
#बरवाडीह #वन्यजीव_सर्वे : पीटीआर में आल इंडिया टाइगर एस्टिमेशन 2026 के तहत दूसरे दिन भी बाघ तेंदुआ भेड़िया के स्पष्ट संकेत मिले
- पलामू टाइगर रिजर्व में सर्वे के दूसरे दिन भी बाघ का स्पष्ट पगमार्क मिला।
- तेंदुआ और भेड़िया की मौजूदगी के भी प्रमाण सामने आए।
- सर्वे अभियान में 110 वनरक्षक, 300 ट्रैकर गार्ड और 25 प्रशिक्षित वालंटियर तैनात।
- डिप्टी डायरेक्टर प्रजेशकांत जेना लगातार वनकर्मियों को दिशा-निर्देश दे रहे हैं।
- पगमार्क, मल, खरोंच और अन्य प्राकृतिक संकेतों की वैज्ञानिक जांच जारी।
- बाघों के साथ गिद्ध और हाथियों के डेटा संग्रह की भी तैयारी।
बरवाडीह (लातेहार) स्थित पलामू टाइगर रिजर्व (पीटीआर) में आल इंडिया टाइगर एस्टिमेशन 2026 के तहत चल रहे सर्वे अभियान से लगातार उत्साहजनक संकेत मिल रहे हैं। सर्वे के दूसरे दिन भी जंगल के विभिन्न हिस्सों में बाघ का स्पष्ट पगमार्क मिलने से क्षेत्र में बाघों की सक्रिय उपस्थिति की पुष्टि हुई है। इसके साथ ही तेंदुआ और भेड़िया के पगमार्क भी दर्ज किए गए हैं, जो पीटीआर की समृद्ध जैव विविधता और सुरक्षित वन्यजीव आवास का संकेत देते हैं। इन संकेतों से वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी काफी उत्साहित नजर आ रहे हैं।
दूसरे दिन भी जारी रहा ट्रैक सर्च और साइन सर्वे
सर्वे के दूसरे दिन भी पीटीआर के विभिन्न रेंज और बीट क्षेत्रों में ट्रैक सर्च, साइन सर्वे और डेटा रिकॉर्डिंग का कार्य लगातार जारी रहा। वनकर्मी जंगलों में पगमार्क, मल, खरोंच के निशान और अन्य प्राकृतिक संकेतों की बारीकी से जांच कर रहे हैं। यह प्रक्रिया बाघों और अन्य मांसाहारी वन्यजीवों की उपस्थिति और गतिविधियों को समझने में बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है।
मौके पर प्रभारी वनपाल संतोष कुमार सिंह, धीरज कुमार सहित बड़ी संख्या में वनकर्मी मौजूद रहे और सर्वे कार्य में सक्रिय रूप से भाग लिया।
बड़े पैमाने पर तैनात हैं वनकर्मी और ट्रैकर
इस व्यापक सर्वे अभियान में कुल 110 वनरक्षक, 300 ट्रैकर गार्ड और 25 प्रशिक्षित वालंटियर लगाए गए हैं। सभी को विशेष प्रशिक्षण देकर विभिन्न जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं, ताकि सर्वे के दौरान कोई भी महत्वपूर्ण संकेत छूट न जाए।
वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, इस सर्वे का पहला चरण बेहद अहम है, क्योंकि इसी चरण में जंगलों से प्राथमिक साक्ष्य एकत्र किए जाते हैं, जिनके आधार पर आगे की वैज्ञानिक गणना की जाती है।
डिप्टी डायरेक्टर प्रजेशकांत जेना दे रहे लगातार दिशा-निर्देश
पीटीआर के उप निदेशक प्रजेशकांत जेना स्वयं सर्वे अभियान की निगरानी कर रहे हैं। वे लगातार विभिन्न क्षेत्रों में जाकर वनकर्मियों से मुलाकात कर रहे हैं और उन्हें आवश्यक दिशा-निर्देश दे रहे हैं।
प्रजेशकांत जेना ने कहा: “सर्वे के पहले और दूसरे दिन मिले संकेत बेहद उत्साहजनक हैं। बाघ के पगमार्क के साथ तेंदुआ और भेड़िया की मौजूदगी भी दर्ज की गई है। इन सभी संकेतों का वैज्ञानिक सत्यापन कर विधिवत दस्तावेजीकरण किया जाएगा।”
उन्होंने यह भी कहा कि इस सर्वे से प्राप्त आंकड़े भविष्य में बाघ संरक्षण, वन्यजीव प्रबंधन और जंगल संरक्षण की रणनीति तय करने में अहम भूमिका निभाएंगे।
चार चरणों में होगी बाघों की गणना
आल इंडिया टाइगर एस्टिमेशन 2026 के तहत बाघों की गणना चार चरणों में की जाएगी। इसके लिए पूरे झारखंड राज्य को छह प्रक्षेत्रों में विभाजित किया गया है। इनमें पलामू टाइगर रिजर्व, दुमका, रांची, हजारीबाग, बोकारो और सारंडा क्षेत्र शामिल हैं।
पूरे राज्य में इस अभियान के लिए लगभग 1600 फॉरेस्ट गार्ड तैनात किए गए हैं, जबकि अकेले पीटीआर में 110 फॉरेस्ट गार्ड और 300 ट्रैकर लगाए गए हैं।
गिद्ध और हाथियों का भी होगा आकलन
इस बार के टाइगर एस्टिमेशन की एक खास बात यह है कि बाघों के साथ-साथ गिद्धों और हाथियों की संख्या से संबंधित डेटा भी एकत्र किया जाएगा। इसके लिए सभी वनकर्मियों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया है।
वन विभाग के अनुसार, एक स्थान पर कैमरा ट्रैप कम से कम 21 दिनों तक लगाना अनिवार्य है, लेकिन बेहतर परिणाम के लिए पीटीआर में कैमरों को 28 दिनों तक रखने की योजना बनाई गई है। पूरी सर्वे प्रक्रिया को अप्रैल 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
जैव विविधता संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम
पीटीआर में लगातार मिल रहे पगमार्क और अन्य संकेत यह दर्शाते हैं कि क्षेत्र में वन्यजीवों के लिए अनुकूल वातावरण बना हुआ है। इससे न केवल बाघ संरक्षण को बल मिलेगा, बल्कि पूरे पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण की दिशा में भी यह सर्वे एक मजबूत आधार प्रदान करेगा।

न्यूज़ देखो: पीटीआर में बाघ संरक्षण की उम्मीदें मजबूत
पलामू टाइगर रिजर्व में सर्वे के दूसरे दिन भी मिले बाघ और अन्य वन्यजीवों के संकेत यह साबित करते हैं कि संरक्षण प्रयास सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। यदि इन आंकड़ों के आधार पर ठोस रणनीति बनाई गई, तो पीटीआर एक बार फिर राज्य के प्रमुख बाघ आवासों में अपनी मजबूत पहचान बना सकता है। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
जंगल और वन्यजीव संरक्षण में बनें भागीदार
जंगल सिर्फ वन्यजीवों का घर नहीं, बल्कि हमारी आने वाली पीढ़ियों की विरासत हैं। बाघों और अन्य जीवों का संरक्षण तभी संभव है, जब समाज भी इसके लिए जागरूक हो।
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