
#लातेहार #परियोजना_अधिग्रहण : बनहरदी कोयला खनन परियोजना ने भूमि अधिग्रहण के साथ विकास कार्यों को एक नई गति दी।
- बनहरदी कोयला खनन परियोजना (पीवीयुएनएल) ने 5.35 एकड़ अधिग्रहित भूमि का पहला भौतिक कब्जा पूरा किया।
- प्रक्रिया महाप्रबंधक एन. के. मल्लिक एवं सीईओ अशोक कुमार सहगल के निर्देशन में सम्पन्न हुई।
- मौके पर वरिष्ठ अधिकारी, ग्रामवासी, भूमि स्वामी लाल रंजन नाथ शाहदेव सहित कई लोग उपस्थित।
- यह भूमि पतरातू तापीय विद्युत संयंत्र को कोयला आपूर्ति सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
- निर्धारित एमओयू लक्ष्य के तहत तय समय में अधिग्रहण पूरा कर परियोजना ने नई उपलब्धि हासिल की।
लातेहार के ग्राम एटे में बनहरदी कोयला खनन परियोजना (पीवीयुएनएल) ने 29 नवंबर 2025 को एक अहम उपलब्धि दर्ज करते हुए कुल 5.35 एकड़ अधिग्रहित भूमि का प्रथम भौतिक अधिग्रहण सफलतापूर्वक प्राप्त कर लिया। अधिग्रहण के बाद परियोजना की ओर से स्थल पर पहचान बोर्ड स्थापित किया गया, जिससे औपचारिक रूप से इस ऐतिहासिक कदम को अंतिम रूप मिला। यह प्रगति आने वाले महीनों में कोयला उत्पादन शुरू करने की दिशा में अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
परियोजना के शीर्ष अधिकारियों की उपस्थिति में पूरा हुआ महत्वपूर्ण चरण
इस अधिग्रहण प्रक्रिया का नेतृत्व परियोजना के महाप्रबंधक एन. के. मल्लिक ने किया, जबकि संपूर्ण कार्यवाही मुख्य कार्यकारी अधिकारी अशोक कुमार सहगल के मार्गदर्शन में सम्पन्न हुई। इस मौके पर अपर महाप्रबंधक एम. चंद्रशेखर, असीम मिश्रा, आर. बी. सिंह, तथा उप महाप्रबंधक अमरेश चंद्र राउल सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। उनकी उपस्थिति ने इसे एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक उपलब्धि का रूप दिया।
स्थानीय ग्रामीणों, पंचायत प्रतिनिधियों और भूमि स्वामी लाल रंजन नाथ शाहदेव ने भी कार्यक्रम में शामिल होकर परियोजना के इस ऐतिहासिक पड़ाव को साक्षी बनाया। भूमि से जुड़ी सभी औपचारिकताएं पूर्ण होने के बाद इस कार्य को सफल माना गया।
पतरातू तापीय विद्युत संयंत्र के लिए कोयला आपूर्ति की दिशा में बड़ा कदम
बनहरदी कोयला ब्लॉक, पीवीयुएनएल—जो एनटीपीसी लिमिटेड और झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड का संयुक्त उपक्रम है—का एक महत्वपूर्ण कैप्टिव ब्लॉक है। यह ब्लॉक पतरातू तापीय विद्युत संयंत्र के लिए लगातार कोयला आपूर्ति सुनिश्चित करेगा।
उल्लेखनीय है कि पतरातू संयंत्र से उत्पन्न होने वाली 85 प्रतिशत बिजली झारखंड के लिए निर्धारित है, जिससे राज्य की ऊर्जा क्षमता में अभूतपूर्व बढ़ोतरी होगी।
एमओयू लक्ष्य तय समय में पूरा, अब अगले चरण की तैयारी
सीबीए अधिनियम के अंतर्गत मुआवजा वितरण पूर्ण होने के बाद इस भूमि का भौतिक अधिग्रहण परियोजना के लिए एक मुख्य लक्ष्य था। निर्धारित समयसीमा के भीतर लक्ष्य हासिल कर परियोजना ने अपनी कार्यकुशलता और प्रतिबद्धता को सिद्ध किया है।
अधिकारियों के अनुसार, आगे के चरणों में शेष अर्जित भूमि का अधिग्रहण पूरा होते ही खदान से कोयला उत्पादन कार्य शीघ्र शुरू किया जाएगा।
स्थानीय विकास और रोजगार में मिलेगी नई दिशा
परियोजना के सफलतापूर्वक आगे बढ़ने से न केवल ऊर्जा उत्पादन को गति मिलेगी, बल्कि आसपास के क्षेत्रों में रोजगार, आर्थिक गतिविधियों, और स्थानीय विकास के नए अवसर भी पैदा होंगे। ग्रामीणों का मानना है कि इस परियोजना के पूर्ण रूप से संचालित होने पर इलाके में सड़क, बिजली और अन्य मूलभूत सुविधाओं में सुधार देखने को मिलेगा।
न्यूज़ देखो: विकास के नए आयाम
बनहरदी कोयला परियोजना का यह अधिग्रहण झारखंड की ऊर्जा सुरक्षा और औद्योगिक विकास दोनों के लिए महत्वपूर्ण मोड़ है। कोयला खनन से मिलने वाली सतत आपूर्ति पतरातू संयंत्र की उत्पादन क्षमता को मजबूत करेगी, जिससे राज्य में बिजली की उपलब्धता में स्थिरता आएगी।
स्थानीय समुदाय के लिए यह परियोजना लंबे समय तक रोजगार और संसाधनों का बड़ा स्रोत बन सकती है।
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जिम्मेदारी और विकास की राह
यह आवश्यक है कि परियोजना आगे भी इसी पारदर्शिता और गुणवत्ता के साथ आगे बढ़े, ताकि जनता का भरोसा बना रहे। भूमि अधिग्रहण के बाद स्थानीय हितों, पर्यावरण और रोजगार के अवसरों का संतुलन बनाना प्रशासन और प्रबंधन की जिम्मेदारी है।
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