
#बानो #पंचायती_विकास : 1 दिसंबर को विशाल बैठक व पदयात्रा का निर्णय।
- पंचायत भवन बानो में जनप्रतिनिधियों की बैठक आयोजित हुई।
- दो वर्षों से फंड न मिलने पर केंद्र और राज्य सरकार पर नाराजगी।
- विकास कार्य ठप, बेरोजगारी बढ़ने की बात रखी गई।
- 1 दिसंबर को सभी 16 पंचायतों के प्रतिनिधियों की बड़ी बैठक होगी।
- डाक बंगला से प्रखंड कार्यालय तक पदयात्रा, और बीडीओ को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा जाएगा।
बानो, सिमडेगा के पंचायत भवन सभागार में मुखिया संघ के प्रखंड अध्यक्ष विश्वनाथ बड़ाईक की अध्यक्षता में प्रखंड स्तरीय जनप्रतिनिधियों की महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। बैठक में मुख्य रूप से इस गंभीर मुद्दे पर चर्चा हुई कि पिछले दो वर्षों से त्रिस्तरीय पंचायत जनप्रतिनिधियों को केंद्र और राज्य सरकार द्वारा कोई फंड उपलब्ध नहीं कराया गया है, जिसके कारण पंचायत स्तर के विकास कार्य पूरी तरह ठप पड़े हैं। जनप्रतिनिधियों ने कहा कि वित्तीय संसाधनों के अभाव में गांवों का विकास रुक गया है और लोग भारी परेशानियों से गुजर रहे हैं।
योजनाओं की बंदी से विकास ठप, बढ़ रही बेरोजगारी
बैठक में जिला परिषद सदस्य बिरजो कंडुलना ने कहा कि सरकार जनप्रतिनिधियों का मानदेय देने का दावा करती है, जबकि विभागीय अधिकारी बताते हैं कि कोई फंड आया ही नहीं है। उन्होंने कहा कि इस भ्रम और फंड की कमी का असर सीधे पंचायतों पर पड़ रहा है।
प्रमुख सुधीर डांग ने कहा कि जनप्रतिनिधि गांवों में विकास कार्य कराने में पूरी तरह लाचार हो चुके हैं। वहीं, मुखिया संघ के अध्यक्ष विश्वनाथ बड़ाईक ने बताया कि योजनाओं के बंद होने से बानो प्रखंड में बेरोजगारी तेजी से बढ़ी है। जिले के अन्य प्रखंडों में जहां मनरेगा के कार्य जारी हैं, वहीं बानो में अधिकारियों की अनदेखी के कारण विकास पूरी तरह थम गया है।
1 दिसंबर को जनप्रतिनिधियों की विशाल बैठक
बैठक में एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए कहा गया कि आगामी 1 दिसंबर को बानो डाक बंगला में प्रखंड की सभी 16 पंचायतों के जनप्रतिनिधियों की विशाल बैठक आयोजित की जाएगी। इसके बाद डाक बंगला से प्रखंड कार्यालय तक पदयात्रा निकाली जाएगी, जहाँ प्रखंड विकास पदाधिकारी को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा जाएगा। इस ज्ञापन में फंड बहाल करने, योजनाओं को चालू करने और पंचायतों की वित्तीय स्वायत्तता को मजबूत करने की मांग रखी जाएगी।
बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति
बैठक में मुखिया सीता कुमारी, अनिल लुगुन, लॉरेंस बागे, मिनसी लीना तिर्की, कृपा हेमरोम, सुसाना जड़िया, प्रीति बुढ:, लूथर भुइयाँ, कांति देवी, विलकानी भुइयाँ, रुकमणी देवी, राहिल समद, तेलानी लुगुन, प्यारी जोजो, किरण सुरीन, पुष्पा तोपनो, अल्मा लुगुन, सुबास सुरीन, इलियाजर कंडुलना सहित प्रखंड के कई जनप्रतिनिधि मौजूद रहे। सभी ने एकजुट होकर पंचायतों को सशक्त बनाने के लिए संघर्ष करने का संकल्प लिया।
न्यूज़ देखो: पंचायत की आवाज़ दबने न पाए
बानो प्रखंड की यह बैठक साफ बताती है कि जब योजनाएँ रुक जाती हैं, तो सबसे ज्यादा प्रभावित ग्रामीण और जनप्रतिनिधि होते हैं। फंड की बंदी ने विकास, रोजगार और पंचायत प्रशासन को भारी क्षति पहुँचाई है। अब जनप्रतिनिधियों का एकजुट होना यह संकेत देता है कि वे अपने अधिकारों और जनता के विकास के लिए संघर्ष करने को तैयार हैं।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
विकास का रास्ता संवाद और संघर्ष से
बानो प्रखंड के जनप्रतिनिधियों ने जिस तरह एक मंच पर आकर अपनी बात मजबूती से रखी है, वह लोकतांत्रिक समाज की परिपक्वता का संकेत है। जब स्थानीय स्तर पर आवाजें मजबूत होती हैं, तभी विकास धरातल तक पहुँचता है।
अब समय है कि हम भी अपने क्षेत्र की समस्याओं पर जागरूक हों और जनप्रतिनिधियों के इस प्रयास को समर्थन दें।
अपनी राय कमेंट में साझा करें और इस खबर को आगे भेजें, ताकि विकास की यह आवाज़ और तेज़ हो सके।




