
#गिरिडीह #ड्रॉपआउट_कार्यशाला – बच्चों के स्कूल छोड़ने की बढ़ती समस्या पर मंथन, MDM और विकास फंड के दुरुपयोग को लेकर जनप्रतिनिधियों का स्कूल प्रबंधन पर निशाना
- कक्षा 6 से 8 तक के स्कूलों में ड्रॉपआउट रोकने को लेकर कार्यशाला का आयोजन
- कार्यशाला में जनप्रतिनिधियों, शिक्षकों और अधिकारियों ने की भागीदारी
- जनप्रतिनिधियों ने उठाया स्कूल विकास फंड और मिड-डे मील योजना पर सवाल
- शिक्षकों ने रखी अपनी स्थिति और साझा कार्यनीति की बात
- हर बच्चे को स्कूल से जोड़ने को लेकर समन्वित प्रयास का लिया गया निर्णय
- कार्यशाला का उद्घाटन प्रमुख, बीडीओ, सीओ सहित अन्य पदाधिकारियों ने किया
ड्रॉपआउट पर चिंता : बच्चों का स्कूल छोड़ना बना चुनौती
गिरिडीह के पीरटांड़ प्रखंड परिसर में शुक्रवार को शिक्षा विभाग की ओर से एकदिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई। इसका उद्देश्य कक्षा 6 से 8 तक के विद्यार्थियों के बीच बढ़ती ड्रॉपआउट समस्या पर नियंत्रण पाना था। कार्यशाला में स्थानीय जनप्रतिनिधियों, शिक्षकों, प्रखंड स्तरीय पदाधिकारियों और समाजसेवियों ने भाग लिया।
दीप प्रज्वलन से हुआ शुभारंभ, शिक्षा पर गंभीर चर्चा
कार्यशाला का उद्घाटन प्रमुख सबिता टुडू, बीडीओ मनोज कुमार मरांडी, सीओ गिरिजानंद किस्कू और उपप्रमुख महेंद्र महतो सहित अन्य अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर संयुक्त रूप से किया। उद्घाटन के बाद चर्चा सत्र में ड्रॉपआउट के कारणों और निवारण के उपायों पर खुलकर संवाद हुआ।
स्कूल प्रबंधन पर उठे सवाल, योजनाओं के क्रियान्वयन पर गहराया संदेह
चर्चा सत्र के दौरान जनप्रतिनिधियों ने स्कूल प्रबंधन पर मिड-डे मील योजना और स्कूल विकास फंड के दुरुपयोग का आरोप लगाया। उनका कहना था कि:
“सरकारी योजनाओं का लाभ बच्चों तक पूरी तरह नहीं पहुंच पा रहा है, जिससे अभिभावकों का स्कूलों पर से भरोसा उठ रहा है।”
— महेंद्र महतो, उपप्रमुख
उन्होंने स्पष्ट किया कि इन खामियों के कारण बच्चों की स्कूल से दूरी बढ़ रही है, और यह ड्रॉपआउट दर में इज़ाफा कर रहा है।
शिक्षकों का पक्ष : बेहतर समन्वय से मिलेगा समाधान
शिक्षकों ने इन आरोपों पर अपनी स्थिति स्पष्ट की और कहा कि वे अपने स्तर पर बच्चों की पढ़ाई और उपस्थिति बढ़ाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के साथ मिलकर काम करने की बात दोहराई। सभी ने माना कि समूहिक प्रयास से ही समाधान संभव है।
हर बच्चा पहुंचे स्कूल : लिया गया साझा संकल्प
कार्यशाला के अंत में यह निर्णय लिया गया कि नामांकन, उपस्थिति और बच्चों के स्कूल में टिकाव को सुनिश्चित करने के लिए शिक्षा विभाग, पंचायत प्रतिनिधि, शिक्षक और अन्य विभाग मिलकर काम करेंगे। उद्देश्य साफ था — हर बच्चा स्कूल से जुड़े और पढ़ाई से ना छूटे।
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