#धार्मिकजागरूकता #हरलाडीह #रामनवमी पर दूर नहीं जाना होगा – गांव में होगा अब अपना हनुमान मंदिर, महिलाओं की पहल बनी मिसाल
- हरलाडीह गांव में हनुमान मंदिर निर्माण की शुरुआत, पांच महिलाओं ने मिलकर पांच डिसमिल जमीन दान की
- सावित्री देवी, यशोदा देवी, रुक्मणि देवी, सीता देवी और देवकी देवी ने दिया धार्मिक कार्य में योगदान
- ग्रामसभा में लिया गया निर्णय, स्थानीय जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में जमीन दान की प्रक्रिया पूरी
- रामनवमी जैसे पर्वों पर गांव में ही पूजा-अर्चना संभव होगी, मंदिर निर्माण को लेकर लोगों में उत्साह
- गांववाले बढ़-चढ़कर कर रहे सहयोग, मंदिर निर्माण कार्य जल्द होगा शुरू
हरलाडीह की महिलाओं की धार्मिक पहल, गांव में हनुमान मंदिर निर्माण का रास्ता साफ
गिरिडीह जिले के पीरटांड़ प्रखंड स्थित हरलाडीह गांव में अब हनुमान मंदिर निर्माण का सपना जल्द साकार होने वाला है। वर्षों से इस गांव में हनुमान मंदिर नहीं होने के कारण ग्रामीणों को रामनवमी और अन्य धार्मिक अवसरों पर अन्य गांवों की ओर रुख करना पड़ता था। इस समस्या के समाधान के लिए गांव की पांच महिलाओं ने अनुकरणीय पहल करते हुए मिलकर पांच डिसमिल जमीन दान की है।
इन पांच दानदात्री महिलाओं में सावित्री देवी, यशोदा देवी, रुक्मणि देवी, सीता देवी और देवकी देवी शामिल हैं। इनका यह कदम ग्रामीणों में धार्मिक भावना और सामुदायिक एकता का प्रतीक बन गया है।
प्रक्रिया के तहत हुआ भूमि दान, ग्रामीण रहे उपस्थित
ग्रामसभा में लिए गए निर्णय के अनुसार मंदिर के लिए भूमि की आवश्यकता थी। इस दौरान महिलाओं द्वारा जमीन दान की गई, जिसकी प्रक्रिया सामाजिक मान्यताओं और विधियों के अनुसार पूरी की गई। भूमि दान के मौके पर जगदीश सोरेन, काशी पंडित, मुन्ना उपाध्याय, झगरू राय, सुरेश राम समेत कई गणमान्य लोग मौजूद रहे।
मंदिर निर्माण के लिए बढ़ा सहयोग, ग्रामीण दिखा रहे पहल
महिलाओं द्वारा भूमि दान करने की पहल ने गांव में प्रेरणा का माहौल बना दिया है। मंदिर निर्माण को लेकर अब गांव के अनेक लोग आर्थिक और श्रमदान दोनों रूपों में सहयोग के लिए आगे आ रहे हैं। इस उत्साह से यह स्पष्ट है कि हरलाडीह गांव के लोग अब अपने धार्मिक स्थान को लेकर सजग और संगठित हैं।
न्यूज़ देखो : जब समाज की महिलाएं आगे बढ़ती हैं, तो परिवर्तन निश्चित है
‘न्यूज़ देखो’ इस सराहनीय पहल का स्वागत करता है। जब सामाजिक और धार्मिक कार्यों में महिलाएं आगे आती हैं, तो समाज को नई दिशा और ऊर्जा मिलती है। हरलाडीह के ग्रामीणों ने यह दिखा दिया कि संगठन, आस्था और सामूहिक प्रयासों से कोई भी सपना साकार किया जा सकता है। आने वाले समय में यह मंदिर न केवल पूजा का केंद्र होगा, बल्कि सामाजिक एकता और समर्पण की मिसाल भी बनेगा।