
#डुमरी #स्वास्थ्य : सीएचसी में आयोजित कार्यक्रम में बच्चों को एल्बेंडाजोल दवा पिलाई गई — अधिकारियों ने स्वच्छता और पोषण के महत्व पर किया जोर
- सीएचसी डुमरी में राष्ट्रीय कृमि दिवस का आयोजन हुआ।
- कार्यक्रम का शुभारंभ उमेश कुमार स्वांसी (बीडीओ), डॉ. अलबेल केरकेट्टा और डॉ. लक्ष्मी कुमारी ने किया।
- बच्चों में कृमि संक्रमण से होने वाली बीमारियों और पढ़ाई पर असर की जानकारी दी गई।
- सरकार की ओर से एल्बेंडाजोल दवा मुफ्त उपलब्ध कराई गई।
- स्वास्थ्य कर्मियों ने स्वच्छता और सुरक्षित आदतों पर जोर दिया।
सीएचसी डुमरी में हुआ कार्यक्रम का आयोजन
गुमला जिले के डुमरी प्रखंड अंतर्गत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) डुमरी में राष्ट्रीय कृमि दिवस का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम सरकार की उस पहल का हिस्सा है, जिसके जरिए बच्चों को कृमि जनित रोगों से बचाने और उनके शारीरिक व मानसिक विकास को सुरक्षित करने पर बल दिया जाता है।
इस मौके पर कार्यक्रम का उद्घाटन प्रखंड विकास पदाधिकारी उमेश कुमार स्वांसी, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. अलबेल केरकेट्टा और डॉ. लक्ष्मी कुमारी ने संयुक्त रूप से किया।
बच्चों पर कृमि संक्रमण का असर
कार्यक्रम में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. अलबेल केरकेट्टा ने विस्तार से बताया कि आंतों के कृमि बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास में बड़ी बाधा बनते हैं। इनकी वजह से बच्चों को खून की कमी (एनीमिया), कमजोरी, पेट दर्द, उल्टी और पढ़ाई में ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
डॉ. अलबेल केरकेट्टा ने कहा: “यदि समय पर कृमि निवारण की दवा दी जाए तो बच्चों को इन परेशानियों से बचाया जा सकता है और उनका समग्र विकास सुनिश्चित होता है।”
सरकार की पहल — मुफ्त दवा वितरण
डॉ. केरकेट्टा ने बताया कि केंद्र और राज्य सरकार की ओर से हर साल राष्ट्रीय कृमि दिवस पर स्कूलों, आंगनबाड़ी केंद्रों और स्वास्थ्य संस्थानों के माध्यम से बच्चों को एल्बेंडाजोल दवा मुफ्त उपलब्ध कराई जाती है। इस बार भी बड़ी संख्या में बच्चों को यह दवा पिलाई गई।
उन्होंने कहा कि यह कदम न सिर्फ बच्चों को बीमारियों से बचाने में मददगार है, बल्कि समाज में कुपोषण और संक्रमण की रोकथाम में भी अहम भूमिका निभाता है।
स्वच्छता पर जोर और जागरूकता अभियान
इस मौके पर स्वास्थ्य कर्मियों ने अभिभावकों और बच्चों को जागरूक करते हुए कहा कि केवल दवा से ही नहीं, बल्कि स्वच्छता की आदतों से भी इन बीमारियों पर काबू पाया जा सकता है।
उन्होंने सुझाव दिया कि
- खाने से पहले और शौच के बाद हमेशा हाथ धोना,
- खुले में शौच से परहेज करना,
- बच्चों को नंगे पांव खेलने से रोकना,
आवश्यक है।
इन आदतों से कृमि संक्रमण से बचाव सुनिश्चित किया जा सकता है।
बच्चों और अभिभावकों की सक्रिय भागीदारी
कार्यक्रम के दौरान बच्चों को दवा खिलाई गई और उन्हें इसके महत्व के बारे में समझाया गया। इस दौरान बीपीएम राजेश केरकेट्टा, बीटीटी शांता टोप्पो, मंजुला मिंज, एजरस टोप्पो सहित बड़ी संख्या में स्वास्थ्य कर्मी, आंगनबाड़ी सेविका, अभिभावक और बच्चे उपस्थित थे।
उनकी मौजूदगी से कार्यक्रम का संदेश अधिक से अधिक परिवारों तक पहुंचा और समुदाय में स्वास्थ्य संबंधी जागरूकता को बढ़ावा मिला।
न्यूज़ देखो: बच्चों के स्वास्थ्य पर गंभीर पहल की मिसाल
राष्ट्रीय कृमि दिवस का यह आयोजन इस बात की गवाही देता है कि जब सरकार और स्थानीय प्रशासन मिलकर पहल करते हैं तो उसका असर सीधे बच्चों और परिवारों तक पहुंचता है। यह कार्यक्रम सिर्फ दवा वितरण नहीं, बल्कि स्वच्छता, पोषण और स्वास्थ्य जागरूकता को मजबूत करने की दिशा में भी कदम है। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
सजग नागरिकता से बनेगा स्वस्थ समाज
हम सभी का दायित्व है कि बच्चों की सेहत को प्राथमिकता दें और स्वच्छ आदतों को जीवन का हिस्सा बनाएं। कृपया इस खबर पर अपनी राय कमेंट में साझा करें, इसे अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाएँ और अपने दोस्तों व परिवार के साथ शेयर करें ताकि हर बच्चा स्वस्थ और सुरक्षित भविष्य की ओर बढ़ सके।