
#महुआडांड़ #फुटबॉलटूर्नामेंट : आठवें दिन का खेल रोमांच और उत्साह से भरा, मैदान में गूंज उठी तालियों की आवाजें
- महुआडांड़ प्रखंड में चल रहे शहीद स्मारक नॉक आउट फुटबॉल टूर्नामेंट का आठवां दिन रहा रोमांचक।
- अम्बवाटोली टीम और शहीद क्लब ने अपने-अपने मुकाबले में शानदार जीत दर्ज की।
- मैदान में सैकड़ों दर्शक जुटे, खिलाड़ियों को मिला जबरदस्त समर्थन।
- अध्यक्ष आमिर सोहैल ने कहा — टूर्नामेंट का उद्देश्य युवाओं में खेल भावना और एकता को बढ़ावा देना है।
- अमरेश सिन्हा ने अम्बवाटोली टीम को जर्सी भेंट कर सम्मानित किया।
- मैच का संचालन तबरेज खान उर्फ बाबा, सुरेश उरांव और अमरेश सिन्हा ने निष्पक्षता के साथ किया।
लातेहार जिले के महुआडांड़ प्रखंड में चल रहे शहीद स्मारक नॉक आउट फुटबॉल टूर्नामेंट का आठवां दिन शुक्रवार को जोश और उत्साह से भरपूर रहा। दिन भर मैदान में खेल प्रेमियों की भीड़ उमड़ी रही, जबकि खिलाड़ियों के शानदार खेल ने दर्शकों का दिल जीत लिया। पहले मुकाबले में अम्बवाटोली टीम ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए जीत हासिल की, वहीं दूसरे मुकाबले में शहीद क्लब ने अपने जबरदस्त प्रदर्शन के दम पर बाज़ी मारी।
मैदान में गूंजा जोश, बढ़ा खिलाड़ियों का उत्साह
मैदान में सैकड़ों दर्शक मौजूद थे, जिन्होंने खिलाड़ियों की हर चाल पर तालियों से उनका हौसला बढ़ाया। खेल का रोमांच इस कदर था कि पूरा मैदान जयकारों से गूंज उठा। टूर्नामेंट समिति के अनुसार आने वाले दिनों में और भी रोमांचक मुकाबले खेले जाएंगे, जिससे खेल प्रेमियों में उत्सुकता बनी हुई है।
टूर्नामेंट अध्यक्ष आमिर सोहैल ने कहा: “इस टूर्नामेंट का मुख्य उद्देश्य युवाओं में खेल भावना, अनुशासन और एकता को बढ़ावा देना है। आने वाले दिनों में दर्शक और भी बेहतरीन मुकाबले देखेंगे। हम चाहते हैं कि ग्रामीण बड़ी संख्या में मैदान में आकर खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ाएं।”
सम्मान से भरा पल, खिलाड़ियों को मिली प्रेरणा
कार्यक्रम के दौरान स्थानीय समाजसेवी अमरेश सिन्हा ने अम्बवाटोली टीम को जर्सी भेंट कर सम्मानित किया। इस gesture से खिलाड़ियों में नई ऊर्जा और उत्साह भर गया। मैदान में उपस्थित सभी लोगों ने इस पहल की सराहना की।
अमरेश सिन्हा ने कहा: “खेल सिर्फ जीत या हार नहीं, बल्कि यह एकता और भाईचारे का प्रतीक है। खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करना हम सबकी जिम्मेदारी है।”
आयोजन में दिखी टीम भावना
मैच का संचालन तबरेज खान उर्फ बाबा, सुरेश उरांव और अमरेश सिन्हा ने रेफरी की भूमिका में पूर्ण निष्पक्षता और समर्पण के साथ किया। इस दौरान टूर्नामेंट के अध्यक्ष आमिर सोहैल के साथ नुरुल, पप्पू राजू, नसीम, सद्दाम, शहीद, मोजाहिद अहमद उर्फ गुड्डू, तनवीर उर्फ रिंकू, रंन्नू खान, नैयार खान और शहीद खान (कांग्रेस कार्यकर्ता) सहित कई स्थानीय हस्तियां मौजूद रहीं। सभी ने खिलाड़ियों के प्रदर्शन की सराहना की और कहा कि ऐसे आयोजन ग्रामीण युवाओं को सकारात्मक दिशा देते हैं।
टूर्नामेंट समिति ने कहा: “खेल को केवल मनोरंजन न समझें। यह अनुशासन, एकता और सहयोग का संदेश देता है। सभी ग्रामीणों से अपील है कि मैदान में आएं, खिलाड़ियों का हौसला बढ़ाएं और खेल संस्कृति को आगे बढ़ाएं।”
न्यूज़ देखो: मैदान में एकता की मिसाल
महुआडांड़ में आयोजित यह टूर्नामेंट केवल खेल नहीं, बल्कि एक सामाजिक संदेश भी दे रहा है — एकता में ही शक्ति है। ग्रामीण इलाकों में खेलों को बढ़ावा देकर न केवल युवाओं को व्यस्त रखा जा सकता है, बल्कि समाज में भाईचारा और आपसी सम्मान की भावना को भी मजबूत किया जा सकता है।
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खेल भावना ही असली जीत
फुटबॉल का यह जश्न हमें याद दिलाता है कि जीत या हार से बड़ा है टीम भावना और खेल के प्रति समर्पण। अब समय है कि हम सब खेलों को प्रोत्साहन दें, युवा खिलाड़ियों को समर्थन करें और एक स्वस्थ समाज के निर्माण में अपनी भूमिका निभाएं।
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