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पूर्व मंत्री केएन त्रिपाठी पर अंगरक्षकों से मारपीट का आरोप: मामला थाना तक पहुंचा

#लातेहार #विवाद : पुलिस एसोसिएशन ने दी कार्रवाई की मांग, पूर्व मंत्री ने मारपीट से किया इनकार

लातेहार जिले में कांग्रेस के पूर्व मंत्री केएन त्रिपाठी विवादों में घिर गए हैं। आरोप है कि उन्होंने अपने दो अंगरक्षकों के साथ मारपीट की। इस मामले में पलामू पुलिस एसोसिएशन ने लातेहार थाना में आवेदन देकर कार्रवाई की मांग की है। हालांकि पूर्व मंत्री ने आरोपों को नकारते हुए कहा कि उन्होंने केवल डांट फटकार लगाई थी।

घटना कैसे हुई

जानकारी के अनुसार मंगलवार को पूर्व मंत्री केएन त्रिपाठी पलामू से रांची जा रहे थे। इसी दौरान लातेहार के जुबली चौक पर जाम लग गया। जाम हटाने के लिए ड्यूटी में तैनात दोनों अंगरक्षक नीचे उतरे, लेकिन देरी होने पर पूर्व मंत्री ने कथित तौर पर उनके साथ मारपीट कर दी।

पुलिस एसोसिएशन की प्रतिक्रिया

एसोसिएशन के उपाध्यक्ष जयप्रकाश तुरी ने बताया कि वर्दी में तैनात जवानों पर हाथ उठाना गलत है। वहीं, संयुक्त सचिव कृष्ण कुमार ने कहा कि करीब 1 से 1:30 बजे सूचना मिली कि पूर्व मंत्री द्वारा अंगरक्षक रविंद्र और गोपाल के साथ मारपीट की गई है। इसके बाद एसोसिएशन के पदाधिकारी लातेहार थाना पहुंचे और कार्रवाई की मांग की।

केएन त्रिपाठी का बयान

पूर्व मंत्री ने सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया। उन्होंने कहा,

“मैंने उन्हें डांट फटकारते हुए कहा कि इस तरह से ड्यूटी नहीं चलेगी। मेरे साथ रहना है तो अनुशासित रहना होगा।”

त्रिपाठी का कहना है कि जब उन्होंने जवानों को टोका तो उन्होंने साथ चलने से इनकार कर दिया। इसके बाद उन्हें वापस भेज दिया गया। उन्होंने यह भी कहा कि वे पिछले 25 वर्षों से अंगरक्षकों के साथ रहते आए हैं और कभी किसी के साथ दुर्व्यवहार नहीं किया।

सुरक्षा में कटौती का भी आरोप

केएन त्रिपाठी ने पलामू एसपी पर सुरक्षा में कटौती का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के आदेश पर उन्हें चार सुरक्षा गार्ड दिए जाने चाहिए, लेकिन एसपी ने उनमें से दो गार्ड वापस ले लिए। बचे हुए गार्डों को भी हर 15 दिन पर बदल दिया जा रहा है। त्रिपाठी ने बताया कि घटना के दिन लातेहार में जब सड़क जाम था, तब उनके अंगरक्षक गाड़ी छोड़कर आधा किलोमीटर आगे निकल गए और वे पैदल चलते हुए उन्हें एक दुकान में खड़े पाए।

न्यूज़ देखो: नेताओं और सुरक्षाकर्मियों के रिश्ते पर बड़ा सवाल

यह विवाद बताता है कि नेताओं और सुरक्षा कर्मियों के बीच तालमेल की कमी गंभीर स्थिति पैदा कर सकती है। यदि वर्दीधारी जवान खुद को अपमानित महसूस करते हैं तो इसका असर सुरक्षा व्यवस्था पर पड़ना तय है। वहीं, नेताओं पर भी संयम और अनुशासन का पालन करने की जिम्मेदारी होती है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

जनता और व्यवस्था के बीच विश्वास जरूरी

यह घटना केवल आरोप-प्रत्यारोप तक सीमित नहीं रहनी चाहिए बल्कि इससे सीख लेकर जनप्रतिनिधि और पुलिसकर्मी दोनों अनुशासन और सम्मान की मर्यादा निभाएं। अब समय है कि हम सब मिलकर ऐसी स्थितियों से बचने के लिए संवाद और सहयोग को बढ़ावा दें। अपनी राय कॉमेंट करें और इस खबर को दोस्तों के साथ शेयर करें ताकि जागरूकता फैले।

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