की तैयारी हर बार सवालों के घेरे में रहती है।
इस बार भी स्थिति वैसी ही बनी हुई है—न संसाधन, न रणनीति और न ही सामुदायिक भागीदारी। ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि क्या वन विभाग ने जंगल की सुरक्षा को प्राथमिकता दी ही नहीं?
‘न्यूज़ देखो’ की अपील
न्यूज़ देखो मानता है कि वन और जीव संरक्षण हमारी सामूहिक ज़िम्मेदारी है। जंगलों की सुरक्षा केवल विभाग का काम नहीं, बल्कि समाज और सरकार को मिलकर स्थायी समाधान पर जोर देना चाहिए। अन्यथा, हर साल ऐसे हादसे प्रकृति और इंसानों दोनों के लिए भारी साबित होंगे।