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बेड़ों प्रखंड में गांधी जयंती समारोह टाना भगतों की संघर्ष गाथा और नए संकल्पों का हुआ साक्षी

#रांची #गांधी_जयंती : मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने टाना भगत स्मारक स्थल पर श्रद्धांजलि दी और पुस्तक का विमोचन किया

बेड़ों प्रखंड के खक्सी टोली में 2 अक्टूबर को गांधी जयंती समारोह का आयोजन हुआ। टाना भगत स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्मारक स्थल पर आयोजित इस कार्यक्रम में कृषि एवं राज्य सहकारिता मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की शामिल हुईं। उन्होंने महात्मा गांधी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी और टाना भगतों की ऐतिहासिक संघर्षगाथा को याद किया। इस अवसर पर “हालात बदलेगा टाना भगतों का” नामक पुस्तक का विमोचन भी किया गया।

गांधी और टाना भगतों की साझा विरासत

मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा कि टाना भगतों की पहचान महात्मा गांधी के सच्चे अनुयायी के रूप में होती है। गांधी जी ने विदेश में उच्च शिक्षा और वकालत की डिग्री हासिल करने के बावजूद देश की आज़ादी के लिए खुद को समर्पित कर दिया। उनका संदेश स्पष्ट था कि “ना किसी से डरो, ना किसी से नफरत करो”। इसी सोच के साथ टाना भगतों ने अंग्रेजों के खिलाफ लंबा संघर्ष किया और स्वतंत्रता आंदोलन को जनांदोलन का रूप दिया।

शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा: “टाना भगत समाज के संघर्ष में मैं हमेशा साथ हूं और आगे भी रहूंगी। यह समाज कभी भूखा पेट नहीं रहेगा और न ही इनके बच्चे शिक्षा से वंचित रहेंगे।”

टाना भगतों के विकास के लिए पहल

समारोह के दौरान मंत्री ने टाना भगत समुदाय के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक विकास का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि कृषि, पशुपालन और सहकारिता विभाग की योजनाओं से उन्हें जोड़कर आत्मनिर्भरता की राह पर आगे बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने युवाओं से भी आह्वान किया कि वे गांधी और टाना भगतों के आदर्शों को समझें और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने में अपनी भूमिका निभाएं।

पुस्तक विमोचन से बढ़ा उत्साह

“हालात बदलेगा टाना भगतों का” नामक पुस्तक का विमोचन इस समारोह का महत्वपूर्ण क्षण रहा। पुस्तक के माध्यम से टाना भगतों के संघर्ष और उनकी सामाजिक परिस्थितियों पर प्रकाश डाला गया है। उपस्थित लोगों ने इसे समाज की आवाज बताया और कहा कि इससे नई पीढ़ी को अपनी जड़ों और ऐतिहासिक योगदान की जानकारी मिलेगी।

न्यूज़ देखो: टाना भगतों की विरासत और आज की जिम्मेदारी

बेड़ों प्रखंड में आयोजित गांधी जयंती समारोह सिर्फ श्रद्धांजलि का अवसर नहीं रहा, बल्कि यह समाज की विरासत और भविष्य की दिशा पर चिंतन का क्षण भी था। टाना भगतों की संघर्ष गाथा हमें यह सिखाती है कि सत्य और साहस के बल पर बड़े बदलाव संभव हैं। सरकार और समाज मिलकर अगर ठोस कदम उठाएं, तो टाना भगतों का जीवन स्तर निश्चित ही बदलेगा।

हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

टाना भगतों की लड़ाई से नई पीढ़ी को मिले प्रेरणा

गांधी जी और टाना भगतों की संघर्षशीलता हमें यह याद दिलाती है कि कठिन परिस्थितियों में भी न्याय और आत्मसम्मान की राह नहीं छोड़नी चाहिए। अब समय है कि हम सब उनके आदर्शों को अपनाकर समाज में भाईचारा, आत्मनिर्भरता और विकास को आगे बढ़ाएं। अपनी राय कमेंट करें, इस खबर को दोस्तों और परिवार तक पहुंचाएं और टाना भगतों की विरासत को नई पीढ़ी तक पहुंचाने में सहयोग करें।

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