गढ़वा प्रशासन के बढ़ते कदम शराबमुक्ति की ओर: दुलदुलवा गांव होगा पूर्णतः शराबमुक्त, एसडीएम संजय कुमार ने लिया गोद

#गढ़वा #शराबमुक्तअभियान — मदर्स डे के मौके पर प्रशासन और ग्रामीणों ने मिलकर लिया सामाजिक बदलाव का संकल्प

प्रशासनिक संकल्प और ग्रामीण समर्थन से शुरू हुआ ऐतिहासिक अभियान

झारखंड के गढ़वा जिले का दुलदुलवा गांव अब एक ऐतिहासिक सामाजिक परिवर्तन का साक्षी बनने जा रहा है। रविवार को गढ़वा सदर एसडीएम संजय कुमार ने गांव के पंचायत भवन में एक जन संवाद कार्यक्रम के माध्यम से गांव को गोद लेने की घोषणा की। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह पहल सिर्फ प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि वास्तविक बदलाव लाने की दिशा में ठोस कदम है।

कार्यक्रम में बड़ी संख्या में ग्रामीण, महिलाएं और 580 महिला स्वयं सहायता समूहों की प्रतिनिधियाँ शामिल हुईं। मौके पर एसडीपीओ नीरज कुमार, मेराल अंचल अधिकारी यशवंत नायक, डीपीएम विमलेश शुक्ला, मुखिया राम प्रताप शाह, वार्ड सदस्य और पुलिस विभाग के अधिकारी मौजूद थे।

क्यों बदनाम रहा है दुलदुलवा गांव?

अवैध महुआ शराब का गढ़ बन चुका था गांव

दुलदुलवा गांव गढ़वा जिले में लंबे समय से अवैध देशी महुआ शराब के निर्माण और आपूर्ति के लिए कुख्यात रहा है। इस गांव की शराब न केवल गढ़वा बल्कि रमकंडा, केतार, चिनिया, मेराल और अन्य प्रखंडों में भी भेजी जाती थी। इसका सीधा प्रभाव स्वास्थ्य, कानून-व्यवस्था और सामाजिक शांति पर पड़ रहा था।

एसडीएम संजय कुमार ने कहा कि यदि गांववासी इस कुप्रथा को छोड़ने के लिए तैयार हैं, तो प्रशासन उनके पुनर्वास, रोजगार और सम्मानजनक जीवन के लिए हर प्रकार की सहायता उपलब्ध कराएगा।

“दुलदुलवा अब बदनामी का नहीं, बदलाव का प्रतीक बनेगा।” — संजय कुमार

महिलाओं को सौंपी गई अभियान की बागडोर

मदर्स डे पर मातृ शक्ति का सम्मान और संकल्प

मदर्स डे पर आयोजित इस जनसंवाद में महिलाओं को विशेष रूप से सम्मानित किया गया और उन्हें इस अभियान की अगुवाई करने की जिम्मेदारी सौंपी गई। एसडीएम ने कहा कि सामाजिक परिवर्तन की असली शक्ति मांओं में होती है। अगर वे अपने परिवारों और बच्चों को शराब से दूर रखें, तो यह लड़ाई आधी जीत ली जाएगी।

“जिस दिन एक मां शराब के खिलाफ खड़ी हो जाए, उस दिन से समाज बदलना तय है।” — नीरज कुमार

महिला स्वयं सहायता समूह होंगे बदलाव के वाहक

जेएसएलपीएस के डीपीएम विमलेश शुक्ला ने बताया कि गांव में सक्रिय 580 महिला स्वयं सहायता समूह अब इस अभियान के संचालन में अहम भूमिका निभाएंगे। वे शराब छोड़ने वालों को विकल्प स्वरूप छोटे व्यवसाय, रोजगार प्रशिक्षण और सरकारी योजनाओं से जोड़ने का कार्य करेंगे।

सरकारी योजनाओं से जुड़ेंगे ग्रामीण

पुनर्वास से लेकर व्यवसाय तक मिलेगा हर प्रकार का सहयोग

प्रशासन ने घोषणा की कि शराब छोड़ने वालों को 25 हजार से 25 लाख तक का ऋण, शून्य ब्याज पर मिलेगा। इसके अलावा उन्हें पीएम विश्वकर्मा योजना, फूलो-झानो योजना, केसीसी पशुधन योजना, स्वास्थ्य बीमा, गंभीर रोग सहायता, और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना जैसी जनकल्याणकारी योजनाओं से सीधे जोड़ा जाएगा।

प्रशिक्षण और ऋण से मिलेगा नया जीवन

उन्हें बकरी पालन, मुर्गी पालन, बांस और बेल आधारित हस्तशिल्प, लघु उद्योग और कुटीर उद्योग के लिए प्रशिक्षण व सहायता भी प्रदान की जाएगी। जिला प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि यह योजना शराब छोड़ने वालों के पुनर्वास के लिए केंद्रित और समयबद्ध तरीके से क्रियान्वित की जाएगी।

बेल के जंगल और हाथियों के हमलों पर भी बनी चिंता

बेल के पेड़ों की कटाई से पारिस्थितिकी को खतरा

दुलदुलवा गांव के पास का जंगल बेल के पेड़ों के लिए जाना जाता है, जिनका उपयोग महुआ शराब बनाने में ईंधन के रूप में किया जाता है। इससे ना सिर्फ पर्यावरण को नुकसान होता है बल्कि गांव की जैव विविधता भी खतरे में पड़ती है। प्रशासन ने चेतावनी दी है कि अब पेड़ों की कटाई पर रोक लगाई जाएगी और जंगल संरक्षण को ग्रामीण जिम्मेदारी के रूप में अपनाएंगे

हाथियों के हमलों का कारण भी शराब!

जनसंवाद में ग्रामीणों ने शिकायत की कि जंगल से हाथियों का गांव में प्रवेश बढ़ गया है। इस पर अधिकारियों ने बताया कि महुआ शराब की गंध हाथियों को आकर्षित करती है, जिससे वे भोजन और महुआ की खोज में गांव में घुस आते हैं। शराब पर रोक लगने से यह खतरा भी घटेगा, जिससे मानव-हाथी संघर्ष की घटनाएं कम होंगी।

न्यूज़ देखो : समाज में बदलाव की हर कहानी आपके साथ

न्यूज़ देखो हमेशा उन प्रयासों को सामने लाता है जो समाज को नशा, हिंसा और अन्य कुरीतियों से मुक्त कराने के लिए चलाए जाते हैं। दुलदुलवा गांव का यह साहसिक प्रयास न केवल झारखंड बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणास्त्रोत है। प्रशासन और आम जनता के सामूहिक प्रयास से सामाजिक बदलाव संभव है — हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

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