
#गढ़वा #भ्रष्टाचार : कोचेया गांव के किसान ने अंचल कर्मचारी पर आठ हजार की रिश्वत मांगने का गंभीर आरोप लगाया
- कोचेया गांव के किसान सर्वजीत मेहता ने म्यूटेशन रिजेक्ट होने का कारण रिश्वत न देना बताया।
- बेटे चंदन मेहता की पढ़ाई बीएचयू में आर्थिक संकट से बाधित, मानसिक तनाव बढ़ा।
- हिस्सेदारों ने नापत्ति पत्र दिया था, फिर भी आवेदन अस्वीकृत किया गया।
- प्रखंड प्रमुख दीपा कुमारी ने जांच और कड़ी कार्रवाई का भरोसा दिलाया।
- आरोपी कर्मचारी जितेंद्र कुमार ने आरोपों को बेबुनियाद बताया।
गढ़वा जिले के विशुनपुरा प्रखंड से जुड़े एक गंभीर मामले ने पूरे इलाके में हड़कंप मचा दिया है। कोचेया गांव के किसान सर्वजीत मेहता ने आरोप लगाया है कि उनके जमीन के म्यूटेशन आवेदन को अंचल कर्मचारी सह अंचल निरीक्षक जितेंद्र कुमार ने आठ हजार रुपए रिश्वत न मिलने पर अस्वीकृत कर दिया। किसान ने इसकी शिकायत प्रखंड प्रमुख दीपा कुमारी से की और न्याय की गुहार लगाई।
सर्वजीत मेहता ने बताया कि वे सीमित जमीन पर खेती कर अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं। उनकी आमदनी से ही बच्चों की पढ़ाई का खर्च चलता है। उनका बेटा चंदन मेहता पढ़ाई में बेहद होनहार रहा है, जिसने मैट्रिक में प्रखंड टॉप किया था। इसके बाद उसने रांची के सेंट जेवियर्स कॉलेज से आईएससी और फिर बीएचयू से ग्रेजुएशन व पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई शुरू की। मगर आर्थिक स्थिति खराब होने और म्यूटेशन रिजेक्ट हो जाने के कारण उसकी पढ़ाई बीच में रुक गई।
किसान की बेबसी और हिस्सेदारों की सफाई
सर्वजीत ने आरोप लगाया कि अंचल कर्मचारी ने उनसे रिश्वत की मांग की और जब उन्होंने पैसे देने से इनकार किया तो हिस्सेदारों की आपत्ति का हवाला देकर आवेदन रिजेक्ट कर दिया। जबकि हिस्सेदारों ने साफ कहा है कि उनसे कोई कर्मचारी मिलने नहीं आया और उन्होंने खुद नापत्ति पत्र भी दे दिया था। इस पूरे घटनाक्रम से किसान का परिवार गहरे संकट में है।
प्रखंड प्रमुख ने दिया जांच का आश्वासन
प्रखंड प्रमुख दीपा कुमारी ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कहा कि अंचलाधिकारी से कर्मचारी का स्पष्टीकरण मांगा जाएगा। अगर जवाब संतोषजनक नहीं मिला तो उच्चाधिकारियों को अनुशंसा भेजकर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने साफ कहा कि प्रखंड या अंचल कार्यालय में किसी भी कीमत पर भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और यहां केवल वही कर्मचारी काम करेंगे जो जीरो टॉलरेंस पॉलिसी का पालन करेंगे।
आरोपी कर्मचारी ने किया आरोपों से इनकार
जब इस मामले पर कर्मचारी जितेंद्र कुमार से सवाल किया गया तो उन्होंने सभी आरोपों को खारिज कर दिया। उनका कहना है कि जिस समय की घटना बताई जा रही है, उस समय वे हल्का एक के कर्मचारी थे और उन्होंने म्यूटेशन अस्वीकृत करने की कोई अनुशंसा नहीं की थी।
ग्रामीणों में आक्रोश और उम्मीद
इस पूरे प्रकरण ने ग्रामीणों के बीच चर्चाओं को तेज कर दिया है। लोग कह रहे हैं कि अगर जांच में रिश्वतखोरी की बात साबित होती है तो दोषियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि भविष्य में गरीब किसानों के साथ ऐसी घटना दोबारा न हो।
न्यूज़ देखो: भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम की मांग
यह मामला केवल एक किसान का नहीं बल्कि प्रशासनिक तंत्र की पारदर्शिता और जवाबदेही से जुड़ा है। गरीब किसानों को न्याय तभी मिलेगा जब भ्रष्टाचारियों पर कड़ी कार्रवाई हो और जनता का विश्वास मजबूत हो।
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बदलाव की मांग और जनजागरूकता
अब यह जरूरी है कि जनता भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करे और प्रशासन सख्त कदम उठाए। तभी समाज में बदलाव आएगा और आम लोगों की समस्याएं कम होंगी।
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